ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने और इस जानलेवा बीमारी के खतरे को कम करने का मुख्य आधार यही है कि जल्द से जल्द बीमारी की पहचान और स्क्रीनिंग हो जाए। इसकी वजह ये है कि अगर बीमारी को जल्दी डायग्नोज कर लिया जाए तो इससे मरीज की सेहत के नतीजों को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। हाल ही में हुई एक नई रिसर्च में भी यही बात सामने आयी है कि मैमोग्राफी स्क्रीनिंग, अडवांस्ड और घातक ब्रेस्ट कैंसर के रेट को काफी हद तक कम कर सकती है। 

यूरोपीय देश स्वीडन के फैलकन सेंट्रल हॉस्पिटल में अनुसंधानकर्ताओं की एक टीम ने पाया कि मैमोग्राफी स्क्रीनिंग, डायग्नोसिस के 10 साल के अंदर, जानलेवा ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को 41 प्रतिशत तक कम कर सकता है और अडवांस्ड ब्रेस्ट कैंसर के रेट को 25 प्रतिशत तक कम कर सकता है। इस स्टडी के नतीजों को अमेरिकन कैंसर सोसायटी (एसीएस) के पीयर-रिव्यूड जर्नल 'कैंसर' में प्रकाशित किया गया जिसमें कैंसर जैसी बीमारी में स्क्रीनिंग की अहमियत क्या है इस बारे में बताया गया है।

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ब्रेस्ट कैंसर मृत्यु दर पर मैमोग्राफी का क्या असर होता है?

स्वीडन में ही इससे पहले एक निश्चित आबादी पर हुई स्टडी में ब्रेस्ट कैंसर मृत्यु दर पर मैमोग्राफी स्क्रीनिंग का क्या असर होता है इस बात का मूल्यांकन किया गया था। इस दौरान मरीज में बीमारी डायग्नोज होने के 10 से 20 साल के बीच बीमारी के घातक होने के कितने मामले सामने आए इसका पता लगाया गया। इस विश्लेषण में ब्रेस्ट कैंसर की वजह से मौत के अवधारकों, मैमोग्राफी स्क्रीनिंग का एक्सपोजर और ब्रेस्ट कैंसर का इलाज सभी को एक साथ एक ही समय पर माना गया। 

इसके बाद अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि जानलेवा ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में उन महिलाओं में 60 प्रतिशत की कमी आयी जिन्होंने बीमारी डायग्नोज होने के 10 साल के अंदर मैमोग्राफी स्क्रीनिंग करवाई उन महिलाओं की तुलना में जिन्होंने मैमोग्राफी स्क्रीनिंग नहीं करवाई।  

इसके बाद स्टडी को और विस्तृत बनाया गया और इस दौरान अनुसंधानकर्ताओं ने 5 लाख 49 हजार महिलाओं के डेटा की जांच की जो स्वीडन की स्क्रीनिंग-योग्य आबादी का 30 प्रतिशत हिस्सा थी। स्टडी के बारे में बताते हुए स्वीडन के फैल्कन सेंट्रल हॉस्पिटल स्थित डिपार्टमेंट ऑफ मैमोग्राफी के प्रफेसर डॉ लैसजलो टैबर ने कहा, हो सकता है कि कुछ लोग यह मानते हों कि ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में हाल के दिनों में हुई बेहतरी की वजह से बीमारी की शुरुआत में ही पहचान की जाने की कोई खास अहमियत नहीं है। लेकिन हमारी स्टडी यही दिखाती है कि ब्रेस्ट कैंसर की शुरुआत में ही जल्द से जल्द पहचान होना बेहद जरूरी है और इसकी जगह कोई नहीं ले सकता।

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प्रारंभिक स्क्रीनिंग के फायदे

अपने नतीजों पर पहुंचने के लिए अनुसंधानकर्ताओं की टीम ने अडवांस्ड ब्रेस्ट कैंसर के रेट की तुलना की जो डायग्नोसिस होने के 10 साल के अंदर महिलाओं के लिए जानलेवा थे। इसमें जिन महिलाओं ने मैमोग्राम करवाया उनकी तुलना जिन्होंने नहीं करवाया उनसे की गई। इस दौरान टीम ने स्वीडन के नैशनल रेजिस्ट्री से हर एक ब्रेस्ट कैंसर डायग्नोसिस और हर मामले में मृत्यु की तारीख क्या थी, इसका डेटा इक्ट्ठा किया। साथ ही उन्होंने रीजनल कैंसर सेंटर से ट्यूमर के विशिष्ट लक्षणों के बारे में भी जानकारी हासिल की।

इस स्टडी की को-ऑथर डॉ स्टीफेन ड्यूफी कहती हैं, यह स्टडी दिखाती है कि ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग में भाग लेने से वास्तव में जानलेवा ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा काफी कम हो जाता है। अनुसंधानकर्ताओं ने मैमोग्राफी स्क्रीनिंग में हिस्सा लेने के फायदों पर जोर दिया जिसमें प्रारंभिक जांच के जरिए मरीज की जान बचायी जा सकती है।

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