पॉलीसिस्टिक ओवरियन डिजीज (पीसीओडी) पैनल क्या है?
(पीसीओडी) एक हार्मोनल विकार है जो कि महिलाओं को उनकी प्रजनन की उम्र में प्रभावित करता है। यह लक्षणों के समूह से जुड़ा होता है जिसमें अनियमित पीरियड्स, मुंह या शरीर पर अत्यधिक बाल और बांझपन शामिल हैं।
वैसे पीसीओडी का सही कारण आज भी पता नहीं चल पाया है। लेकिन अनुवांशिक कारकों, इन्सुलिन और पुरुष हार्मोन का अधिक स्तर या ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने वाले हार्मोन का अधिक स्तर इसका संभावित कारण माना जाता है।
पीसीओडी पैनल से पॉलिसिस्टिक ओवेरियन डिजीज के परीक्षण में मदद मिलती है। इसके अंतर्गत इन सभी हार्मोन की जांच की जाती है साथ ही उन हार्मोन का परीक्षण भी किया जाता है जो इनके बनने और स्त्रावित होने के लिए जिम्मेदार होते हैं। इसमें निम्न टेस्ट आते हैं:
- ग्लूकोज
- डीहाइड्रोएपियनड्रोस्टेरॉन सल्फेट (डीएचईए-एस)
- फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन (एफएसएच)
- ल्यूटीनाइज़िन्ग हार्मोन
- इन्सुलिन
- टोटल टेस्टोस्टेरोन
- थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच)
- प्रोलैक्टिन (पीआरएल)
डीएचईए-एस:
ये पुरुष सेक्स हार्मोन महिला और पुरुष दोनों में पाया जाता है। यह एड्रिनल ग्रंथि द्वारा बनाया जाता है और एस्ट्रोजन व टेस्टोस्टेरोन में बदल दिया जाता है। जब आप प्यूबर्टी की उम्र में पहुंचते हैं तो ये हार्मोन दूसरे यौन लक्षणों के विकास में मदद करता है। हालांकि, डीएचईए-एस के उच्च स्तर महिलाओं में अतिसक्रिय एड्रिनल ग्रंथि की तरफ संकेत करते हैं। इनके कारण महिलाओं में पुरुषों जैसे लक्षण, शरीर और चेहरे पर अतिरिक्त बाल और मासिक धर्म संबंधी समस्याएं होती हैं।
ग्लूकोज और इन्सुलिन:
इन्सुलिन, रक्त से शुगर निकाल कर लिवर में जमा करने का कार्य करता है। पीसीओडी से ग्रस्त लगभग 30 से 40 प्रतिशत महिलाओं में ग्लूकोज का स्तर अधिक होने के कारण उन्हें इन्सुलिन रेजिस्टेंस की समस्या हो जाती है।। इसे नियंत्रित करने के लिए अग्नाशय और अधिक इन्सुलिन बनाता है जिससे शरीर में इन्सुलिन का स्तर और अधिक बढ़ जाता है। अध्ययन के अनुसार पीसीओएस में इन्सुलिन रेजिस्टेंस के कारण एड्रिनल ग्रंथि द्वारा अत्यधिक पुरुष हार्मोन बनाए जाते हैं जिसके परिणामस्वरूप महिलाओं में पुरुषों जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
एफएसएच:
पिट्यूटरी ग्रंथि एक मटर के आकार की ग्रंथि होती है जो मस्तिष्क के निचले हिस्से में स्थित होती है, जो महिला और पुरुष दोनों में एफएसएच स्त्रावित करती है। ये हार्मोन महिला और पुरुष दोनों में टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन के सामान्य स्तर को बनाए रखने में मदद करते हैं। यह व्यक्ति के यौन विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, साथ ही ये हार्मोन महिलाओं में अंडे (अंडाणु) और पुरुषों में शुक्राणुओं को बनाने में मदद करता है। एफएसएच के स्तर पुरुषों में प्यूबर्टी के समय बढ़ने लगते हैं और जीवन भर रहते हैं। वहीं महिलाओं में ये स्तर मासिक धर्म चक्र की विभिन्न अवस्थाओं में अलग-अलग होते हैं। इसीलिए पीसीओडी जैसी स्थितियों के परीक्षण के लिए यह काफी उपयोगी है।
एलएच:
एलएच पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा स्त्रावित किया जाने वाला एक अन्य हार्मोन है। यह महिलाओं में ओवरियन फॉलिकल्स के विकास के लिए जिम्मेदार होता है। एलएच ओवुलेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसीलिए यह हार्मोन फर्टिलिटी संबंधी समस्याओं जैसे पीसीओडी के परीक्षण के लिए महत्वपूर्ण माना जा सकता है।
टोटल टेस्टोस्टेरोन:
वैसे टेस्टोस्टेरोन मुख्य रूप से एक पुरुष हार्मोन है लेकिन यह महिलाओं और पुरुषों दोनों में ही मिलता है। टोटल टेस्टोस्टेरोन में रक्त में मौजूद फ्री टेस्टोस्टेरोन और प्रोटीन में बाउंड (से जुड़े) टेस्टोस्टेरोन शामिल होते हैं। टेस्टोस्टेरोन के असामान्य स्तर यौन लक्षणों संबंधी स्थितियों के परीक्षणों में मदद करते हैं जैसे महिलाओं में पुरुषों के जैसे लक्षण होना।
टीएसएच:
एंटीरियर पिट्यूटरी ग्लैंड (पीयूष ग्रंथि का अंदरुनी हिस्सा) टीएसएच भी स्त्रावित करता है, जो कि थायराइड हार्मोन (टी3 और टी4) के ठीक प्रकार से कार्य करने में मदद करता है। थायराइड हार्मोन हमारे शरीर के विकास व वृद्धि और सााथ ही मेटाबोलिक कार्यो के लिए महत्वपूर्ण है। चूंकि, टीएसएच के असामान्य स्तर और पीसीओडी के लक्षण एक जैसे ही होते हैं, इसीलिए यह टेस्ट टीएसएच संबंधी स्थितियों को अलग करने में मदद करेगा जिससे पीसीओडी के परीक्षण में मदद मिलेगी।
पीआरएल:
पीआरएल पीट्यूरी ग्रंथि द्वारा बनाया जाता है। पीआरएल मेटाबॉलिज्म, शारीरिक और यौन विकास में मदद करता है। यह स्तन पान कराने वाली महिलाओं में दूध बनाने की क्रिया को उत्तेजित करता है और जो महिलाएं गर्भवती नहीं हैं उनमें पीरियड्स को ठीक प्रकार से नियंत्रित करता है।