लंबोसैकरल स्पाइन का एमआरआई एक ऐसा टेस्ट है, जिसमें सिर्फ लंबोसैकरल स्पाइन वाले हिस्से का एमआरआई किया जाता है। इस टेस्ट के माध्यम से लंबर वाला हिस्सा (रीढ़ का निचला हिस्सा), सै​क्रम यानी त्रिकास्थि (रीढ़ का आधार) और कोक्सीक्स (टेलबोन) की विस्तृत छवियां तैयार होती हैं, जिससे इन हिस्सों में मौजूद किसी भी असामान्यता का आसानी से पता लगाया जा सकता है।

एक्स-रे और सीटी स्कैन मशीन से अलग, एमआरआई में रेडिएशन का उपयोग नहीं किया जाता है। यह शरीर की आंतरिक संरचनाओं की छवियां तैयार करने के लिए बड़े चुंबक, रेडियो तरंगों और कंप्यूटर का उपयोग करता है। स्कैन के दौरान मैग्नेट और रेडियो तरंगें शरीर के प्रोटॉन (परमाणुओं के हिस्से) को एक विशेष तरीके से संरेखित (अलाइन) और पुन: संरेखित (री-अलाइन) करती हैं। इस पूरी प्रक्रिया को कंप्यूटर पढ़ता है और स्कैन किए गए हिस्सों की छवियां तैयार करता है।

कुछ मामलों में एमआरआई स्कैन के दौरान कंट्रास्ट डाई का प्रयोग किया जाता है। बता दें, इस डाई का प्रयोग सिर्फ इसलिए किया जाता है, ताकि फोटो अधिक स्पष्ट आ सके, लेकिन जिन मामलों में फोटो से आसानी से निदान संभव हो वहां इसकी जरूरत नहीं पड़ती है। ज्यादातर मामले में इस डाई को शरीर में इंजेक्शन के जरिये इंजेक्ट किया जाता है। जब यह डाई शरीर में पहुंचती है तो ऊतकों को बांधती है और स्पष्ट चित्र प्रदान करने में मदद करती है।

  1. लंबोसैकरल स्पाइन एमआरआई क्यों किया जाता है? - Why lumbosacral Spine MRI done in Hindi
  2. लंबोसैकरल स्पाइन एमआरआई किसे नहीं करना चाहिए - Who cannot have a lumbosacral spine MRI in Hindi?
  3. लंबोसैकरल स्पाइन एमआरआई से पहले तैयारी - Lumbosacral Spine MRI preparation in Hindi?
  4. लंबोसैकरल स्पाइन एमआरआई कैसे किया जाता है? - Lumbosacral Spine MRI kaise kiya jata hai?
  5. लंबोसैकरल स्पाइन एमआरआई में कैसा महसूस होगा? - How will a lumbosacral Spine MRI feel in Hindi?
  6. लंबोसैकरल स्पाइन एमआरआई के परिणामों का मतलब क्या है? - Lumbosacral Spine MRI results mean in Hindi?
  7. लंबोसैकरल स्पाइन एमआरआई के जोखिम और लाभ - Lumbosacral Spine MRI risks and benefits in Hindi?
  8. लंबोसैकरल स्पाइन एमआरआई के बाद क्या होता है? - What happens after a Lumbosacral Spine MRI in Hindi?
  9. लंबोसैकरल स्पाइन एमआरआई के साथ किए जाने वाले अन्य टेस्ट - Other tests that can be done with a Lumbosacral Spine MRI in Hindi?
लंबोसैकरल स्पाइन का एमआरआई स्कैन के डॉक्टर

यदि आप निम्न स्थितियों से गुजर रहे हैं तो डॉक्टर लम्बोसैक्रल स्पाइन एमआरआई कराने के लिए सुझाव दे सकते हैं :

कंट्रास्ट डाई के साथ लम्बोसैक्रल स्पाइन एमआरआई विशेष रूप से निम्नलिखित स्थितियों को स्पष्ट करने के लिए किया जाता है :

  • पीठ के निचले हिस्से में दर्द के कारणों में अंतर करने के लिए
  • वायरल या सूजन की स्थिति में नसों की जड़ों को देखने के लिए
  • ट्यूमर का पता लगाने के लिए

(और पढ़ें - सूजन कम करने की आयुर्वेदिक दवा)

