हिस्टेरोसाल्पिंगोग्राफी (एचएसजी), एक फ्लोरोस्कोपी प्रक्रिया है, जो गर्भाशय (गर्भ) के आकार के बारे में जानकारी देने के साथ-साथ फैलोपियन ट्यूब में किसी भी ब्लॉकेज के बारे में पता करने में मदद करती है। फैलोपियन ट्यूब स्लेंडर के आकार की ट्यूब की एक जोड़ी को कहते हैं, अंडा इसी ट्यूब के माध्यम से अंडाशय से गर्भाशय तक जाता है।
फ्लोरोस्कोपी एक प्रकार का एक्स रे है, जिसकी मदद से महिलाओं के गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब की जांच की जाती है। इस प्रकार के एक्स-रे में एक विशेष प्रकार की डाई (कंट्रास्ट मैटेरियल) को इंजेक्शन द्वारा शरीर के अंदर डाला जाता है। इसके बाद आंतरिक अंगों को देखने के लिए उन्हें एक्स-रे रेडिएशन के संपर्क में लाया जाता है, जब ये डाई शरीर के अंदरूनी अंगों से होकर गुजरती है, तो कुछ-कुछ निश्चित स्थान मॉनिटर पर दिख रहे एक्स-रे फिल्म पर सफेद रंग में दिखने लगते हैं। इस दौरान हड्डियों जैसे मोटे ऊतक भूरे रंग के दिखाई देते हैं, जबकि फेफड़े जैसे ऊतक काले दिखाई देते हैं।
कंट्रास्ट डाई की मदद से अंगों व ऊतकों में गड़बड़ी या किसी असामान्यता का आसानी से पता लगाया जा सकता है। सामान्य एक्स-रे में केवल एक फिल्म को चेक किया जाता है, जबकि फ्लोरोस्कोपी में एक्स-रे वाले चित्र किसी वीडियो की तरह लगातार चलते हुए दिखाए देते हैं।
इसे यूटरोसैल्पिंगोग्राफी के रूप में भी जाना जाता है। आमतौर पर प्रजनन क्षमता कमजोर होने का कारण जानने के लिए एचएसजी टेस्ट किया जाता है। जब नियमित रूप से एक साल से असुरक्षित यौन संबंध बनाने के बावजूद महिला गर्भवती नहीं होती तो यह प्रजनन क्षमता का कमजोर होना कहलाता है।
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