लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) टेस्ट क्या है? 

एलडीएल कोलेस्ट्रॉल टेस्ट, हृदय के रोगों का पता लगाने के लिए किए जाने वाले लिपिड प्रोफाइल टेस्ट का ही एक प्रकार है। जैसा कि इसके नाम से पता चल रहा है यह लिपिड (वसा) और प्रोटीन से युक्त होता है। कोलेस्ट्रॉल खून में पाया जाने वाला एक मोम के जैसा पदार्थ होता है। खून के कोलेस्ट्रॉल के दो प्रकार होते हैं, जिनमे भोजन से मिलने वाला और लिवर से बनने वाला कोलेस्ट्रॉल शामिल हैं। लिवर वही कोलेस्ट्रॉल बनाता है, जिसकी शरीर को भिन्न क्रियाओं के लिए आवश्यकता होती है। लिपोप्रोटीन खून से कोलेस्ट्रॉल को कोशिकाओं तक पहुंचाते हैं। एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का प्राथमिक कार्य यही है।

पूरे शरीर के कोलेस्ट्रॉल में लगभग आधा एलडीएल होता है। शरीर की कोशिकाएं मिले हुए कोलेस्ट्रॉल को भिन्न कार्यों के लिए प्रयोग करती हैं। जब कोशिका को पर्याप्त कोलेस्ट्रॉल मिल जाता है तो वे अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल नहीं लेती। जिससे खून में मौजूद अतिरिक्त एलडीएल रक्त वाहिकाओं की आंतरिक परतों में जमने लगता है। जिससे लुमेन रक्त वाहिका संकुचित या पतली हो जाती है और रक्त का प्रवाह कम हो जाता है। इसलिए एलडीएल को कभी-कभी ‘बैड कोलेस्ट्रॉल’ कहते हैं।

  1. एलडीएल कोलेस्ट्रॉल टेस्ट क्यों किया जाता है - What is the purpose of LDL Cholesterol test in Hindi
  2. एलडीएल कोलेस्ट्रॉल टेस्ट से पहले - Before LDL Cholesterol test in Hindi
  3. एलडीएल कोलेस्ट्रॉल टेस्ट के दौरान - During LDL Cholesterol test in Hindi
  4. एलडीएल कोलेस्ट्रॉल टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज - LDL Cholesterol test result and normal value in Hindi

एलडीएल कोलेस्ट्रॉल टेस्ट किसलिए किया जाता है?

इस टेस्ट को करवाने की सलाह बीस वर्ष से अधिक के व्यस्कों को दी जाती है। यह टेस्ट नियमित रूप से हर चार से छह सालों में करवाते रहना चाहिए। एलडीएल के बढ़ते हुए स्तर के कोई लक्षण नहीं होते। जैसा कि बताया जा चुका है कि एलडीएल के अधिक स्तर से धमनियों में रुकावट आ सकती है। इसलिए एलडीएल कोलेस्ट्रॉल टेस्ट लिपिड प्रोफाइल के एक भाग की तरह किया जाता है ताकि हृदय की बिमारियों के खतरों का पता लगाया जा सके। डॉक्टर इस टेस्ट की सलाह निम्न स्थितियों में दे सकते हैं:

  • व्यक्ति के परिवार में अधिकतर लोगों को हाई कोलेस्ट्रॉल की शिकायत हो 
  • मोटापा या धूम्रपान की आदत 
  • लिपिड सम्बन्धी विकारों के लिए ली जा रही दवाओं के प्रभाव का पता लगाने के लिए 
  • कुछ दुर्लभ अनुवांशिक बीमारी के लक्षण दिखने पर जिसमें त्वचा के अंदर वसा जमा हो जाती है, इस स्थिति को (क्सैनथोमस)
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एलडीएल टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

डॉक्टर टेस्ट से 9-12 घंटे पहले भूखे रहने के लिए कह भी सकते हैं या हो सकता है कि न कहा जाए। यदि भूखे रहने की जरुरत होती है, तो टेस्ट से पहले भोजन नहीं खाना चाहिए सिर्फ पानी ही पीना चाहिए। इसके अलावा अधिक शारीरिक क्रियाएं भी नहीं करनी चाहिए। दवा पानी के साथ ली जा सकती है दवा से संबंधित कोई भी बदलाव केवल डॉक्टर के कहने पर ही करें। यदि आप कोई भी अन्य दवा, विटामिन या हर्बल सप्लीमेंट ले रहें हैं तो इसकी जानकारी डॉक्टर को दें। यदि टेस्ट से सात दिन पहले कोई टेस्ट करवाया गया है तो इसके बारे में भी डॉक्टर को बताएं।

एलडीएल टेस्ट कैसे किया जाता है?

