आरटी-पीसीआर टेस्ट (रिवर्स-ट्रांसक्रिप्शन पॉलिमर्स चेन रिऐक्शन टेस्ट), वायरल इंफेक्शन और कई तरह के ट्यूमर का पता लगाने के लिए किया जाने वाला प्रमाणित टेस्ट है। नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 से होने वाली बीमारी कोविड-19 का पता लगाने के लिए किए जाने वाले टेस्ट में यह सबसे पहला और सफल डायग्नोस्टिक टेस्ट है। जनवरी 2020 में जब दुनियाभर में इस नए कोरोना वायरस इंफेक्शन के बारे में पता चले महज कुछ हफ्ते ही हुए थे, तभी से डॉक्टरों ने कोविड-19 बीमारी का पता लगाने के लिए इस टेस्ट का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था।

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च आईसीएमआर ने भी कोविड-19 की जांच के लिए इस टेस्ट को मंजूरी दे दी है। इस टेस्ट के बारे में और ज्यादा जानने के लिए यहां पढ़ें - 

(और पढ़ें - HRCT chest scan kya hota hai)

  1. आरटी-पीसीआर टेस्ट क्या है? - What is RT-PCR Test
  2. आरटी-पीसीआर क्यों किया जाता है? - Why is RT-PCR Test performed?
  3. आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए खुद को कैसे करें तैयार? - How do you prepare for RT-PCT Test?
  4. कैसे किया जाता है आरटी-पीसीआर टेस्ट? - How is RT-PCR performed?
  5. आरटी-पीसीआर टेस्ट के नतीजों का मतलब क्या है? - What do the result of RT-PCR Test mean?
आरटी-पीसीआर टेस्ट के डॉक्टर

आरटी-पीसीआर यानी रिवर्स ट्रासंक्रिप्टेस-पॉलिमर्स चेन रिऐक्शन, रोग की पहचान के लिए किया जाने वाला एक ऐसा टेस्ट है, जिसका इस्तेमाल यह जानने के लिए किया जाता है कि मौजूदा सैंपल में न्यूक्लेइक एसिड की मौजूदगी है या नहीं। न्यूक्लेइक ऐसिड, चीनी, फॉस्फेट और नाइट्रोजिनस बेस की लंबी चेन का बहुरूप है। इसमें डीएनए (डीऑक्सीरिबोन्यूक्लेइक ऐसिड) और आरएनए (रिबोन्यूक्लेइक एसिड) होता है।

डीएनए, इंसान के शरीर में मौजूद सभी विशिष्टताओं की कोडिंग के लिए जिम्मेदार होता है- इसमें आपकी आंखों के रंग से लेकर बालों के रंग और पैर में कितनी उंगलियां होगी ये सारी चीजें शामिल हैं। वहीं, आरएनए, एक संदेशवाहक की तरह काम करता है जो डीएनए के संदेश (कोड) को पहुंचाने का काम करता है ताकि जीवकोषीय प्रणाली इस संदेश का अनुवाद कर प्रोटीन बना सकें। इंसान के शरीर में मौजूद कोशिका में डीएनए, न्यूक्लियस यानी नाभिकीय बीज के अंदर रहता है। यह एक छोटा सा अंग है जो कोशिका के अंदर होता है।

हालांकि, कुछ वायरस में डीएनए नहीं होता। इसकी जगह उनका आरएनए ही जेनेटिक मटीरियल की तरह काम करता है। सामान्य आरएनए वायरस में हेपेटाइटिस सी वायरस, इन्फ्लूएंजा वायरस और कोरोना वायरस जैसे- SARS वायरस, MERS वायरस और सार्स-सीओवी-2 वायरस जिसकी वजह से कोविड-19 बीमारी होती है शामिल है।

पॉलिमर्स चेन रिऐक्शन या पीसीआर, एक ऐसी तकनीक है, जिसका इस्तेमाल क्लोन बनाने या फिर डीएनए या आरएनए की लाखों कॉपी या फिर किसी डीएनए या आरएनए के खास तरह के सेक्शन का चेन बनाने के लिए किया जाता है। डीएनए की कॉपी बनाने के लिए, पीसीआर मशीन इन्जाइम डीएनए पॉलिमर्स का इस्तेमाल करती है, जो हर बार शरीर में कोशिका विभाजित होने पर कोशिका में डीएनए की क्लोनिंग यानी प्रतिरूपण के लिए जिम्मेदार होती है।

आरटी-पीसीआर एक खास तरह का पीसीआर है जो आरएनए का विस्तार कर सकता है। क्लिनिकल सेटिंग्स में कभी-कभार इसका इस्तेमाल होता है ताकि शरीर में वायरल आरएनए की उपस्थिति है या नहीं इसका पता लगाया जा सके। शरीर में किसी तरह के वायरल एंटीजन की मौजूदगी का सीधे पता लगाने की बजाए आरटी-पीसीआर का इस्तेमाल करना ज्यादा असरदार और कारगर तरीका है। चूंकि बीमारी का पता लगाने के लिए बेहद कम मात्रा में भी आरएनए का इस्तेमाल किया जा सकता है। (वायरल एंटीजन खास तरह का प्रोटीन है, जो वायरस रिलीज करता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता इसके खिलाफ प्रतिक्रिया देती है) ज्यादातर आरटी-पीसीआर टेस्ट रियल-टाइम में अपने नतीजे देते हैं।

