मलेरिया एक संक्रामक रोग है, जो प्लाज्मोडियम परजीवी (Plasmodium parasites) के कारण होता है। ये परजीवी मुख्य रूप से एक संक्रमित मादा मच्छर के काटने से फैलते हैं, जिसे एनोफेलीज (Anopheles) मच्छर कहा जाता है। जब एक संक्रमित मादा मच्छर किसी व्यक्ति को काट लेती है, तो परजीवी उस व्यक्ति की लाल रक्त कोशिकाओं को संक्रमित करने या उन्हें नष्ट करने से पहले उस व्यक्ति के लिवर में कई गुणा संख्या में विकसित हो जाते हैं। मलेरिया से ग्रस्त मरीज आमतौर पर तेज बुखार, ठंड लगना, और फ्लू जैसी परेशानियों से काफी बीमार हो जाते हैं। ज्यादातर लोगों में संक्रमण होने के 10 दिन से 4 सप्ताह के भीतर मलेरिया के लक्षण दिखाई देने लगते हैं, हालांकि किसी व्यक्ति में लक्षण दिखने में कम से कम 7 दिन और ज्यादा से ज्यादा 1 साल तक का समय भी लग सकता है।

(और पढ़ें - मलेरिया का इलाज)

  1. मलेरिया टेस्ट क्या होता है? - What is Malaria Test in Hindi?
  2. मलेरिया टेस्ट क्यों किया जाता है - What is the purpose of Malaria Test in Hindi
  3. मलेरिया टेस्ट से पहले - Before Malaria Test in Hindi
  4. मलेरिया टेस्ट के दौरान - During Malaria Test in Hindi
  5. मलेरिया टेस्ट के बाद - After Malaria Test in Hindi
  6. मलेरिया टेस्ट के क्या जोखिम होते हैं - What are the risks of Malaria Test in Hindi
  7. मलेरिया टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब होता है - What do the results of Malaria Test mean in Hindi
  8. मलेरिया टेस्ट कब करवाना चाहिए - When to get tested with Malaria Test in Hindi

मलेरिया टेस्ट क्या होता है?

मलेरिया का संदेह मरीज के सिंड्रोम और शारीरिक परीक्षण के निष्कर्षों के आधार पर किया जाता है। हालांकि, एक निश्चित परीक्षण करने के लिए लेबोरेटरी टेस्ट द्वारा मलेरिया के परजीवी या उनके घटकों को दिखाया जाना चाहिए।

(और पढ़ें - ब्लड टेस्ट)

आपको मलेरिया है या नहीं, आपको और आपके डॉक्टर के लिए यह जानने का सबसे निश्चित तरीका नैदानिक परीक्षण ही है। इस टेस्ट में माइक्रोस्कोप द्वारा आपके खून के सैंपल में मलेरिया परजीवियों की खोज की जाती है। इससे संबंधित रोगों और मृत्यु दर को कम करने के लिए उपयुक्त उपचार करने जरूरी है। इसके लिए मलेरिया का शीघ्र और सटीक परीक्षण करना महत्वपूर्ण होता है।

(और पढ़ें - मलेरिया के घरेलू उपाय)

मलेरिया के लिए सबसे सस्ता, पसंदीदा और विश्वसनीय परीक्षण, माइक्रोस्कोप द्वारा खून (ब्लड फिल्म) की जांच करना होता है। क्योंकि, चार प्रमुख परजीवी प्रजातियों में से प्रत्येक की अलग-अलग विशेषताएं होती हैं। ब्लड फिल्मों के दो प्रकारों को पारंपरिक रूप से परीक्षण हेतु प्रयोग किया जाता है:

(और पढ़ें - डेंगू का इलाज)

