प्रीऑपरेटिव पैनल क्या है?
प्रीऑपरेटिव पैनल कई सारे टेस्टों का एक समूह है, जो कि डॉक्टर किसी भी सर्जरी से पहले करते हैं। प्रीऑपरेटिव शब्द का मतलब सर्जरी या ऑपरेशन से पहले है।
इसमें निम्न टेस्ट आते हैं -
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ब्लड शुगर (रैंडम) - रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट आपके शरीर में ग्लूकोज नामक विशेष शुगर की जांच करने के लिए किया जाता है। ग्लूकोज शरीर में ऊर्जा का मुख्य स्रोत है। इंसुलिन हार्मोन रक्त में से कोशिकाओं में ग्लूकोज को संचारित करने में मदद करता है। यदि आपके ब्लड ग्लूकोज के स्तर अत्यधिक (हाइपरग्लाइसीमिया) हैं, तो यह स्थिति डायबिटीज की तरफ संकेत करती है। डायबिटीज से आपके शरीर में कई सारी जटिलताएं पैदा हो सकती हैं, जैसे संक्रमण, घाव का धीरे-धीरे भरना, किडनी फेलियर और हृदय रोग। ग्लूकोज का कम स्तर होना (हाइपोग्लाइसीमिया) भी स्वस्थ स्थिति नहीं है, यदि इसका इलाज नहीं किया जाए तो इससे ब्रेन डैमेज हो सकता है। रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट दिन के किसी भी समय किया जा सकता है
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एबीओ इनकॉम्पैटीब्लिटी (ब्लड ग्रुप और आरएच फैक्टर) - यह टेस्ट आपके रक्त के प्रकार का पता लगाने के लिए किया जाता है। यह इसीलिए किया जाता है ताकि आपका रक्ताधान आसानी से किया जा सके। एबीओ सिस्टम के अनुसार चार प्रकार के रक्त समूह होते हैं - ए, बी, एबी और ओ। आपको ब्लड ग्रुप अपने माता-पिता से आनुवंशिकता के तौर पर मिलता है। ए और बी आरबीसी की सतह पर मौजूद दो एंटीजन या प्रोटीन होता है। आपके रक्त का प्रकार उस एंटीजन पर निर्भर करता है जो कि आपने ग्रहण किया है। यदि आपके आरबीसी पर ए एंटीजन है तो आपका ब्लड टाइप ए होगा और अगर आपके आरबीसी पर बी एंटीजन है तो आपके रक्त का प्रकार बी होगा। यदि आपके पास दोनों में से कोई भी नहीं है तो आपका ब्लड ग्रुप ओ होगा और यदि दोनों मौजूद हैं तो यह एबी होगा। यह टेस्ट आरबीसी पर मौजूद एक अन्य पदार्थ आरएच फैक्टर का भी पता लगाता है। आरएच फैक्टर या तो पॉजिटिव या फिर नेगेटिव होता है। यदि रक्ताधान के समय आपको कोई ऐसा रक्त का प्रकार दिया गया है, जो कि आपके ब्लड ग्रुप से मेल नहीं खाता है तो इससे ब्लड ट्रांसफ्यूशन रिएक्शन हो सकता है जिससे कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
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कम्पलीट ब्लड काउंट (सीबीसी) - सीबीसी टेस्ट आपके पूरे स्वास्थ्य का एक इंडिकेटर है और यह भिन्न स्थितियों जैसे ल्यूकेमिया, एनीमिया और संक्रमणों का पता लगाता है। इस टेस्ट से निम्न के बारे में जानकारी मिलती है -
- सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या और प्रकार - डब्ल्यूबीसी संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। यह पांच प्रकार के होते हैं - लिम्फोसाइट्स, न्यूट्रोफिल्स, बेसोफिल्स, इओसिनोफिल्स और मोनोसाइट्स। सभी प्रकार के डब्ल्यूबीएसी का अपना एक भिन्न कार्य होता है। यदि डब्ल्यूबीसवी की संख्या अधिक होती है तो यह शरीर में सूजन या संक्रमण होने की तरफ संकेत करता है वहीं डब्ल्यूबीसी की कम मात्रा का मतलब है कि आपको संक्रमण हो सकता है।
- आरबीसी की संख्या - आरबीसी पूरे शरीर से ऑक्सीजन का संचरण करती है और अतिरिक्त कार्बनडाईऑक्साइड को निकालती है। यदि आपके आरबीसी की संख्या कम है तो इसका मतलब आपको एनीमिया या फिर कोई अन्य रोग है। यदि आपका आरबीसी के स्तर बहुत अधिक है तो इससे रक्त प्रवाह में समस्याएं और ब्लड क्लॉट के खतरे बढ़ जाते हैं।