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आपके डॉक्टर कई कारणों से आपको आरटी-पीसीआर टेस्ट करवाने के लिए कह सकते हैं -

  • ताकि यह पता लगाया जा सके कि शरीर में खास तरह के वायरस जैसे- इन्फ्लूएंजा या सार्स-सीओवी-2 की मौजूदगी है या नहीं
  • ताकि यह पता लगाया जा सके कि खून में संचारित हो रहे आरएनए में किसी तरह का कैंसर या ट्यूमर तो नहीं है
  • कुछ खास तरह की जेनेटिक बीमारियां का पता लगाने के लिए। चूंकि आरएनए कोड, कोशिका में प्रोटीन के उत्पादन का काम करता है इसलिए आरटी-पीसीआर टेस्ट के जरिए शरीर में जीन्स की रचना कैसी है इसके बारे में जान सकते हैं।

आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए किसी खास तरह की तैयारी की जरूरत नहीं होती। आपके डॉक्टर ही आपको बता पाएंगे कि आपको इस टेस्ट से पहले खाली पेट रहने की जरूरत है या नहीं। अगर आप पहले से किसी तरह की दवाई, जड़ी-बूटी या सप्लिमेंट्स का सेवन कर रहे हों तो डॉक्टर को इसके बारे में बता दें क्योंकि इसका आपके टेस्ट के नतीजों पर असर पड़ सकता है।

आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए, आपके खून से सैंपल लिया जाता है या फिर नेजोफैरिन्जियल (नाक) या ओरोफैरिन्जियल (मुंह) के सैंपल को रुई के फाहे में लिया जाता है। इस टेस्ट के लिए किए जाने वाले ब्लड टेस्ट में बाजू में मौजूद नसों से खून का सैंपल लिया जाता है। नेजोफैरिन्जियल स्वैब (नाक का सैंपल) लेने का यह तरीका है -

  • डॉक्टर या लैब टेक्नीशियन आपसे कहेंगे कि अपने सिर को 70 डिग्री पीछे की तरफ कर लें।
  • अब वह एक स्वैब स्टिक को नाक के छेद के रास्ते नाक के पीछे की तरफ ले जाते हैं, इस बात का ध्यान रखते हुए कि स्वैब स्टिक नाक के बेस तक आसानी से पहुंच जाए।
  • स्वैब को कुछ सेकंड के लिए इसी पोजिशन में रखा जाता है, ताकि वह नाक में मौजूद किसी भी तरह के स्त्राव को सोख ले।
  • इसके बाद डॉक्टर या टेक्नीशियन, धीरे-धीरे स्वैब को घुमाते हुए नाक से बाहर निकाल लेते हैं।
  • अब इस स्वैब को साफ-सुथरी और रोगाणुहीन छोटी सी शीशी में बंद करके जांच के लिए लैब में भेज दिया जाता है।

ओरोफैरिन्जियल (मुंह) स्वैब टेस्ट के दौरान ठीक इसी प्रक्रिया को अपनाते हुए मुंह के अंदर से सैंपल लिया जाता है। अगर कोविड-19 के लिए आपका टेस्ट किया जा रहा है तो लैब टेक्नीशियन, नेजोफैरिन्जियल या ओरोफैरिन्जियल स्वैब सैंपल ले सकता है।

सामान्य नतीजे

आरटी-पीसीआर के लिए अगर आपके नतीजे नॉर्मल आते हैं तो इसका मतलब है कि दिए गए सैंपल में किसी भी तरह का वायरल आरएनए या आरएनए का ट्यूमर नहीं पाया गया। अगर किसी तरह के जेनेटिक कंडिशन के लिए टेस्ट किया गया था और वह नॉर्मल आता है तो इसका मतलब है कि जीन्स की रचना भी सामान्य है।

असामान्य नतीजे

अगर आरटी-पीसीआर टेस्ट के नतीजे असामान्य आते हैं तो यह इस बात की ओर इशारा करता है कि दिए गए सैंपल में वायरस या ट्यूमर का आरएनए मौजूद था या फिर जीन्स की रचना में किसी तरह की गलती पायी गई है। आरटी-पीसीआर इस बात का भी संकेत देता है कि शरीर में कितने वायरस मौजूद हैं। यह जानना बेहद जरूरी है क्योंकि वायरल लोड के जरिए शरीर में यह अंतर किया जा सकता है कि कितने वायरस सक्रिए हैं और कितने लंबे समय से शरीर में मौजूद हैं यानी दीर्घकालिक हैं।

इस टेस्ट के नतीजों के आधार पर ही, डॉक्टर यह बता पाएंगे कि आपका आगे का इलाज कैसे किया जाएगा।

(डिस्क्लेमर- सभी नतीजों को मरीज की शिकायत के आधार पर नैदानिक रूप से सहसम्बद्ध किया जाना जरूरी है तभी एक संपूर्ण और बिल्कुल सही डायग्नोसिस हो पाएगा। ऊपर दी गई जानकारी पूरी तरह से शैक्षणिक दृष्टिकोण से दी गई है और यह कहीं से भी योग्य डॉक्टर द्वारा दिए गए मेडिकल सुझाव का विकल्प नहीं है)

Dr Rahul Gam

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संदर्भ

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