इम्युनोग्लोबुलिन टेस्ट क्या है?
इम्युनोग्लोबुलिन वे प्रोटीन हैं जो कि हमारा शरीर एंटीजन के विरोध में बनता है। एंटीजन ऐसे पदार्थ हैं जिसको हमारा शरीर हानिकारक मानता है। इनमें बैक्टीरिया, वायरस, कैंसर कोशिकाएं और अन्य विषाक्त आदि शामिल हैं।
विशिष्ट इम्युनोग्लोबुलिन कुछ विशेष एंटीजन के विरोध में बनाए जाते हैं, इसका मतलब है कि कोई भी एंटीबॉडी केवल उसी एंटीजन पर हमला करेगा जिसके लिए वह बना है। उदाहरण के लिए ट्यूबरकुलोसिस इम्युनोग्लोबुलिन सिर्फ ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया पर ही हमला करते हैं, ये किसी अन्य बैक्टीरिया के विरोध में कार्य नहीं करते। हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली की भी अपनी एक याददाश्त होती है। एक बार जब यह किसी एंटीजन के संपर्क में आ जाती है तो वे बीमारी वाले एंटीजन को याद कर लेती है और अगली बार जब ये एंटीजन शरीर में आते हैं तो तुरंत ही उनके विरोध में एंटीबॉडीज बन जाते हैं। हालांकि, कभी-कभी प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से स्वस्थ अंगों और ऊतकों के विरोध में भी एंटीबॉडीज बना देती है जिसके कारण ऑटोइम्यून रोग हो जाते हैं। ऐसे एंटीबॉडीज को ऑटोएंटीबॉडीज़ कहा जाता है।
इम्युनोग्लोबुलिन टेस्ट या टोटल इम्युनोग्लोबुलिन टेस्ट रक्त में एंटीबॉडीज या फिर इम्युनोग्लोबुलिन- आइजीए, आईजीजी और आईजीएम की पहचान करता है। ऐसा करने से पहले कभी या हाल ही में हुए संक्रमणों, रोगों या ऑटोइम्यून स्थितियों की पहचान की जा सके।
इस टेस्ट से जिन तीन इम्युनोग्लोबुलिन की पहचान की जा सकती है, वे निम्न हैं :
- आईजीएम
यह सबसे बड़ा एंटीबॉडी है जो कि एंटीजन की प्रतिक्रिया के रूप में सबसे पहले बनाया जाता है। आईजीएम पूरे एंटीबॉडीज का 5% से 10% होता है, यह रक्त और लसिका ग्रंथि दोनों में पाया जाता है।
- आईजीजी
आईजीजी सबसे छोटे एंटीबॉडीज हैं लेकिन ये सबसे सामान्य हैं। यह संपूर्ण एंटीबॉडीज का 75% से 80% भाग होता है, यह एंटीबॉडीज वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण से लड़ने के लिए जरुरी है। आईजीजी किसी भी संक्रमण के बाद शरीर में सबसे लंबे समय तक रहते हैं और संक्रमण को याद रखने में प्रतिरक्षा प्रणाली की मदद करते हैं। यही वे एंटीबॉडीज हैं जो कि दोबारा संक्रमण होने पर तुरंत प्रतिक्रिया करते हैं।
इसके अलावा आईजीजी ही केवल अकेला ऐसा एंटीबॉडी है जो कि गर्भनाल से निकल सकता है, इसीलिए गर्भावस्था के दौरान ये शिशु की भी रक्षा कर सकते हैं।
- आइजीए
आइजीए एंटीबॉडीज संपूर्ण एंटीबॉडीज का 15% होता है। यह आंसू, लार, साइनस, फेफड़ों, माँ के दूध और पेट व आंतों के गैस्ट्रिक द्रवों में पाया जाता है। बच्चे के रक्त में जन्म के छह महीने बाद तक आइजीए एंटीबॉडीज नहीं होते, ये एंटीबॉडीज बच्चे में माँ के दूध द्वारा ही आते हैं।