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ज्यादातर लोगों के लिए यह टेस्ट बहुत सुरक्षित है। हालांकि, निम्नलिखित स्थितियों में इसे कराने का सुझाव नहीं दिया जाता है।

  • मेटल इंप्लांट : यदि आपने मेटल इंप्लांट कराया है तो इस बारे में डॉक्टर को जरूर बताएं, लेकिन मेटल इंप्लांट कराने का मतलब यह नहीं है कि आप यह टेस्ट नहीं करा सकते हैं। इस बारे में अंतिम निर्णय मेडिकल स्टाफ का होता है, वह स्थिति के अनुसार निर्णय ले सकते हैं।
  • टैटू : ज्यादातर टैटू सुरक्षित होते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी टैटू होते हैं, जिसकी स्याही में सूक्ष्म धातु का प्रयोग किया जाता है। चूंकि एमआरआई में मैग्नेट का प्रयोग होता है ऐसे में इन सूक्ष्म धातु कणों की वजह से मशीन को नुकसान पहुंच सकता है।

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आमतौर पर, आपको प्रक्रिया के निर्धारित समय से चार से छह घंटे पहले से कुछ नहीं खाना-पीना चाहिए। यदि आपको बंद जगहों (क्लॉस्ट्रोफोबिया) से डर लगता है, तो रेडियोलॉजिस्ट या डॉक्टर से परामर्श करें, वह आपको सेडेटिव ड्रग्स या एनेस्थीसिया दे सकते हैं, जो कि चिंता को दूर करने में मदद कर सकता है। सेडेटिव ड्रग्स एक प्रकार की प्रिस्क्रिप्शन दवा है, जो आपके मस्तिष्क की गतिविधि को धीमा कर देती है। इसके अलावा, निम्न स्थितियों में भी डॉक्टर को जरूर बताएं :

  • ब्रेन एन्यूरिज्म (धमनीविस्फार में रक्त के प्रवाह को रोकने के लिए धातु की क्लिप का उपयोग करना)
  • पेसमेकर या हार्ट डिफाइब्रिलेटर (दिल की धड़कन को नियंत्रित करने में मदद करने के लिए छाती के अंदर लगाए जाने वाला छोटा उपकरण)
  • आर्टिफिशियल हार्ट वाल्व
  • कान के अंदर का प्रत्यारोपण
  • आर्टिफिशियल ज्वॉइंट जो कि हाल ही में लगाया गया हो
  • वस्कुलर स्टेंट (रक्त वाहिका की दीवारों को स्थायी रूप से सहारा देने व इसे फिर से बंद होने से रोकने के लिए खोखली जालीदार ट्यूब का प्रयोग करना)
  • किडनी की बीमारी/डायलिसिस

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एमआरआई स्कैन में आमतौर पर निम्नलिखित स्टेप्स अपनाए जाते हैं :

  • रेडियोग्राफी कर्मचारी आपको स्कैन वाले कमरे में ले जाने से पहले धातु की सभी वस्तुओं जैसे घड़ी, आभूषण, चाबियों इत्यादि चीजों को हटाने के लिए कहेंगे।
  • वे आपको एक गाउन पहनने के लिए भी दे सकते हैं।
  • इसके बाद आपको स्कैनर की पतली सी टेबल पर लेटना होगा, जो कि धीरे-धीरे एमआरआई मशीन के बड़े बेलनाकार आकार के ट्यूब में चली जाएगी।
  • यदि प्रक्रिया के लिए एक कंट्रास्ट डाई का प्रयोग किया जाना है, तो इसे टेस्ट से पहले इंजेक्शन के माध्यम से शरीर में इंजेक्ट किया जाएगा। इसके उपयोग से अधिक स्पष्ट छवियों को देखा जा सकता है।
  • यह टेस्ट 30-60 मिनट या उससे अधिक समय तक चल सकता है।

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एमआरआई एक दर्द रहित प्रक्रिया है, लेकिन कुछ लोगों को स्कैनिंग टेबल थोड़ी सख्त और ठंडी महसूस हो सकती है। ऐसे मामलों में, आप तकिया या कंबल के लिए रेडियोलॉजिस्ट से कह सकते हैं। प्रक्रिया के दौरान मशीन से तेज आवाज आ सकती है, ऐसे में आप शोर को कम करने के लिए इयरप्लग मांग सकते हैं।