  • पतली फिल्म (Thin films) – पतली फिल्म आम ब्लड फिल्म के समान होती है और यह प्रजातियों की पहचान करने में मदद करती है, क्योंकि इस में परजीवियों की उपस्थिति सबसे अच्छी तरह से संरक्षित होती है।
  • मोटी फिल्म (Thick films) – इसमें पतली फिल्म के मुकाबले खून के सैंपल की अधिक मात्रा की जांच की जाती है और पतली ब्लड फिल्म की तुलना में यह अधिक संवेदनशील (Sensitive) होती है। इसलिए मोटी फिल्म में संक्रमण के निम्न स्तर की जांच करना आसान होता है, लेकिन इसमें परजीवियों का रूप काफी विकृत (बिगड़ा हुआ) होता है, जिसके कारण विभिन्न प्रजातियों में अंतर पता करना काफी मुश्किल हो जाता है।

(और पढ़ें - बुखार में क्या खाएं)

खून में परजीवियों की संख्या में समय-समय पर उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। इसलिए अगर वे प्राथमिक स्मीयर (Initial smears) के दौरान ना मिल पाएं एवं डॉक्टरों को अभी भी लगता है कि मरीज मलेरिया से संक्रमित है, तो टेस्ट करने के लिए और अधिक खून की आवश्यकता पड़ सकती है।  

एक और त्वतरित टेस्ट (Quick test) एंटीजन आधारित रेपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट (RDT) उपलब्ध है। यह एक नैदानिक टेस्ट होता है, जो सिर्फ एक विशेष प्रकार के प्लाज्मोडियम परजीवी के लिए किया जाता है। इस टेस्ट का रिजल्ट सिर्फ 15 मिनट में आ जाता है और इसको करने के लिए किसी लैब या लंबे समय तक इंतजार करने की जरूरत नहीं पड़ती।

(और पढ़ें - जापानी एनसेफेलिटिस के उपचार)

यदि परीक्षण पेरिफरल ब्लड स्मीयर टेस्ट (Peripheral blood smear test) द्वारा स्पष्ट नहीं हो पाता, तो आपके डॉक्टर निम्न टेस्टों में से किसी एक टेस्ट को करवाने का आदेश दे सकते हैं।

  • क्वांटिएटिव बफी कोट टेस्ट (QBC)
  • इन्डायरेक्ट फ्लोरोसेंट एंटीबॉडी टेस्ट (IFAT)
  • एंजाइम-लिंक्ड इम्यूनोसोरबेंट एस्से (ELISA)
  • पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (PCR)

(और पढ़ें - डेंगू में क्या खाना चाहिए)

Tulsi Drops
₹286  ₹320  10% छूट
खरीदें

मलेरिया टेस्ट क्यों किया जाता है?

मलेरिया डायग्नोस्टिक टेस्ट करने के निम्न उद्देश्य हो सकते हैं:

(और पढ़ें - लैब टेस्ट लिस्ट)

  • संक्रमण की उपस्थिति या अनुपस्थिति को निश्चित रूप से स्थापित करने के लिए,
  • मलेरिया परजीवी की प्रजाती को निर्धारित करने के लिए, (और पढ़ें - परजीवी संक्रमण का इलाज)
  • पेरासाइटिमिया की मात्रा को निर्धारित करने के लिए (प्रति माइक्रोलीटर खून में परजीवी की मात्रा या प्रतिशत में संक्रमित लाल रक्त कोशिकाएं),
  • पैरासाइटेमिया के निम्न स्तर का पता लगाने के लिए (मलेरिया परजीवी की उपस्थिति का पता लगाना भले ही वे खून में कम मात्रा में हों), (और पढ़ें - मानसून में होने वाली बीमारियां)
  • एंटी मलेरियल थेरेपी की प्रतिक्रिया पर नजर रखने के लिए,
  • पुनरुत्थान या पतन का पता लगाने के लिए।

(और पढ़ें - मचार भगाने का तरीका)

मलेरिया टेस्ट से पहले क्या किया जाता है?

