प्लाज्मा रेनिन एक्टिविटी (पीआरए) टेस्ट क्या है?

रेनिन एक हार्मोन है जो शरीर में द्रव्य के संतुलन और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मदद करता है। यह निम्न स्थितियों की प्रतिक्रिया स्वरूप किडनी द्वारा बनाया जाता है:

  • लो ब्लड वॉल्यूम
  • लो सोडियम लेवल
  • पोटेशियम के उच्च स्तर

यह हार्मोन एंजाइम की तरह कार्य करता है। यह एंजियोटेन्सिनोजेन प्रोटीन को एंजियोटेनसिन I में बदल देता है। एंजियोटेनसिन I बाद में एंजाइम एंजियोटेनसिन-कंवर्टिंग नाम के एक एंजाइम (एसीई) द्वारा एंजियोटेनसिन II में बदल दिया जाता है। एंजियोटेनसिन II द्रव के संतुलन और रक्तचाप को निम्न तरीके से सामान्य स्थिति में लाता है:

  • यह रक्त वाहिकाओं को संकुचित कर देता है जिससे हमारा ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है
  • यह एड्रिनल ग्रंथि में एल्डोस्टेरोन हार्मोन के स्त्राव को उत्तेजित करता है, जिससे सोडियम व पानी को बचाया जा सके और पोटेशियम को निकाला जा सके।

पीआरए टेस्ट रेनिन द्वारा एंजियोटेंसिनोजन से एंजियोटेनसिन I बनाने की क्षमता का अनुमान लगाता है। उदाहरण के लिए प्रति 1 यूनिट टाइम में कितना एंजियोटेनसिन I बन सकता है।

  1. पीआरए टेस्ट क्यों किया जाता है - PRA Test Kyu Kiya Jata Hai
  2. पीआरए टेस्ट से पहले - PRA Test Se Pahle
  3. पीआरए टेस्ट के दौरान - PRA Test Ke Dauran
  4. पीआरए टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज - PRA Test Result and Normal Range

पीआरए टेस्ट क्यों किया जाता है?

आपके उच्च रक्तचाप का कारण जानने के लिए भी डॉक्टर पीआरए टेस्ट करवाने के लिए कह सकते हैं। यह विशेषकर रेनोवैस्कुलर हाइपरटेंशन की जांच करता है, जो कि उच्च रक्त चाप है। यह किडनी तक रक्त पहुंचाने वाली रक्त वाहिकाओं के संकुचित होने के कारण होता है।

बढ़े हुए रक्त चाप का सटीक कारण जानने के लिए पीआरए टेस्ट के साथ निम्न टेस्ट किए जाते हैं:

  • एल्डोस्टेरोन टेस्ट -
    पीआरए के साथ एल्डोस्टेरोन टेस्ट करने से हाइपरएल्डोस्टेरोनिज्म (एल्डोस्टेरोन का अत्यधिक उत्पादन) के प्रकार की जांच करने में मदद मिलती है। हाइपरएल्डोस्टेरोनिज्म हाइपरटेंशन का एक प्रकार है। दो तरह के हाइपरएल्डोस्टेरोनिज्म होते हैं -

    • प्राइमरी हाइपरएल्डोस्टेरोनिज्म -
      जब एड्रिनल ग्रंथि के साथ कोई समस्या पैदा होती है तो यह बनता है। हाइपरएल्डोस्टेरोनिज्म से ग्रस्त लोगों में एल्डोस्टेरोन का स्तर अधिक होगा और रेनिन एक्टिविटी कम होगी।
       
    • सेकेंडरी हाइपरएल्डोस्टेरोनिज्म - 
      जब एड्रिनल ग्रंथि के बाहर हुई समस्याओं से अत्यधिक एल्डोस्टेरोन स्त्रावित होता है, तो उसे सेकेंडरी हाइपरएल्डोस्टेरोनिज्म कहा जाता है। किडनी रोग के कारण सेकेंडरी हाइपरएल्डोस्टेरोनिज्म से ग्रस्त लोगों में एल्डोस्टेरोन और रेनिन दोनों के स्तर ही अधिक होंगे।
       
  • रीनल वेन रेनिन ऐसे -
    इस टेस्ट में, ब्लड सैंपल में पीआरए  किडनी की दोनों नसों से लिया जाता है। यदि उच्च रक्त चाप मुख्य कारण गुर्दे की नसों का संकुचित होना या गुर्दे संबंधी कोई अन्य रोग है तो प्रभावित किडनी के रीनल वेन रेनिन लेवल सामान्य से अधिक होंगे।
     
  • रेनिन स्टिमुलेशन टेस्ट -
    एल्डोस्टेरोनिज्म के प्रकार का पता लगाने के लिए रेनिन स्टिमुलेशन टेस्ट किया जाता है। यह टेस्ट रेनिन के स्तर पर लो सोडियम डाइट और शरीर की पोजीशन के प्रभाव के बारे पता लगाता है। प्राइमरी हाइपरएल्डोस्टेरोनिज्म में लो सोडियम डाइट और शरीर की पोजीशन में बदलाव से प्लाज्मा रेनिन पर प्रभाव नहीं पड़ेगा। जबकि सेकेंडरी हाइपरएल्डोस्टेरोनिज्म में लो सोडियम डाइट और शरीर की पोजीशन बदलने से रेनिन के स्तर बढ़ते हैं।
     