- हीमेटोक्रिट (एचसीटी) - हेमेटोक्रिट टेस्ट आपके रक्त में आरबीसी की प्रतिशत संख्या का पता लगाता है। यदि आपके एचसीटी कम हैं तो यह आयरन की कमी या फिर किसी अन्य स्वास्थ्य विकार की तरफ संकेत कर सकता है। हिमेटोक्रिट के कम स्तर अत्यधिक रक्तस्त्राव के खतरे को बढ़ा सकते हैं। यदि आपके एचसीटी के परिणाम अधिक हैं, तो यह पानी की कमी या फिर अन्य किसी विकार के कारण हो सकता है। लो एचसीटी लेवल का मतलब है कि आपके ऊतकों को ऑक्सीजन की मात्रा पर्याप्त रूप से नहीं मिल पा रही है। असामान्य एचसीटी किसी न किसी खतरे की तरफ संकेत करता है।
- हीमोग्लोबिन (एचबी,एएचजीबी) - हीमोग्लोबिन आरबीसी में पाया जाने वाला एक प्रोटीन है जो कि फेफड़ों से शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाता है। असामान्य एचबी वैल्यू एनीमिया और फेफड़ों से संबंधित रोगों की स्थितियों में देखे जाते हैं। लो हिमेटोक्रिट स्तरों की तरह लो हीमोग्लोबिन से भी मरीज में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और सर्जरी के दौरान रक्ताधान की जरूरत पड़ती है।
- प्लेटलेट काउंट - प्लेटलेट्स छोटी कोशिकाएं होती हैं जो कि क्लॉटिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। प्लेटलेट की मात्रा कम होने से शरीर में अत्यधिक रक्तस्त्राव होने की स्थिति पैदा हो सकती है, वहीं अधिक प्लेटलेट काउंट से शरीर में क्लॉटिंग का खतरा बढ़ जाता है।
- आरबीसी इंडिसेस - सीबीसी मीन कर्पुसकुलर वॉल्यूम (एमसीवी या आरबीसी का औसत आकार), मीन कर्पुसकुलर एचबी (एमसीएच या प्रति आरसीबी पर एचबी की मात्रा) और मीन कर्पुसकुलर एचबी कंसंट्रेशन (एमसीएचसी या प्रति आरबीसी पर एचबी का जमाव) आदि के बारे में भी जानकारी दे देता है। ये इंडिसेस एनीमिया के प्रकार के बारे में पता लगाने में और उसके ट्रीटमेंट के बारे में जानने में मदद करता है।
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हेपेटाइटिस बी सरफेस एंटीजन (एचबीएसएजी) - यह ब्लड टेस्ट इस बात का पता लगाता है कि आपको लंबे समय से या हाल ही में हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) से कोई संक्रमण न हुआ हो। एचबीवी की सतह में एंटीजन (एक प्रकार के प्रोटीन) होते हैं, जो कि ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया करते हैं। ये एंटीजन संक्रमण के कुछ हफ़्तों बाद तक रक्त में पाए जा सकते हैं। एचबीएसएजी की मौजूदगी एचबीवी संक्रमण का एक शुरुआती संकेत है। यह वायरस लिवर में संक्रमण जैसी स्थितियां पैदा कर सकता है और अत्यधिक संक्रामक है।
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हेपेटाइटिस सी वायरस (एचसीवी) एंटीबॉडी - यह टेस्ट आपके शरीर में विशेष प्रोटीन जिन्हें एंटीबॉडीज कहा जाता है की जांच करने में मदद करता है। ये एंटीबॉडी शरीर द्वारा एचसीवी के संक्रमण से लड़ने के लिए बनाए जाते हैं। हेपेटाइटिस बी की ही तरह एचसीवी भी अत्यधिक संक्रामक होता है।
- ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) 1 और 2 एंटीबाडी - एचआईवी एक अत्यधिक संक्रामक संक्रमण है जो कि ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस से होता है। एचआईवी दो प्रकार का होता है एचआईवी 1 और एचआईवी 2. यह वायरस इम्यून सिस्टम पर आक्रमण करता है और इसे क्षतिग्रस्त करता है, जिससे व्यक्ति संक्रमण के प्रति संवेदनशील हो जाता है।