डॉपलर अल्ट्रासाउंड एक नॉन-इनवेसिव (गैर-आक्रामक) तरीका है। यह हाई फ्रीक्वेंसी साउंड वेव्स (या अल्ट्रासाउंड) का इस्तेमाल करके इस बात का पता लगाता है कि रक्त वाहिकाओं के माध्यम से कितनी मात्रा में लाल रक्त कोशिकाएं प्रसारित हो रही हैं। इसके अलावा साउंड वेव की आवृत्ति में बदलाव की दर को मापकर रक्त प्रवाह की गति का आकलन किया जाता है।
पेनाइल डॉपलर अल्ट्रासाउंड का उपयोग किसी व्यक्ति के लिंग के भीतर रक्त प्रवाह से जुड़ी जानकारी पता करने के लिए किया जाता है। यह एक ऐसा तरीका है, जिसका उपयोग स्तंभन दोष (ईडी) के लिए किया जाता है, यानी लिंग में तनाव बनाए रखने में असमर्थता के लिए।
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ईडी के कई कारण हैं, जिनमें से मुख्य कारण लिंग के रक्त प्रवाह में असंतुलन होना है। ऐसा तब होता है जब लिंग में खून सही से संचारित नहीं हो पाता है। इस टेस्ट के माध्यम से यह भी पता चल सकता है कि आपके लिंग में सामान्य से कम रक्त प्रवाह है या सामान्य से ज्यादा।
ईडी के अलावा, इस टेस्ट का उपयोग अन्य विकारों जैसे पेरोनी रोग, प्रियापिज्म, पेनाइल मासेज या पेनाइल ट्रॉमा के मूल्यांकन के लिए भी किया जा सकता है।
पेरोनी की बीमारी में लिंग की त्वचा के नीचे सपाट स्कार टिश्यू (प्लॉक) बनने लगते हैं। इसकी वजह से लिंग में तनाव के वक्त घुमाव आने लगता है।
प्रियापिज्म एक ऐसी स्थिति है, जिसमें लंबे समय तक यानी कई घंटों तक लिंग में तनाव बना रह सकता है। प्रियापिज्म मुख्यतः दो प्रकार का होता है : इस्केमिक और नॉन-इस्केमिक। इस्केमिक या कम-रक्त प्रवाह वाले प्रियापिज्म में, लिंग में पर्याप्त मात्रा में खून नहीं जाता है। नॉन-इस्केमिक या ज्यादा प्रवाह वाले प्रियापिज्म तब होता है जब लिंग में रक्त प्रवाह ठीक से विनियमित नहीं होता है।
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