ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी/रेड ब्लड सेल (आरबीसी) फ्रेजिलिटी टेस्ट क्या है?

ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट को आरबीसी फ्रेजिलिटी टेस्ट भी कहा जाता है। इस टेस्ट की मदद से यह पता किया जाता है कि लाल रक्त कोशिकाओं में सेलाइन सोल्यूशन (नमक के घोल) के विभिन्न संकेंद्रण डालने पर हेमोलिसिस (टूटना) की प्रक्रिया होगी या नहीं।

आरबीसी के चारों-ओर एक झिल्ली बनी होती है जो कि पानी को कोशिका में जाने देती है और अन्य सोल्यूट्स (इस मामले में नमक को) को बाहर रखती है। इस प्रक्रिया को ओस्मोसिस कहते हैं। जब लाल रक्त कोशिकाओं को अत्यधिक पतले घोल में रखा जाता है तो वे बहुत ज्यादा पानी सोख लेती हैं जिससे वे फूल कर फट जाती हैं। यह ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी टेस्ट का सिद्धांत है।

जिन लोगों की रक्तवाहिकाओं में हीमोलिसिस (इंट्रावैस्कुलर हीमोलिसिस) हो गया है, उनमें ऑस्मोटिक फ्रेजीलिटी टेस्ट की मदद से यह निर्धारित किया जाता है कि लाल रक्त कोशिकाओं में फ्रेजीलिटी कम हुई है या ज्यादा है। ज्यादा फ्रेजिलिटी का मतलब है कि आरबीसी में नमक के पतले घोल के प्रति सहनशीलता कम हो गई है वहीं कम फ्रेजिलिटी का मतलब है कि आरबीसी में नमक के पतले घोल के प्रति सहनशीलता ज्यादा हो गई है।

  1. ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी/आरबीसी फ्रेजिलिटी टेस्ट क्यों किया जाता है - Osmotic fragility Test Kyu Kiya Jata Hai
  2. ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी/आरबीसी फ्रेजिलिटी टेस्ट से पहले - Osmotic fragility Test Se Pahle
  3. ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी/आरबीसी फ्रेजिलिटी टेस्ट के दौरान - Osmotic fragility Test Ke Dauran
  4. ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी/आरबीसी फ्रेजिलिटी टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब है - Osmotic fragility Test Ke Parinam Ka Kya Matlab Hai

ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी/आरबीसी फ्रेजिलिटी टेस्ट किसलिए किया जाता है?

डॉक्टर इस टेस्ट की सलाह इंट्रावैस्कुलर हेमोलिसिस से ग्रस्त लोगों में दो अनुवांशिक विकारों की जांच करने के लिए देते हैं :

  • हेरेडिटरी स्फेरोसाइटोसिस :
    एक विकार जिसमें आरबीसी का आकार बदलकर गोल हो जाता है जिससे ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी बढ़ जाती है।
     
  • थैलासीमिया :
    एक विकार जिसमें आरबीसी पतली और चपटी हो जाती है जिससे ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी कम हो जाती है।

यदि आपके शरीर में स्फेरोसाइटोसिस के लक्षण दिखाई देते हैं तो डॉक्टर इस टेस्ट को करने की सलाह दे सकते हैं :

यदि आपके शरीर में थैलासीमिया के लक्षण दिखाई देते हैं, तो डॉक्टर इस टेस्ट को करने की सलाह दे सकते हैं :

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ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी/आरबीसी फ्रेजिलिटी टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

इस टेस्ट के लिए किसी भी विशेष तैयारी की जरूरत नहीं होती है। यदि आप किसी भी तरह की दवा उदाहरण के तौर पर डैपसोन (कुष्ठ रोग के इलाज के लिए) या अन्य कोई दवा ले रहे हैं तो इसके बारे में डॉक्टर को बता दें, क्योंकि ये टेस्ट के परिणामों को प्रभावित कर सकती हैं।

ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी/आरबीसी फ्रेजिलिटी टेस्ट कैसे किया जाता है?

इस टेस्ट के लिए ब्लड सैंपल लेने की जरूरत होती है। डॉक्टर आपकी बांह की नस से ब्लड सैंपल लेने के लिए एक सुई का प्रयोग करेंगे।

इसके बाद लिए गए सैंपल को एक कंटेनर में डाल कर इस पर लेबल लगाया जाएगा और टेस्टिंग के लिए आगे भेज दिया जाएगा। सुई लगने से आपको हल्का सा दर्द हो सकता है।

ब्लड टेस्ट से कुछ जोखिम जुड़े होते हैं, जैसे :

यदि आप लगातार तकलीफ महसूस कर रहे हैं तो इस बारे में डॉक्टर से बात करें।

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ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी/आरबीसी फ्रेजिलिटी टेस्ट के परिणाम क्या बताते हैं?

ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी से जुड़ी संदर्भ वैल्यू हर लैब की अलग आ सकती हैं। आपके परिणामों का सही मतलब क्या है इसके बारे में डॉक्टर से बात करें।

ब्लड सैंपल का चौबीस घंटों के लिए 37° सेल्सियस में इन्क्यूबेशन करने से टेस्ट की संवेदनशीलता बढ़ जाती है। निम्न इस सैंपल की संदर्भ मात्रा है:

  • 0.50 g/dL (ग्राम प्रति डेसीलिटर) सेलाइन की (NaCl) (अनइन्क्यूबेटेड) - 0%-47.8% हेमोलिसिस (पुरुष), 0%-31.1% हेमोलिसिस (महिलाएं)
     
  • 0.60 g/dL NaCl (इन्क्यूबेशन) -18.7%-67.4% हेमोलिसिस (पुरुष), 10.9%-65.5% हेमोलिसिस (महिलाएं)
     
  • 0.65 g/dL NaCl (इन्क्यूबेशन) - 4.4%-36.6% हेमोलिसिस (पुरुष), 0.2%-39.3% हेमोलिसिस (महिलाएं)
     
  • 0.75 g/dL NaCl (इन्क्यूबेशन) - 0.8%-9.1% हेमोलिसिस (पुरुष), 0%-10.9% हेमोलिसिस (महिलाएं)

असामान्य परिणाम

बढ़ी हुई ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी का संबंध निम्न स्थितियों से हो सकता है :

  • हेरेडिटरी स्फेरोसाइटोसिस
  • ऑटोइम्यून स्फेरोसाइटोसिस
  • विषाक्तता (जहर फैलना)
  • गंभीर रूप से जलना
  • मलेरिया 
  • पाइरुवेट काइनेज डेफिशियेंसी
  • नवजात शिशु में हेमोलिटिक रोग
  • एक्वायर्ड हेमोलिटिक एनीमिया

ऑस्मोटिक फ्रेजिलिटी निम्न स्थितियों में कम हो सकती है :

संदर्भ

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