एमआरआई छवियों की व्याख्या रेडियोलॉजिस्ट द्वारा की जाती है, इसके बाद वे डॉक्टर को विस्तृत रिपोर्ट भेजते हैं। फिर, डॉक्टर परिणामों पर चर्चा करेंगे। यदि उन्हें असामान्य परिणाम दिखते हैं तो निम्न स्थितियों का कारण हो सकते हैं :

  • स्पाइनल स्टेनोसिस (स्पाइनल कॉलम का संकुचित होना)
  • लम्बर रेडिकुलोपैथी (हर्नियेटेड या स्लिप्ड डिस्क)
  • स्पॉन्डिलाइटिस (रीढ़ की हड्डी और कार्टिलेज का असामान्य रूप से खराब होना)
  • बढ़ती उम्र के कारण हो रहे नुकसान
  • हड्डी में संक्रमण
  • ऑस्टियोपोरोसिस, जिसके चलते पीठ के निचले हिस्से में फ्रैक्चर हो जाता है
  • रीढ़ की हड्डी में चोट / फोड़ा
  • सीरिंगोमीलिया (रीढ़ की हड्डी के अंदर द्रव से भरा सिस्ट बनना)
  • एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (जोड़ों की सूजन जो मुख्य रूप से रीढ़ को प्रभावित करती है)
  • कॉडा इक्वाइन सिंड्रोम (रीढ़ की हड्डी के नीचे फैलने वाली नसों के समूह को नुकसान)
  • डिस्काइटिस (डिस्क की सूजन)
    • रीढ़ में ट्यूमर
    • त्रिकास्थि और कूल्हे की हड्डी के बीच के जोड़ में संक्रमण
    • सैक्रल मेनिन्जियल सिस्ट (द्रव से भरी थैली जो सैक्रल वाले हिस्से की नसों को प्रभावित करती है)
    • सैक्रल फ्रैक्चर
    • सैक्रल फटीग स्ट्रेस फ्रैक्चर
    • सैक्रल ट्यूमर

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लम्बोसैक्रल स्पाइन एमआरआई एक सुरक्षित स्कैनिंग प्रक्रिया है। हालांकि, इसमें कुछ जटिलताएं भी हो सकती हैं जो कि इस प्रकार हैं :

  • दुर्लभ मामलों में, टेस्ट से पहले इंजेक्ट किए गए कंट्रास्ट डाई से एलर्जी
  • स्कैनर द्वारा पेसमेकर व अन्य किसी प्रत्यारोपण (इंप्लांट) के काम को बाधित करना
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यदि टेस्ट के लिए सिडेटिव ड्रग्स दिया गया था, तो आपको तब तक आराम करने की आवश्यकता हो सकती है, जब तक कि इसका प्रभाव पूरी तरह से खत्म न हो जाए। इसीलिए टेस्ट के बाद कुछ समय तक ड्राइविंग या अन्य किसी जोखिम भरे काम को न करने की सलाह दी जाती है।

यदि आपको प्रक्रिया के दौरान कंट्रास्ट डाई का इजेक्शन लगाया गया था, तो उस स्थान पर सूजन, खुजली, दाने जैसी समस्या हो सकती है। कुछ मामलों में सांस लेने में कठिनाई जैसे दुष्प्रभावों के लिए आपको मॉनीटर करने की आवश्यकता हो सकती है। यदि आपको इंजेक्शन वाले स्थान पर कोई लालिमा या सूजन दिखाई देती है, तो डॉक्टर को बताएं क्योंकि यह संक्रमण का संकेत हो सकता है।

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सटीक निदान के लिए इस परीक्षण के साथ निम्नलिखित टेस्ट कराने का सुझाव दिया जा सकता है :

ध्यान रहे : टेस्ट के परिणाम रोगी के नैदानिक स्थितियों से सहसंबद्ध यानी जुड़े होने चाहिए। ऊपर मौजूद जानकारी शैक्षिक दृष्टिकोण से दी गई है और यह किसी भी डॉक्टर द्वारा सुझाए गए मेडिकल सलाह का विकल्प नहीं है।

Dr. Rachita Gupta

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रेडियोलोजी
12 वर्षों का अनुभव

Dr. Tejinder Kataria

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रेडियोलोजी
35 वर्षों का अनुभव

Dr. Shyam Singh Bisht

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रेडियोलोजी
17 वर्षों का अनुभव

Dr. Shikha Goyal

Dr. Shikha Goyal

रेडियोलोजी
18 वर्षों का अनुभव

संदर्भ

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