रूबेला (जर्मन मीजल्स) एंटीबॉडी टेस्ट क्या है?
रूबेला (जर्मन मीजल्स) एंटीबॉडी टेस्ट रूबेला वायरस से लड़ने की क्षमता को जांचने के लिए शरीर में एंटीबॉडीज की संख्या का पता लगाता है। ये टेस्ट इस बात का पता लगाने के लिए किया जाता है कि आपका शरीर इस वायरस से लड़ सकता है या नहीं। रूबेला एंटीबॉडी दो प्रकार के होते हैं: आईजीएम और आईजीजी।
- रूबेला वायरस के रक्त में जाने के बाद आईजीएम एंटीबाडी पहले सामने आते हैं। आईजीएम एंटीबॉडीज संक्रमण के 7 से 10 दिनों में अत्यधिक स्तर तक पहुंच जाते हैं फिर अगले कुछ हफ़्तों में इसका स्तर गिरने लगता है। यह खून में उपस्थित हो सकता है और संक्रमित नवजात शिशुओं में कुछ महीनो या एक साल के भीतर इसका पता चल लग जाता है।
- आईजीजी एंटीबॉडीज निकलने में थोड़ा समय लगा सकते हैं लेकिन एक बार आने के बाद ये जीवन भर के लिए रहते है और भविष्य में होने वाले रूबेला संक्रमण से बचाते हैं।
रूबेला एक संक्रामक बीमारी है जो जल्दी फैलती है। यह छींक, खांसी और संक्रमित व्यक्ति की लार से भी फैल सकती है। रूबेला को जर्मन मीजल्स भी कहा जाता है, लेकिन यह मीजल्स (खसरा) से अलग होता है। मीजल्स से होने वाले रैशेज, रूबेला रैशेज की तरह नहीं होते। रूबेला रैशेज कम होते हैं और थोड़े समय के लिए ही रहते हैं।
रूबेला कोई घातक बीमारी नहीं है, लेकिन व्यस्कों के लिए एक गंभीर स्थिति बन सकती है। यह वायरस प्लेसेंटा से गर्भाशय में जा कर मिसकैरेज और शिशु में जन्मजात विकार की स्थितियों को पैदा कर सकता है।