मलेरिया की जांच करने के लिए किए जाने वाले टेस्ट में कुछ ही बूंद खून के सैंपल की आवश्यकता पड़ती है। इस टेस्ट से पहले कोई विशेष सावधानी बरतने की जरूरत नहीं पड़ती। अगर आप किसी भी प्रकार की दवा, सप्लीमेंट या हर्बल उत्पाद का सेवन कर रहे हैं, तो टेस्ट होने से पहले ही डॉक्टर को इन के सब के बारे में बता दें। टेस्ट होने से पहले आप रोजाना की तरह कुछ भी खा-पी सकते हैं। टेस्ट होने से पहले डॉक्टर आपको कुछ विशेष अनुदेश देते हैं।

(और पढ़ें - ब्लड टेस्ट)

मलेरिया टेस्ट के दौरान क्या किया जाता है?

(और पढ़ें - हेपेटाइटिस सी टेस्ट)

  • इस टेस्ट के दौरान सबसे पहले आपके बाएं हाथ की मध्यम या तर्जनी उंगली को एक स्पीरिट स्वैब के साथ साफ किया जाता है। खून निकालने की जगह को नाखून से थोड़ा हटके चुना जाता है।
  • हल्के से झटके के साथ आपकी उंगली में सुई लगा दी जाती है, (और पढ़ें - हेपेटाइटिस बी टेस्ट)
  • उसके बाद उंगली से खून बाहर की तरफ निकलने लगता है।
  • अगर आपने आप खून ना निकल पाए तो उंगली को हल्के से दबा दिया जाता है। (और पढ़ें - चिकनगुनिया की जांच)
  • खून की बूंद को सीधा कांच की स्लाइड या रेपिड कार्ड टेस्ट किट पर रखा जाता है, यह निर्भर करता है कि आपका कौन सा टेस्ट होना है।

(और पढ़ें - डेंगू टेस्ट)

Nasal Congestion
₹199  ₹249  20% छूट
खरीदें

मलेरिया टेस्ट के बाद क्या किया जाता है?

प्रक्रिया के दौरा आपको एक तीव्र दर्द महसूस होता है। यह क्षण भर के लिए ही होता है, बाद में कम हो जाता है, जो कुछ समय तक रहता है। सैंपल लेने के बाद आपको खून निकालने वाली छेद पर रखने के लिए रुई का टुकड़ा दिया जाता है। संदूषण से बचने के लिए टेस्ट होने से पहले और बाद में अपने हाथ अच्छी तरह से धो लें।

(और पढ़ें - सीआरपी ब्लड टेस्ट)

मलेरिया टेस्ट के क्या जोखिम हो सकते हैं?

मलेरिया टेस्ट से जुड़े जोखिम निम्न हो सकते हैं:

(और पढ़ें - प्लेटलेट्स क्या है)

  • कुछ मामलों में त्वचा के अंदर खून बहने से त्वचा नीले या बैंगनी रंग (Hematoma) की हो जाती है।
  • टेस्ट के बाद कुछ हफ्तों तक एक निशान भी रह सकता है। (और पढ़ें - एलर्जी टेस्ट कैसे होता है)
  • सामान्यतः संक्रमण के जोखिम कम होते हैं, लेकिन असंभव नहीं है।

(और पढ़ें - फंगल इंफेक्शन का इलाज)

मलेरिया टेस्ट के रिजल्ट का क्या मतलब होता है?

किसी निश्चित समय में खून में मौजूद परजीवियों की संख्या में उतार-चढ़ाव होता रहता है। इसलिए अगर प्राथमिक स्मीयर टेस्ट के दौरान कोई भी परजीवी दिखाई ना दे तो भी टेस्ट करने वाले डॉक्टर आपमें मलेरिया होने का संदेह कर सकते हैं, जिससे उनको अन्य टेस्ट करने के लिए और खून सैंपल की जरूरत पड़ सकती है।

(और पढ़ें - किडनी फंक्शन टेस्ट)

