प्रोटीन सी टेस्ट रक्त में प्रोटीन सी की मात्रा का पता लगाता है।

प्रोटीन सी की कार्य प्रक्रिया विटामिन के की एंटी क्लॉटिंग प्रोएंजाइम पर निर्भर करती हैं। यह प्लाज्मा में संचारित होता है और प्रोटीन सी को बनाने के लिए कार्यरत होता है। यह सक्रिय रूप थक्का रोधी की तरह कार्य करता है और कोआग्युलेशन फैक्टर और  VIII को निष्क्रिय कर देता है।

प्रोटीन सी रक्त के थक्के जमने से बचाता है। आमतौर पर आपका शरीर किसी भी चोट या खरोंच के लगने पर थक्के बनाता है। यदि रक्त में प्रोटीन सी के स्तर बहुत ही कम हैं तो रक्त के थक्के कई ज्यादा बनेंगे, जिससे रक्त वाहिकाएं अवरुद्ध हो सकती हैं। क्लॉट शरीर के किसी भी भाग में जम सकता है और फेफड़ों तक जा सकता है। यदि क्लॉट आपके फेफड़ों तक पहुंच जाता है तो इससे प्राणघातक स्थिति पल्मोनरी एम्बोलिस्म पैदा हो सकती है।

यदि आपके प्रोटीन सी के स्तर सामान्य से अधिक हैं तो इससे किसी समस्या का कोई खतरा नहीं है।

प्रोटीन सी की कमी एक आनुवंशिक विकार है। कभी-कभी जीवन में अन्य कारणों की वजह से भी ये कमी हो जाती है। ये कमी सामान्य या गंभीर भी हो सकती है। जिन लोगों में इसके सामान्य लक्षण दिखाई देते हैं उनमें कभी भी जानलेवा थक्के नहीं जम सकते हैं। हालांकि, निम्न स्थितियों में गंभीर रूप से थक्के जमने की समस्या हो सकती है :

 प्रोटीन सी की कमी चाहे आनुवंशिक हो या बाद में हुई हो, इस टेस्ट की मदद से थक्कों को जमने से रोकने के बारे में भी पता लगाया जा सकता है।

  1. प्रोटीन सी टेस्ट क्यों किया जाता है - Protein C test kyon kiya jata hai
  2. प्रोटीन सी टेस्ट से पहले - Protein C test se pahle
  3. प्रोटीन सी टेस्ट के दौरान - Protein C test ke dauran
  4. प्रोटीन सी टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब है - Protein C test ke parinam ka kya matlab hai

प्रोटीन सी टेस्ट किसलिए किया जाता है?

आमतौर पर थ्रोम्बोटिक (क्लॉटिंग) की स्थिति होने पर जैसे थ्रोम्बोएम्बोलिस्म में डॉक्टर इस टेस्ट की सलाह दे सकते हैं। इस टेस्ट की सलाह आमतौर पर निम्न स्थितियों में दी जाती है :

  • पचास वर्ष से कम आयु के लोगों में खून के थक्के जमना
  • अत्यधिक थक्के जमना
  • असामान्य जगहों पर थक्के जमना जैसे किडनी, लिवर या मस्तिष्क की रक्त वह्नियों में
  • नवजात शिशु, जिसमें गंभीर रूप से क्लॉटिंग के विकार होने का संदेह हो जैसे पुरपुरा फुलमिनांस या डिसेमिनटेड इंट्रावैस्कुलर कोआग्युलेशन
  • प्रोटीन सी की कमी का पारिवारिक इतिहास
  • थक्के जमने का पारिवारिक इतिहास

चूंकि, यह एक आनुवंशिक विकार है, इसीलिए जिन लोगों के परिवार में किसी करीबी व्यक्ति को प्रोटीन सी की कमी होती है, उनमें इसको स्क्रीनिंग टेस्ट की तरह भी प्रयोग किया जाता है।

यह टेस्ट किसी महिला में बार-बार हो रहे गर्भपात की जांच करने के लिए भी किया जाता है।

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इस टेस्ट के लिए आपको भूखे रहने की जरूरत नहीं होती। यदि आप कोई भी दवा, ओटीसी, विटामिन या अन्य सप्लीमेंट ले रहे हैं, तो इसके बारे में डॉक्टर को बताएं। डॉक्टर आपको ऐसी दवाएं लेने से मना कर सकते हैं, जिनसे टेस्ट के परिणाम प्रभावित हों। इन दवाओं में निम्न शामिल हैं :

क्लॉटिंग होने के कम से कम दस दिन बाद इस टेस्ट को करवाना चाहिए।

प्रोटीन सी टेस्ट के लिए ब्लड सैंपल लेने की जरूरत होती है। सैंपल लेने में कुछ मिनट का समय लगता है। लैब टेक्नीशियन निम्न प्रक्रिया द्वारा ब्लड सैंपल ले लेंगे :

  • वह आपकी बांह के ऊपरी हिस्से में टाइट इलास्टिक बैंड बांधेंगे, जिसे टूनिकेट कहते हैं और इंजेक्शन लगने वाली जगह को एंटीसेप्टिक से साफ करेंगे।
  • सुई से आपकी बांह की नस में से खून निकाल लिया जाएगा।
  • सैंपल लेने के बाद टेक्नीशियन बैंड हटा देगा और इंजेक्शन लगी जगह पर कॉटन लगा देगा।
  • इसके बाद सैंपल के कंटेनर पर लेबल लगाकर उसे लैब में भेज दिया जाएगा।

ब्लड टेस्ट से कुछ जोखिम जुड़े हुए हैं, जैसे :

सुई लगने से आपको हल्का सा दर्द हो सकता है, लेकिन यह जल्दी ही ठीक हो जाएगा।

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सामान्य परिणाम 

रक्त में 70 फीसद - 150 फीसद प्रोटीन सी के स्तर को सामान्य माना जाता है। उम्र के साथ प्रोटीन सी के स्तर घटते रहते हैं। महिलाओं में प्रोटीन सी के स्तर पुरुषों से कम होते हैं।

टेस्ट के परिणाम निम्न के अनुसार अलग आ सकते हैं :

  • उम्र
  • लिंग
  • पिछला स्वास्थ्य
  • टेस्ट के लिए प्रयोग में लाया गया तरीका

आपके परिणामों का क्या मतलब है इसके बारे में डॉक्टर से बातचीत करें।

असामान्य परिणाम

बढ़े हुए स्तर के लिए डॉक्टर के पास जाने की आवश्यकता नहीं होती।

प्रोटीन सी के कम स्तर निम्न स्थितियों में देखे जा सकते हैं :

वार्फरिन की तरह रक्त को पतला करने वाली दवाएं भी प्रोटीन सी के स्तर को कम कर सकती हैं। 

परीक्षण की पुष्टि करने के लिए भी डॉक्टर प्रोटीन सी टेस्ट दोबारा कर सकते हैं। अक्वायर्ड डेफिशियेंसी के मामले में स्थिति की जांच के लिए डॉक्टर समय-समय पर प्रोटीन सी के स्तरों पर नजर रखते हैं।

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