प्रोटीन एस टेस्ट क्या है?
प्रोटीन एस टेस्ट रक्त में ग्लाइकोप्रोटीन (कार्बोहाइड्रेट से जुड़ा हुआ एक प्रोटीन) या प्रोटीन एस के स्तर की जांच करने के लिए किया जाता है।
प्रोटीन एस एक ग्लाइकोप्रोटीन है जो कि विटामिन K पर निर्भर है। यह सबसे पहले लिवर में संकलित होता है और इसके बाद एंडोथेलियल कोशिकाओं द्वारा छोटी-छोटी मात्रा में इसका संश्लेषण होता है। यह सक्रिय प्रोटीन C के साथ मिलकर कार्य करता है ताकि प्रोकोएग्युलेंट फैक्टर विए (Va) और विआईआईआईए (VIIIa) को असक्रिय किया जा सके। 60 प्रतिशत तक प्रोटीन एस सी4बी बाइंडिंग प्रोटीन के साथ बंधता है वहीं बचा हुआ स्वतंत्र रूप से रहता है। फ्री प्रोटीन एस में थक्कारोधी गुण होते हैं।
प्रोटीन एस आपके शरीर में रक्त के थक्के जमने से बचाता है। हालांकि, जिन लोगों में इसकी कमी होती है, उनके शरीर में रक्त के अत्यधिक और अनियंत्रित रूप से थक्के जमते हैं। आमतौर पर यह कमी आनुवंशिक होती है, लेकिन यह बाद में भी हो सकती है। यह सामान्य से गंभीर हो सकती है।
प्रोटीन एस की कमी से आपको डीप वेन थ्रोम्बोसिस हो जाता है। इस स्थिति में बांह और टांगों की अंदरूनी नसों में रक्त के थक्के जमने लगते हैं।
ये थक्के पूरे शरीर में संचारित होने लगते हैं और यदि ये आपके फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं तो इससे जानलेवा स्थिति पल्मोनरी एम्बोलिस्म हो सकती है। अधिकतर लोग जिन्हें प्रोटीन एस की थोड़ी ही कमी होती है, हो सकता है कि उन्हें कभी भी थक्के जमने से संबंधित विकार न हो।
ऐसे कुछ घटक हैं जिनके कारण उन लोगों में भी थक्के जमने का विकार पैदा हो सकता है जिन्हें प्रोटीन एस की सामान्य रूप से कमी होती है। इनमें निम्न शामिल हैं -
- सर्जरी
- बढ़ती उम्र
- गर्भावस्था
- स्थिरता
- प्रोटीन एस की कमी के साथ अन्य क्लॉटिंग विकारों का होना
यह स्थिति कम मामलों में ही गंभीर होती है। जिन बच्चों में इसकी गंभीर रूप से कमी होती है उनमें पूरे शरीर में थक्के छोटी-छोटी रक्त वाहिकाओं में जम जाते हैं और जिससे टिशू नेक्रोसिस (ऊतक नष्ट होना) हो जाता है। शरीर में अत्यधिक थक्के जमने के कारण मौजूद क्लॉटिंग प्रोटीन का प्रयोग हो जाता है। जिससे शरीर के अंगों में असामान्य रूप से रक्तस्त्राव होने लगता है और त्वचा पर बैंगनी रंग के घाव दिखाई देने लगते हैं। इस स्थिति को पुरपुरा फलमिनस कहते हैं। इस स्थिति से गुजर रहे लोगों को जीवन भर पुरपुरा फलमिनस के अटैक आते हैं।
प्रोटीन एस की कमी से शरीर में इसकी खपत बढ़ जाएगी या फिर लिवर द्वारा इसका उत्पादन कम हो जाएगा।