आरएच एंटीबॉडी टाइटर टेस्ट क्या है?

आरएच एक प्रोटीन है जो कि लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर पाया जाता है। अधिकतर लोग आरएच पॉजिटिव होते हैं, जिसका मतलब है कि उनकी लाल रक्त कोशिकाओं में आरएच फैक्टर मौजूद है। जिनकी आरबीसी में यह प्रोटीन नहीं होता है वे आरएच नेगेटिव होते हैं।

एबीओ ब्लड ग्रुप की तरह आरएच स्वयं का एक ब्लड ग्रुप सिस्टम है। आरएच पॉजिटिव व्यक्ति आरएच नेगेटिव व्यक्ति को रक्त नहीं दे सकता है। यदि वह ऐसा करता है तो रक्त लेने वाले व्यक्ति के शरीर में आरएच प्रोटीन के खिलाफ विशेष एंटीबॉडीज बनने लगते हैं, जिससे ट्रांस्फ्यूजन रिएक्शन प्रतिक्रिया होगी। ट्रांसफ्यूजन रिएक्शन कुछ गंभीर मामलों में जानलेवा स्थिति हो सकती है।

किसी गर्भवती महिला में आरएच कम्पेटिबिलिटी एक बड़ा चिंता का विषय है। जब कोई आरएच-नेगेटिव महिला के गर्भ में आरएच-पॉजिटिव शिशु है तो उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली शिशु के रक्त से आरएच प्रोटीन को बाहरी पदार्थ समझकर उसके खिलाफ एंटीबॉडीज बना देती है।

हालांकि, पहले बच्चे में इसके कोई गंभीर प्रभाव नहीं होते है। लेकिन उसके बाद मां की प्रतिरक्षा प्रणाली आरएच प्रोटीन की एक खतरे के रूप में पहचान कर लेती है। ऐसी स्थिति में यदि महिला फिर से आरएच पॉजिटिव शिशु के साथ गर्भवती होती है तो अधिक गंभीर प्रतिक्रिया हो सकती है। आरएच एंटीबॉडीज गर्भनाल को पार कर के शिशु की लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट कर सकते हैं, जिससे स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
(और पढ़ें - गर्भावस्था में आरएच संवेदनशीलता)

  1. आरएच एंटीबॉडी टाइटर टेस्ट क्यों किया जाता है - Rh antibody titre Test Kyu Kiya Jata Hai
  2. आरएच एंटीबॉडी टाइटर टेस्ट से पहले - Rh antibody titre Test Se Pahle
  3. आरएच एंटीबॉडी टाइटर टेस्ट के दौरान - Rh antibody titre Test Ke Dauran
  4. आरएच एंटीबॉडी टाइटर टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब है - Rh antibody titre Test Ke Parinam Ka Kya Matlab Hai

आरएच एंटीबॉडी टाइटर टेस्ट क्यों किया जाता है?

आरएच एंटीबॉडी टाइटर की सलाह उन गर्भवती महिलाओं को दी जाती है, जिनके आरएच एंटीबॉडीज टेस्ट के परिणाम पॉजिटिव आते हैं।

ऐसा भी संभव है कि महिला में आरएच इनकम्पेटिबिलिटी (प्रतिकूलता) से संबंधित कोई लक्षण न दें, हालांकि उसके बच्चे में निम्न स्थितियां हो सकती हैं :

  • हेमोलिटिक एनीमिया
    यह ऐसी स्थिति है जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं तीव्रता से क्षतिग्रस्त होने लगती हैं। हेमोलिटिक एनीमिया के कुछ लक्षण निम्न हैं :
  • हीड्रोप्स फेटाइल्स
    यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर के भिन्न भागों में द्रव जमा होने लग जाता है। इसमें निम्न लक्षण दिखाई देते हैं :
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आरएच एंटीबॉडी टाइटर टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

इस टेस्ट के लिए किसी तैयारी की जरूरत नहीं होती है। टेस्ट से पहले भूखे रहने की भी जरूरत नहीं होती है।

आरएच एंटीबॉडी टाइटर टेस्ट कैसे किया जाता है?

डॉक्टर आपकी बांह की नस में सुई लगाकर सैंपल निकाल लेते हैं, जिसके लिए निम्न प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है :

  • डॉक्टर सबसे पहले आपकी ऊपरी बांह पर इलास्टिक बैंड बांध देंगे और आपसे मुट्ठी बनाने के लिए कहेंगे। इससे उन्हें ब्लड सैंपल निकालने में आसानी होगी।
  • एक टेस्ट ट्यूब से जुड़ी सुई को नस में डाला जाएगा और रक्त की थोड़ी सी मात्रा ले ली जाएगी
  • डॉक्टर सुई निकाल कर इंजेक्शन लगी जगह पर पट्टी लगा देंगे
  • इसके बाद सैंपल पर लेबल लगाकर और इसे लैब में टेस्ट के लिए भेज दिया जाएगा

इस पूरी प्रक्रिया में तीन मिनट से भी कम का समय लगता है। टेस्ट के बाद आपको सुई लगी जगह पर नील भी पड़ सकता है। हालांकि यह अपने आप ठीक हो जाएगा। यदि यह तकलीफ ठीक नहीं होती या फिर आपको किसी तरह का संक्रमण दिखाई देता है तो डॉक्टर से मिलें।

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आरएच एंटीबॉडी टाइटर टेस्ट के परिणाम क्या बताते हैं?

सामान्य परिणाम

सामान्य परिणाम को कम्पेटिबिल लिखा जाता है जिसका मतलब है कि कोई आरएच एंटीबॉडीज नहीं पाए गए हैं।

असामान्य परिणाम

टाइटर का स्तर 1:4 से अधिक होना आरएच एलोइम्यूनाइजेशन होने का संकेत देता है, जिसका मतलब है कि आरएच कम्पेटिबल नहीं है।

माता में एंटीबॉडी लेवल की जांच करके टाइटर के 1:8 या इससे कम स्तर को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। हालांकि अगर स्तर 1:16 से अधिक है तो यह जरूरी है कि आप बच्चे के स्वास्थ्य की जांच करवा लें।

संदर्भ

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