यूरीन माइक्रोएल्बुमिन टेस्ट यूरीन में प्रोटीन (एल्बुमिन) के स्तर को मापने के लिए किया जाता है। इस टेस्ट से किडनी में किसी तरह की बीमारी या फिर बीमारी की संभावनाओं की जांच की जाती है। यह टेस्ट उन लोगों में भी किया जाता है, जनमें किडनी संबंधी बीमारी होने का खतरा होता है। 

स्वस्थ किडनी हमारे खून से खराब पदार्थों को फिल्टर करने और एल्बुमिन जैसे प्रोटीन्स जैसे स्वस्थ कॉम्पोनेन्ट्स को रोकने का काम करती है। किडनी के डैमेज होने पर ये प्रोटीन्स आपकी किडनी में लीक हो सकते हैं। जिसके कारण शरीर के जरूरी तत्व यूरीन के रास्ते बाहर निकल जाते हैं। एल्बुमिन उन प्रोटीन्स में से एक है, जो किडनी खराब होने की स्थिति में सबसे पहले लीक होती हैं।

माइक्रोएल्बुमिन टेस्ट उन लोगों को कराने की सलाह दी जाती है, जिनमें टाइप 1 डायबिटीजटाइप 2 डायबिटीज या उच्च रक्तचाप जैसी किडनी की बीमारियां होने की संभावना अधिक होती है।

  1. माइक्रोएल्बूमिन टेस्ट क्या होता है? - What is Microalbumin Test in Hindi?
  2. माइक्रोएल्बूमिन टेस्ट क्यों किया जाता है? - What is the purpose of Microalbumin Test in Hindi?
  3. माइक्रोएल्बूमिन टेस्ट से पहले - Before Microalbumin Test in Hindi
  4. माइक्रोएल्बूमिन टेस्ट के दौरान - During Microalbumin Test in Hindi Test in Hindi
  5. माइक्रोएल्बूमिन टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज - Microalbumin Test Result and Normal Range in Hindi

यह टेस्ट आपके यूरीन में एल्बुमिन की मात्रा की जांच करने के लिए किया जाता है। इस टेस्ट से इस बात का पता लगाया जाता है कि कई डाटबिटीज ने आपकी किडनी को खराब तो नहीं कर दिया है। एल्बुमिन एक तरह का प्रोटीन होता है। यह हमारे शरीर में टीश्यूज के ग्रोथ और उनके उपचार के लिए जरूरी होती है। कई बार यह हमारे यूरीन में लीक हो जाती है जिसके कारण किडनी उतने अच्छे से काम नहीं कर पाती हैं, जिस तरह से उन्हें काम करना चाहिए। इस तरह की थोड़े मात्रा में एल्बुमिन हमारी दैनिक यूरीन टेस्ट में पकड़ में नहीं आती हैं इसलिए डॉक्टर इस टेस्ट की मदद से एल्बुमिन के स्तर में बदलाव को मांपते हैं। इस तरह से डॉक्टर हमारे शरीर में डायबिटीज और अन्य तरह की बीमारियों की जांच करते हैं। अगर किडनी में किसी तरह की बीमारी को शुरूआत में ही पता चल जाता है तो इसका इलाज आसानी से किया जा सकता है। अमेरिका में डायबिटीज किडनी को खराब करने के सबसे प्रमुख वजहों में से एक है। शुरूआती दौर में अगर किडनी डैमेज का पता चल जाए तो इसे जटील बनने की बजाय आसानी से ठीक किया जा सकता है। 12 साल से लेकर 70 साल के बीच के शुगर के मरीजों को साल में कम से कम एक बार माइक्रोएल्बुमिन टेस्ट करवा लेनी चाहिए। टाइप 1 के मरीजों को शुगर होने के 5 सालों के बाद इस जांच को करवाना शुरू कर देना चाहिए। टाइप 2 के मरीजों को इलाज पूरा हो जाने के बाद हर साल इस जांच को करवाना चाहिए। अगर आपको उच्च रक्तचाप यानी हाई ब्लड प्रेशर है तो अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करें कि आपको कब-कब जांच करवानी चाहिए।

