स्पर्म टेस्ट के रिजल्ट का क्या मतलब होता है?
सेंपल के लिए वीर्य ले लेने के बाद रिजल्ट आने में 24 घंटे से 1 हफ्ते तक का समय लग सकता है, यह समय लेबोरेटरी पर निर्भर करता है। जब डॉक्टर स्पर्म टेस्ट के रिजल्ट को देखते हैं तो उसमें ऐसे कई कारक होते हैं, जिन पर विचार किया जाता है। पुरुष नसबंदी के बाद शुक्राणु की उपस्थिति की जांच की जाती है, लेकिन प्रजनन शक्ति की जांच करने के लिए इसका विश्लेषण और अधिक गहराई से किया जाता है। डॉक्टर नीचे दिए गए सभी परिणामों को ध्यान में रखते हैं।
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शुक्राणुओं का आकार (Sperm shape)-
अगर सारे शुक्राणुओं में से 50 प्रतिशत शुक्राणु सामान्य आकार में है, तो रिजल्ट को सामान्य माना जाता है। अगर किसी पुरूष में 50 प्रतिशत से अधिक शुक्राणु असामान्य आकार में हैं, तो यह उसकी प्रजनन शक्ति को कम कर देता है। लेबोरेटरी में शुक्राणुओं के आकार से असामान्यताओं का पता लगाया जाता है। यह भी हो सकता है कि शुक्राणु पूरी तरह से परिपक्व ना हों और इसलिए वे अंडे को पूरी तरह से उर्वरित करने में सक्षम ना हों।
गतिशीलता (Movement)-
अगर स्खलन के 1 घंटे बाद भी 50 प्रतिशत से ज्यादा शुक्राणु सामान्य रूप से गतिशील हैं, तो रिजल्ट को सामान्य माना जाता है। शुक्राणुओं में गतिशीलता जरूरी होती है, क्योंकि अंडा निषेचन करने के लिए उनको ट्रैवल (गतिशील) करना पड़ता है। एक स्वचालित प्रणाली शुक्राणुओं की गतिशीलता का विश्लेषण करती है और 0 से 4 तक के पैमाने पर उनकी गति को तय करती है। रिजल्ट में अंक 0 का मतलब होता है कि शुक्राणुओं में बिलकुल भी गतिशीलता नहीं हो रही और 3 व 4 अच्छी गतिशीलता दर्शाते हैं।
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पीएच (PH)-
पीएच का मान एक घोल (Solution) की अम्लता को निर्धारित करता है। एक पीएच स्तर में 7.2 से 7.8 के बीच तक के मान को नॉर्मल रेंज में रखा जाता है। 7.8 से ऊपर का पीएच स्तर पुरुष में एक प्रकार के संक्रमण का संकेत देता है। 7.0 से नीचे का पीएच स्तर लिए गए सेंपल को दूषित या उस पुरुष की स्खलन नलिकाएं बंद होने का संकेत देता है।
मात्रा (Volume)-
अगर वीर्य की मात्रा 2 मिलीलीटर से अधिक हो तो इसे सामान्य रिजल्ट माना जाता है। वीर्य की मात्रा इससे कम होना शुक्राणुओं की मात्रा कम होने का संकेत देती है, जो अंडा निषेचन करने के लिए पर्याप्त नहीं है। वीर्य की अधिक मात्रा शुक्राणुओं के पतले होने का संकेत देती है।
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द्रवण (Liquefaction)-
वीर्य द्रव बनने से पहले 15 से 30 मिनट लगने चाहिए। वीर्य शुरूआत में गाढ़ा होता है, इसकी द्रव बनने की या तरल में घुलने की क्षमता शुक्राणुओं को हिलने (गतिशीलता) में मदद करती है। अगर 15 से 30 मिनट के समय में वीर्य द्रव ना बन पाए तो इससे प्रजनन शक्ति पर असर पड़ता है।
शुक्राणुओं की संख्या (Sperm count)-
सामान्य वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या 2 करोड़ से 20 करोड़ तक होती है। इस रिजल्ट को स्पर्म डेन्सिटी (Sperm density) के नाम से भी जाना जाता है। अगर संख्या में कमी है तो गर्भधारण करना कठिन हो सकता है। (और पढ़ें - गर्भधारण कैसे होता है)
दिखावट (Appearance)-
सामान्य व स्वस्थ वीर्य देखने में सफेद से ग्रे (धुंधला सफेद) होना चाहिए। वीर्य में लाल या भूरे रंग की रंगत दिखे तो वह वीर्य में खून का संकेत देती है। अगर वीर्य में पीले रंग की रंगत हो तो वह पीलिया या अन्य दवाओं के साइड इफेक्ट का संकेत दे सकती है।
असामान्य रिजल्ट का क्या मतलब होता है?
असामान्य शुक्राणुओं को अंडे तक पहुंचने और निषेचन करने में दिक्कत होती है, जिससे गर्भधारण करना कठिन हो जाता है। असामान्य रिजल्ट निम्न के संकेत दे सकता है:
अगर आपके रिजल्ट असामान्य स्तर पर आ जाते हैं, तो डॉक्टर अतिरिक्त टेस्ट करवाने के सुझाव दे सकते हैं।
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