मेल फर्टिलिटी पैनल क्या है?
मेल इनफर्टिलिटी एक ऐसी स्थिति है, जिसके चलते पुरुष किसी महिला को गर्भवती करने में असमर्थ होता है। यह शुक्राणुओं या पुरुषों की प्रजनन कोशिकाओं के ठीक तरह से न बनने या स्रावित न होने के कारण हो सकता है।
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शुक्राणु वृषण में बनते हैं जो कि अंडकोष की थैली (लिंग के नीचे बनी थैली) में मौजूद होते हैं। इसके बाद शुक्राणु कोमल नलियों द्वारा तब तक संचारित किए जाते हैं जब तक कि वे द्रव से मिलकर वीर्य न बना लें और पेनिस से बाहर न आ जाएं। ये सभी कार्य हार्मोन द्वारा नियंत्रित किए जाते हैं।
यदि वीर्य महिला की प्रजनन प्रणाली में स्रावित हो जाता है और शुक्राणु किसी अंडे के साथ मिल जाता है (फर्टिलाइजेशन) तो महिला गर्भवती हो जाती है। हालांकि, फर्टिलाइजेशन विभिन्न तत्वों जैसे जेनेटिक, वातावरण और हार्मोन पर निर्भर करता है।
मेल फर्टिलिटी पैनल कुछ टेस्ट का एक सेट है जो कि किसी भी पुरुष की नपुंसकता की जांच करने के लिए किए जाते हैं। इसमें सीमेन एनालिसिस के साथ-साथ ब्लड टेस्ट भी शामिल है जो कि हार्मोन के स्तरों की जांच करने के लिए किए जाते हैं, जैसे :
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ल्यूटिनाइज़िन्ग हार्मोन (एलएच) - मस्तिष्क में मौजूद पिट्यूटरी ग्रंथि एलएच बनाती है। एलएच वृषणों को टेस्टोस्टेरोन बनाने के लिए उत्तेजित करता है।
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फॉलिकल-स्टिमुलेटिंग हार्मोन (एफएसएच) - एफएसएच पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा बनाया जाने वाला एक हार्मोन है। यह वृषणों को टेस्टोस्टेरोन बनाने के लिए उत्तेजित करता है।
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प्रोलैक्टिन - पिट्यूटरी ग्रंथि एक अन्य हार्मोन प्रोलैक्टिन भी बनाती है। अत्यधिक प्रोलैक्टिन टेस्टोस्टेरोन के उत्पादन को कम कर देता है।
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टेस्टोस्टेरोन - यह वृषण द्वारा बनाए जाते हैं। टेस्टोस्टेरोन पुरुष सेक्स हार्मोन हैं जो कि किसी भी पुरुष में पौरुष विशेषताओं का विकास करने में मदद करते हैं। टेस्टोस्टेरोन लिंग, मांसपेशियों, वृषण और प्यूबर्टी के दौरान बालों के विकास में भी मदद करते हैं। वयस्कों में टेस्टोस्टेरोन वृषणों के उत्पादन और कामेच्छा को बढ़ाने में मदद करते हैं। जिन पुरुषों के शरीर में टेस्टोस्टेरोन के स्तर कम होता है, उन्हें फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।
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वीर्य की जांच - सीमन एनालिसिस टेस्टों का एक समूह है जो कि वीर्य और शुक्राणुओं के स्वास्थ्य का पता लगाता है। यह टेस्ट वीर्य का घनत्व और पीएच (एसिडिटी), शुक्राणुओं की संख्या की जांच, शुक्राणुओं की गतिशीलता, शुक्राणुओं का आकार और आकृति) और लिक्विफैक्शन टाइम (वीर्य को जेल से द्रव में बदलने में लगा समय) पता लगाते हैं। शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता फर्टिलिटी के लिए जरूरी तत्व हैं। इस टेस्ट के परिणाम से इनफर्टिलिटी के इलाज का पता लगाया जा सकता है।
- कल्चर सेंसिटिविटी - यह टेस्ट वीर्य में बैक्टीरिया की जांच करता है, जिससे जननांगों में संक्रमण होने की तरफ संकेत मिलता है। इसके कारण इनफर्टिलिटी या नपुंसकता हो सकती है। यदि सीमन सैंपल टेस्ट में बैक्टीरिया की जांच पॉजिटिव आती है तो बैक्टीरिया के प्रकार व उसकी संवेदनशीलता (किस एंटीबायोटिक द्वारा उसे खत्म किया जा सकता है) का पता लगाने के लिए आगे टेस्ट किया जा सकता है।