इन्सुलिन- लाइक ग्रोथ फैक्टर-1 (आइजीएफ-1) टेस्ट क्या है?

इन्सुलिन-लाइक ग्रोथ फैक्टर-1 या आइजीएफ-1 लिवर द्वारा प्राथमिक तौर पर बनाया जाने वाला एक हार्मोन है। यह प्राकृतिक रूप से रक्त में पाया जाता है और ग्रोथ हार्मोन (जीएच) के प्रभावों को नियंत्रित करने में मदद करता है। एक साथ ये दोनों हार्मोन हड्डियों और ऊतकों के विकास में मदद करते हैं।

आमतौर पर आइजीएफ-1 का उत्पादन जीएच के स्राव से उत्तेजित होता है, हालांकि जहां जीएच के स्तर दिन भर में बढते-घटते रहते हैं वहीं आइजीएफ-1 के स्तर रक्त में स्थिर रहते हैं। इसीलिए रक्त आइजीएफ-1 के स्तरों की जांच करने से जीएच के स्तरों का अंदाजा लगाया जा सकता है।

आइजीएफ-1 ब्लड टेस्ट रक्त में इन्सुलिन-लाइक ग्रोथ फैक्टर-1 की अधिकता या कमी का पता करने के लिए किया जाता है।

  1. आइजीएफ-1 टेस्ट क्यों किया जाता है - Insulin-Like Growth Factor-1 kyon kiya jata hai
  2. आइजीएफ-1 टेस्ट से पहले - Insulin-Like Growth Factor-1 Test se pahle
  3. आइजीएफ-1 टेस्ट के दौरान - Insulin-Like Growth Factor-1 test ke dauran
  4. आइजीएफ-1 टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब है - Insulin-Like Growth Factor-1 Test ke result ka matlab kya hai

आइजीएफ-1 टेस्ट किसलिए किया जाता है?

यदि डॉक्टर को आपके शरीर में जीएच की कमी होने का संदेह होता है तो वे इस टेस्ट की सलाह दे सकते हैं। यह पिट्यूटरी ग्रंथि की कार्य-प्रक्रिया का पता लगाने के लिए भी किया जा सकता है। पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा जीएच बनाया जाता है।

बच्चों में ग्रोथ हार्मोन की कमी से निम्न लक्षण दिखाई देते हैं :

वयस्कों में ग्रोथ हार्मोन की कमी से निम्न लक्षण दिखाई देते हैं :

  • हड्डियों के घनत्व का कम होना और ऑस्टियोपोरोसिस
  • कमर के पास बहुत अधिक चर्बी होना
  • रक्त में लिपिड के स्तरों में बदलाव
  • थकान
  • मांसपेशियों का घनत्व कम होना

यह बच्चों में कुपोषण की जांच करने में भी मदद करता है। कुपोषण से बच्चों के रक्त में आइजीएफ1 के स्तर कम हो सकते हैं।

बहुत ही कम मामलों में यह टेस्ट जीएच के अत्यधिक स्राव की जांच करने के लिए किया जाता है। ऐसे मामलों में यह टेस्ट अन्य विकारों जैसे जाइगैंटिस्म या एक्रोमेगली का पता लगाने के लिए भी किया जाता है। जाइगैंटिस्म बच्चों को होने वाला एक हार्मोनल विकार है, जिसमें अत्यधिक जीएच बनने के कारण शरीर का असामान्य रूप से विकास हो जाता है। एक्रोमेगली एक हार्मोनल विकार है, जिसमें पिट्यूटरी ग्रंथि अत्यधिक जीएच बनाने लगती है।

यदि आपने पिट्यूटरी ग्रंथि के लिए सर्जरी करवाई है तो आइजीएफ-1 टेस्ट को एक फॉलो अप टेस्ट की तरह ट्यूमर की जांच करने के लिए किया जाएगा।

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आइजीएफ-1 टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

इस टेस्ट से पहले किसी भी तरह की तैयारी करने की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि, कुछ मामलों में डॉक्टर आपसे टेस्ट से बारह घंटे पहले भूखे रहने की सलाह दे सकते हैं।

यदि आप किसी भी तरह की दवा या सप्लीमेंट ले रहे हैं, तो इसके बारे में डॉक्टरों को बता दें।

आइजीएफ-1 टेस्ट कैसे किया जाता है?

डॉक्टर या नर्स सुई की मदद से आपकी बांह की नस से ब्लड सैंपल निकाल लेंगे। सुई लगने से आपको हल्का सा दर्द या चुभन महसूस हो सकती है।

इस टेस्ट के बाद आपको हल्की सी थकान महसूस हो सकती है और कुछ मामलों में थोड़ा बहुत चक्कर भी आ सकता है। यदि आपको सुई लगी जगह पर अत्यधिक रक्तस्राव हुआ है या नील पड़ गया है तो इसे डॉक्टर को दिखाएं।

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आइजीएफ-1 टेस्ट के परिणाम क्या बताते हैं?

सामान्य परिणाम

इस टेस्ट के परिणाम किसी व्यक्ति की उम्र, लिंग और पिछले स्वास्थ्य के अनुसार अलग आ सकते हैं।

सामान्य टेस्ट रिजल्ट का मतलब है कि आपके शरीर में आइजीएफ -1 के स्तर सामान्य संदर्भ रेंज में हैं। हालांकि यह ध्यान रखना जरूरी है कि आइजीएफ-1 के स्तर जीएच के स्तरों की सटीक जानकारी नहीं देते हैं। उदाहरण के तौर पर आपके शरीर में जीएच के स्तर कम हो सकते हैं लेकिन आइजीएफ -1 के स्तर सामान्य रह सकते हैं। ऐसी स्थिति में आपको एक्रोमेगली रोग नहीं होगा।

असामान्य परिणाम

आइजीएफ-1 के असामान्य परिणाम या तो सामान्य रेंज से अधिक होंगे या कम जो कि निम्न स्थितियों में हो सकते हैं :

आइजीएफ-1 का कम स्तर सामान्य से कम होना जीएच की कमी का संकेत देता हैं। इसका मतलब है कि या तो पिट्यूटरी ग्रंथि ठीक से कार्य नहीं कर रही है या फिर पोषक तत्वों की कमी के कारण ये स्तर कम हुए हैं।

आइजीएफ-1 के अधिक स्तर का मतलब है कि जीएच का उत्पादन बढ़ गया है जो कि पिट्यूटरी ट्यूमर के कारण हो सकता है।

अपने टेस्ट के परिणामों से संबंधित पर्याप्त जानकारी लेने के लिए डॉक्टर को रिपोर्ट दिखाएं।

संदर्भ

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  2. ARUP Labs [Internet]. University of Utah. Hypopituitarism
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