इस टेस्ट की प्रक्रिया छोटी और सामान्य है। एक डॉक्टर या नर्स व्यक्ति के बांह की नस से ब्लड सैंपल ले लेते हैं। यह एक सामान्य प्रक्रिया से किया जाता है। पहले, बांह पर एक इलास्टिक बैंड बांधा जाता है ताकि नस स्पष्ट और बड़ी नज़र आए। अल्कोहॉल युक्त दवा से बांह को साफ़ किया जाता है।

सुई लगने के दौरान मरीज को हल्का सा दर्द हो सकता है या चुभन जैसी संवेदना हो सकती है ये लक्षण जल्दी ही ठीक हो जाते हैं। इस के बाद खून को एक ट्यूब में रखा जाता है और इंजेक्शन लगी जगह पर रक्त का प्रवाह रोकने के लिए रुई लगाई जाती है। इस के बाद बांह पर एक बैंडेज लगा दी जाती है। फिर ब्लड सैंपल को आगे के परिक्षण के लिए भेज दिया जाता है। कुछ लोगों को सुई लगने से नील भी पड़ जाता है यह भी आमतौर पर जल्द ही ठीक हो जाता है। 

एलडीएल टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज

सामान्य परिणाम:
टेस्ट के परिणाम मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (mg/dL) में बताए जाते हैं। टेस्ट के परिणाम हर व्यक्ति में लिंग, उम्र और दूसरी आदतों के अनुसार अलग आ सकते हैं। इसीलिए, 50-130 mg/dL रेंज सामान्य मानी गई है। 70 mg/dL की वैल्यू को डायबिटीज के मरीजों और उन लोगों के लिए सामान्य माना गया है जिन्हें हृदय रोग का खतरा होता है। इससे अधिक वैल्यू को उनके लिए असामान्य माना गया है। 

असामान्य परिणाम:
जैसा कि एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को बैड कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है, तो इसकी मात्रा सामान्य स्तर से कम होती है। हालांकि, एलडीएल का स्तर अत्यधिक कम हो गया है, तो इस से विटामिन ए, डी और के से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। यदि मात्रा सामान्य से अधिक हो जाती है, तो इसे असामान्य माना जाता है। एलडीएल की रेंज और रिस्क के बारे में निम्न सूची में बताया गया है:

  • 100 mg/dL से कम: कोई खतरा नहीं
  • 100-129 mg/dL: कम खतरा
  • 130-159 mg/dL: मध्यम खतरा
  • 160-189 mg/dL: अधिक खतरा
  • 190 mg/dL और ज्यादा: अत्यधिक खतरा

एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के ये अधिक स्तर डिसलिपिडेमिया नामक स्थिति से जुड़े हुए हो सकते हैं। इसका कोई अनुवांशिक कारण हो सकता है। ये स्थिति तब होती है जब शरीर में वसा युक्त पदार्थ का असंतुलन हो जाता है। एलडीएल के उच्च स्तर से कुछ प्राण घातक बीमारियां और हृदय सम्बन्धी विकार जुड़े होते हैं जैसे 

डॉक्टर कुछ दवाएं और जीवन शैली में बदलाव के लिए कह सकते हैं जिनसे इन खतरों से बचा जा सकता है।

नोट: टेस्‍ट के रिजल्‍ट और व्‍यक्‍ति के लक्षणों के आधार पर ही उचित निदान किया जाना चाहिए। उपरोक्त जानकारी पूरी तरह से शैक्षिक दृष्टिकोण से दी गई है और यह किसी भी तरह से डॉक्‍टर की चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है।

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संदर्भ

  1. healthfinder.gov. Get Your Cholesterol Checked. Office of Disease Prevention and Health Promotion [internet]
  2. Gerard J. Tortora, Bryan H. Derrickson. Principles of Anatomy and Physiology. 14th Edition; Wiley, 2013. [internet].
  3. University of Rochester Medical Center. LDL Cholesterol. Rochester, New York. [internet].
  4. National Heart, Lung, and Blood Institute [Internet]. Bethesda (MD): U.S. Department of Health and Human Services; Blood Tests
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