डॉक्टर आपकी किडनी संबंधी बीमारियों और समस्याओं को जानने के लिए यूरीन माइक्रोएल्बुमिन टेस्ट की सलाह दे सकते हैं। किडनी संबंधी बीमारियों का सही उपचार से रोकथाम किया जा सकता है। आपको माइक्रोएल्बुमिन टेस्ट कराने की जरूरत निम्न स्थितियों में पड़ सकती है: पहले तरह की डायबिटीज: अगर आपको टाइप 1 डायबिटीज है तो आपके डॉक्टर आपको माइक्रोएल्बुमिन टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। डॉक्टर आपको यह जांच बीमारी के पता लगने के बाद पांच सालों तक साल में एक बार कराने की सलाह दे सकते हैं। दूसरे तरह की डायबिटीज: अगर आपको टाइप 2 डायबिटीज है तो आपके डॉक्टर आपको माइक्रोएल्बुमिन टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। डॉक्टर आपको यह जांच बीमारी का पता लगने के तुरंत बाद साल में एक बार कराने की सलाह दे सकते हैं। उच्च रक्तचाप: अगर आपको उच्च रक्तचाप की जरूरत है तो आपके डॉक्टर आपसे नियमित तौर पर माइक्रोएल्बुनिन टेस्ट करवा सकते हैं। अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करें कि आपको कब-कब जांच की जरूरत है। अगर आपके यूरीनरी माइक्रोएल्बुमिन का स्तर बढ़ा है तो डॉक्टर आपसे आपसे इलाज कराने और जल्दी-जल्दी जांच करवा सकते हैं।

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यह एक तरह का साधारण सा यूरीन टेस्ट है। टेस्ट के पहले आप रोज की तरह खानो-पीने का काम कर सकते हैं। टेस्ट के लिए डॉक्टर आपसे अलग-अलग मात्रा में सैंपल मांग सकते हैं। यानी वो आपसे किसी भी समय का सैंपल मांग सकते हैं या फिर डॉक्टर आपसे 24 घंटे के तक के यूरीन सैंपल मांग सकते हैं। 

(और पढ़ें: बच्चों में यूरिन इन्फेक्शन के लक्षण)

इस टेस्ट को यूरीन के सैंपल से किया जाता है। इसके लिए डॉक्टर आपको एक विशेष तरह का पात्र देंगे। इस पात्र में आपसे आपका यूरीन मांगा जाएगा। आपको अपने यूरीन सैंपल को विशेष समय पर देना होगा। 

मूत्र में माइक्रोएल्ब्यूमिन का स्तर आमतौर पर मिलीग्राम प्रति दिन (mg/day) में मापा जाता है।

नॉर्मल रिजल्ट : वयस्कों के मूत्र में एल्ब्यूमिन की नॉर्मल वैल्यू (रेंज) 24 घंटे में 30 mg/L से कम  (<30 mg/day) या 10 घंटे में 20 mg/L से कम होती है। हालांकि, अलग-अलग लैब से टेस्ट कराने पर नॉर्मल रेंज अलग-अलग हो सकती है।

एबनॉर्मल रिजल्ट : यदि यूरिन टेस्ट में माइक्रोएल्ब्यूमिन्यूरिया का पता चलता है तो इसे एबनॉर्मल माना जाता है। निम्न स्थितियों में एल्ब्यूमिन का स्तर बढ़ा हुआ पाया जाता है :

ऊपरोक्त स्थितियों के अलावा जो लोग प्रोटीन सप्लीमेंट लेते हैं या अधिक नमक का सेवन करे हैं, कठिन व्यायाम करते हैं और महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान माइक्रोएल्ब्यूमिन का स्तर प्रभावित हो सकता है। यदि टेस्ट रिजल्ट में माइक्रोएल्ब्यूमिन्यूरिया पाया जाता है तो डॉक्टर अंतरनिहित स्थिति के इलाज और उचित निदान के लिए आगे और जांच की सलाह दे सकते हैं।

संदर्भ

  1. Wilson DD. McGraw-Hill’s Manual of Laboratory & Diagnostic Tests. Microalbumin (MA, Microalbumin/Creatinine Ratio). 2008 pp 397-399.
  2. American Diabetes Association [internet]; Kidney Disease (Nephropathy)
  3. American Diabetes Association [internet]; Diabetes Symptoms
  4. University of Rochester Medical Center [Internet]. Rochester (NY): University of Rochester Medical Center; Microalbumin (Urine)
  5. Fischbach FT. A Manual of Laboratory and Diagnostic Tests. Chapter on Microalbuminuria/Albumin (24-Hour Urine). 7th Edition. 2003.
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