हिप एमआरआई (मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग) स्कैन एक इमेजिंग टेस्ट है, जो स्ट्रांग मैग्नेटिक फील्ड और रेडियो तरंगों का उपयोग करके कंप्यूटर स्क्रीन पर कूल्हे के जोड़ की विस्तृत तस्वीरें तैयार करता है।
हिप ज्वॉइंट यानी कूल्हे का जोड़, उन जोड़ों में से एक है, जो शरीर का भारी हिस्सा वहन करता है। इसमें जांघ के ऊपरी सिरे पर मौजूद गेंदनुमा आकार की हड्डी और कूल्हे की हड्डी का सॉकेट (एसिटाबुलम) शामिल है। इन जोड़ों को निम्नलिखित ऊतकों द्वारा प्रबलित किया जाता है जैसे :
- उपास्थि : यह संयोजी ऊतक होते हैं, जो जोड़ को रेखाबद्ध (लाइन) करते हैं और उन्हें लचीला बनाए रखने में मदद करते हैं।
- स्नायुबंधन : यह जोड़ों के चारों ओर सख्त लोचदार ऊतक के बैंड होते हैं। कूल्हे वाले हिस्से में स्नायुबंधन का कार्य जांघ की हड्डी के गेंदनुमा हिस्से को कूल्हे की सॉकेट में बांधे रखना है।
- लैब्रम : यह कार्टिलेज का एक गोलाकार बैंड है, जो जोड़ को अधिक स्थिरता प्रदान करने के लिए उसे चारों ओर से घेरे रहता है।
एमआरआई प्रक्रिया के दौरान व्यक्ति को एमआरआई मशीन में मौजूद स्ट्रांग मैग्नेट के नीचे लेटने के लिए कहा जाता है। मशीन का ट्रांसमीटर रेडियो तरंगों को भेजता है, जो कि स्कैन किए जा रहे हिस्से में परमाणुओं को बदल देता है। जब ट्रांसमीटर बंद हो जाता है, तो परिवर्तित परमाणु रेडियो सिग्नल भेजते हैं, जिन्हें मशीन का रिसीवर समझता व पढ़ता है। इसके बाद कंप्यूटर स्कैन किए गए हिस्से की छवियों को बनाने के लिए प्राप्त डेटा का उपयोग करता है।
कुछ मामलों में, एमआरआई के दौरान कंट्रास्ट डाई का प्रयोग करने का सुझाव दिया जाता है। बता दें, टेस्ट से पहले डाई का प्रयोग करने से फोटो अधिक स्पष्ट और विस्तृत आती है। इसकी मदद से कूल्हे के जोड़ की भीतरी संरचनाएं रेखांकित हो जाती हैं और असामान्य स्थितियों की पहचान की जा सकती है। कंट्रास्ट डाई के साथ किए जाने वाले जोड़ों के एमआरआई को 'एमआर आर्थ्रोग्राफी' कहा जाता है, यह जोड़ों से संबंधित स्थितियों और अस्पष्ट दर्द का मूल्यांकन और निदान करने के लिए किया जा सकता है।
एमआर आर्थ्रोग्राफी दो प्रकार की होती है : डायरेक्ट एमआर आर्थ्रोग्राफी और इनडायरेक्ट एमआर आर्थ्रोग्राफी।
डायरेक्ट एमआर आर्थ्रोग्राफी में डॉक्टर कंट्रास्ट डाई को सीधे जोड़ में इंजेक्ट करते हैं, जबकि इनडायरेक्ट एमआर आर्थ्रोग्राफी में कंट्रास्ट डाई को रक्तप्रवाह में डाला जाता है और जो कि जोड़ में अवशोषित हो जाता है। डायरेक्ट एमआर आर्थ्रोग्राफी काफी लोकप्रिय तरीका है, क्योंकि यह जोड़ को बड़े रूप में दिखाता है, जिससे आंतरिक संरचनाओं को बेहतर तरीके से देखा जा सकता है।