लंबोसैकरल स्पाइन का एमआरआई एक ऐसा टेस्ट है, जिसमें सिर्फ लंबोसैकरल स्पाइन वाले हिस्से का एमआरआई किया जाता है। इस टेस्ट के माध्यम से लंबर वाला हिस्सा (रीढ़ का निचला हिस्सा), सैक्रम यानी त्रिकास्थि (रीढ़ का आधार) और कोक्सीक्स (टेलबोन) की विस्तृत छवियां तैयार होती हैं, जिससे इन हिस्सों में मौजूद किसी भी असामान्यता का आसानी से पता लगाया जा सकता है।
एक्स-रे और सीटी स्कैन मशीन से अलग, एमआरआई में रेडिएशन का उपयोग नहीं किया जाता है। यह शरीर की आंतरिक संरचनाओं की छवियां तैयार करने के लिए बड़े चुंबक, रेडियो तरंगों और कंप्यूटर का उपयोग करता है। स्कैन के दौरान मैग्नेट और रेडियो तरंगें शरीर के प्रोटॉन (परमाणुओं के हिस्से) को एक विशेष तरीके से संरेखित (अलाइन) और पुन: संरेखित (री-अलाइन) करती हैं। इस पूरी प्रक्रिया को कंप्यूटर पढ़ता है और स्कैन किए गए हिस्सों की छवियां तैयार करता है।
कुछ मामलों में एमआरआई स्कैन के दौरान कंट्रास्ट डाई का प्रयोग किया जाता है। बता दें, इस डाई का प्रयोग सिर्फ इसलिए किया जाता है, ताकि फोटो अधिक स्पष्ट आ सके, लेकिन जिन मामलों में फोटो से आसानी से निदान संभव हो वहां इसकी जरूरत नहीं पड़ती है। ज्यादातर मामले में इस डाई को शरीर में इंजेक्शन के जरिये इंजेक्ट किया जाता है। जब यह डाई शरीर में पहुंचती है तो ऊतकों को बांधती है और स्पष्ट चित्र प्रदान करने में मदद करती है।