  • कैप्टोप्रिल टेस्ट -
    कैप्टोप्रिल टेस्ट भी रेनोवैस्कुलर हाइपरटेंशन के लिए किया जाने वाला एक स्क्रीनिंग टेस्ट है। इस टेस्ट में व्यक्ति को कैप्टोप्रिल नामक ब्लड प्रेशर की दवा दी जाती है। जिन लोगों को रेनोवैस्कुलर हाइपरटेंशन है, उनमें कैप्टोप्रिल की दवा लेते ही ब्लड प्रेशर में तेजी से गिरवाट होती है। यह गिरावट एसेंशियल हाइपरटेंशन से ग्रस्त लोगों की तुलना में रेनोवैस्कुलर हाइपरटेंशन वाले लोगों में अधिक तीव्रता से होती है।
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पीआरए टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

टेस्ट के लिए रात भर भूखे रहने की जरूरत होती है, क्योंकि रेनिन के स्तर सुबह के समय अधिक हो सकते हैं। अधिक नमक वाली और मुलेठी का सेवन करने से टेस्ट के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं। कुछ अन्य कारक भी हैं, जो रेनिन के स्तर बढ़ा देते हैं जैसे:

ऐसे घटक जिनके कारण रेनिन के स्तर कम होने लगते हैं:

  • लेटने की पॉजिशन (लेटना)
  • बीटा-ब्लॉकर
  • क्लोनिडीन
  • नॉनस्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी एजेंट
  • पोटेशियम
  • रिसर्पिन

डॉक्टर आपसे टेस्ट से दो चार हफ्ते पहले कुछ दवाएं (ऊपर बताई गई) न लेने के लिए कह सकते हैं। उदाहरण के लिए स्पायरोनोलैक्टिन, टेस्ट से चार-छह हफ्ते पहले बंद कर दी जाती है। हालांकि, डॉक्टर से पूछे बिना आप कोई भी दवा लेना अपने आप बंद न करें।

इसके अलावा टेस्ट से तीन दिन पहले तक आपको प्रतिदिन 3 ग्राम से अधिक नमक लेने से मना किया जाता है।

पीआरए टेस्ट कैसे किया जाता है?

डॉक्टर आपको टेस्ट की प्रक्रिया के बारे में समझा देंगे। टेस्ट से पहले आपको सीधे बैठने या लेटने के लिए कहा जा सकता है। इसके बाद निम्न तरीके से ब्लड सैंपल ले लिया जाएगा:

  • लैब टेक्नीशियन आपकी बांह के ऊपरी भाग पर एक इलास्टिक बैंड बाध देंगे। इससे डॉक्टर को नस ढूंढने में आसानी होगी।
  • इसके बाद नस में सुई लगाकर ब्लड सैंपल की थोड़ी सी मात्रा ले ली जाएगी।
  • इसके बाद ब्लड सैंपल को टेस्ट के लिए लैब में भेज दिया जाएगा।

रेनिन स्टिमुलेशन टेस्ट के लिए मरीज को लिटाकर या सीधे बैठाकर दोनों ही अवस्थाओं में ब्लड सैंपल लिया जा सकता है। लेटी हुई अवस्था में सैंपल लेने के दौरान डॉक्टर मरीज के सुबह बिस्तर छोड़ने से पहले सैंपल लेते हैं।

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पीआरए टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज

सामान्य परिणाम :

पीआरए की सामान्य वैल्यू प्रति घंटे में नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर में लिखी जाती है। निम्न सारणी में सामान्य वैल्यू दी गई हैं:

सामान्य सोडियम डाइट, बैठने की अवस्था में 

PRA (ng/mL/hr)

वयस्क

0.5-4.0 

बच्चे

 

4-5 साल 

≤ 15 

6-10 साल 

≤ 17

11-15 साल 

≤ 16

सामान्य सोडियम डाइट, लेटने की अवस्था में

 

व्यस्क

0.2-1.6 

बच्चे 

 

 नवजात (1-7 दिन)

2.0-35.0

 कॉर्ड ब्लड

4.0-32.0

 1-12 महीने 

2.4-37.0

13 महीने - 3 साल 

1.7-11.2

4-5 साल 

1.0-6.5

6-10 साल 

0.5-5.9

11-15 साल 

0.5-3.3

असामान्य परिणाम:

पीआरए के अधिक स्तर निम्न स्थितियों में देखे जा सकते हैं:

निम्न स्थितियों से पीआरए के स्तर कम होते हैं:

  • प्राइमरी हाइपरएल्डोस्टेरोनिज्म
  • स्टेरॉयड थेरेपी (इससे शरीर से नमक निकल सकता है)
  • कंजेनिटल एड्रिनल हाइपरप्लासिया
  • क्रोनिक रीनल इम्पेयरमेंट
  • शरीर में अत्यधिक द्रव
  • एंटी डाइयुरेटिक हार्मोन से ट्रीटमेंट (एडीएच)

संदर्भ

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