परजीवी का पता लगाने की संभावना बढ़ाने के लिए सैंपल को 2 से 3 दिनों के दौरान 8 से 12 घंटे के अंतराल में एकत्र किया जा सकता है। यदि एकत्रित किया गया सैंपल मौजूद संकेत और लक्षणों के साथ मेल खाता है, तो यह फायदेमंद हो सकता है क्योंकि यहीं वह समय होता है जब ज्यादातर परजीवियों के खून में मिलने की संभावना होती है।

(और पढ़ें - स्टूल टेस्ट)

  • थिक और थिन ब्लड स्मीयर : एक धब्बे या बूंद  में कई आरबीसी के संक्रमित होने का सीधा मतलब मलेरिया परजीवी की मौजूदगी से है।
  • रैपिड डायग्रोस्टिक टेस्ट (एंटीजेन टेस्टिंग): टेस्टिंग स्ट्रिप का रंग बदलना संक्रमण की मौजूदगी को दर्शाती है।
  • मॉलेक्यूलर टेस्ट : पीसीआर रिजल्ट का पॉजिटिव आना इस बात का संकेत है कि खून में परजीवी मौजूद हैं।
  • एंटीबॉडी टेस्ट (सीरोलॉजी): एंटीबॉजी टेस्ट का पॉजिटिव रिजल्ट इस बात को दर्शाता है कि आपके शरीर में मलेरिया संक्रमण के प्रति सक्रिय प्रतिक्रिया है।
  • ससेप्टिबिलिटी टेस्टिंग : यदि पीसीआर टेस्ट में परजीवी का विकास नजर आती है तो यह दवाओं के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है।

(और पढ़ें - बिलीरुबिन टेस्ट क्या है)

Cough Relief
₹716  ₹799  10% छूट
खरीदें

मलेरिया टेस्ट कब करवाना चाहिए?

अगर आपमें मलेरिया के क्लीनिकल संकेत दिखाई दे रहे हैं, तो आपके डॉक्टर मलेरिया टेस्ट करवाने का आदेश दे सकते हैं। मलेरिया के मरीजों में संक्रमण होने के कुछ हफ्तों में लक्षण दिखाई देने लगते हैं। क्लीनिकल लक्षणों में निम्न शामिल हैं:

(और पढ़ें - क्रिएटिनिन टेस्ट)

 (और पढ़ें - बुखार कम करने के उपाय)

वे लक्षण जो ज्यादा सामान्यकृत नहीं हैं:

मलेरिया वाले अधिकांश रोगियों में कोई विशिष्ट शारीरिक निष्कर्ष नहीं होते, लेकिन उनमें स्प्लेनोमेगली (तिल्ली का आकार बढ़ना) की समस्या मौजूद हो सकती है। गंभीर मलेरिया निम्नलिखित के रूप में प्रकट होता है:

(और पढ़ें - किडनी इन्फेक्शन का इलाज)

संदर्भ

  1. World Health Organization Fact sheet. Fact Sheet: World Malaria Report 2015
  2. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; CDC and Malaria
  3. Public Health England. Government of UK [internet]; Malaria: guidance, data and analysis
  4. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services, Diagnosis and Treatment of Malaria in the Malaria-Endemic World
  5. World Health Organization Fact sheet. Fact sheet on the World Malaria Report 2014
  6. Wongsrichanalai C, Barcus MJ, Muth S, et al. A Review of Malaria Diagnostic Tools: Microscopy and Rapid Diagnostic Test (RDT) In: Breman JG, Alilio MS, White NJ, editors. Defining and Defeating the Intolerable Burden of Malaria III: Progress and Perspectives: Supplement to Volume 77(6) of American Journal of Tropical Medicine a
  7. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; Malaria Diagnosis
  8. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; Laboratory diagnosis of malaria: Preparation of blood smears
ऐप पर पढ़ें
cross
डॉक्टर से अपना सवाल पूछें और 10 मिनट में जवाब पाएँ