हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस टेस्ट क्या है?

हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस टेस्ट की मदद से उन एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है, जिन्हें प्रतिरक्षा प्रणाली, एचएसवी संक्रमण द्वारा बने एंटीजन के विरोध में प्रतिक्रिया करके बनाती है। इस टेस्ट की मदद से यह भी पता लगाया जाता है, कि शरीर में कितनी मात्रा में यह एंटीबॉडी मौजूद हैं। हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस 1 (HSV1) का संक्रमण त्वचा और मुँह की म्यूकस परत और नाक से संबंधित होते हैं। हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस 2 (HSV2) अत्यधिक जननांगों को प्रभावित करता है। यह वायरस शरीर में चोट लगने, मुँह से बलगम निकलने और शारीरिक संबंध बनाने से आते हैं। संक्रमण के शुरुआती अवस्था में मरीज को बुखार, गले में और मुँह में दर्द व जननांगों में तीव्र दर्द होता है। द्वितीय अवस्था में संक्रमण निष्क्रिय हो जाता है और वायरस संपूर्ण जीवनकाल के लिए रीढ़ की हड्डी में रहते हैं। ये संक्रमण प्रतिरक्षा प्रणाली के कमजोर होने पर, तनाव के दौरान, चोट लगने, बीमारियों (कैंसर, एड्स आदि), धूप में जाने और महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान सक्रिय हो जाते हैं। एचएसवी 1 संक्रमण 67% पचास वर्ष से कम आयु वाले लोगों में पाया जाता है और एचएसवी 2 संक्रमण विश्व भर में ग्यारह प्रतिशत 15 से 49 वर्ष के लोगों में देखा जाता है। एचएसवी वायरस गर्भवती माँ से बच्चे में जन्म से पूर्व चला जाता है। एचएसवी से जन्मजात हर्पीस और बच्चे के मस्तिष्क में जन्मजात विकार हो सकते हैं, ये बच्चे के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को भी प्रभावित कर सकता है। भारत में, 13.3% लोग दोनों प्रकार के वायरस से ग्रस्त होते हैं। भारत की 33 प्रतिशत आबादी में एचएसवी 1 के परिणाम सकारात्मक आते हैं और एचएसवी 2 के लक्षण 16.6% लोगों में देखे जाते हैं।

(और पढ़ें - हर्पीस का आयुर्वेदिक इलाज)

  1. हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस टेस्ट क्यों किया जाता है - What is the purpose of Herpes Simplex Virus test in Hindi
  2. हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस टेस्ट के पहले - Before Herpes Simplex Virus test in Hindi
  3. हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस टेस्ट के दौरान - During Herpes Simplex Virus test in Hindi
  4. हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब है - Herpes Simplex Virus test result and normal value in Hindi

हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस टेस्ट किसलिए किया जाता है?

एचएसवी टेस्ट तब किया जाता है जब व्यक्ति में एचएसवी के संक्रमण के कारण निम्न लक्षण दिखाई देते हैं: 

  • मुँह में कई सारे छोटे-छोटे जलन पैदा करने वाले फुंसी या द्रव से भरी हुई फुंसी अथवा मुँह, उँगलियों (उंगलियों में सूजन) और होठों (दर्द) के आसपास छोटे छोटे छाले।  
  • जननांगों, यूरेथ्रा, वजाइना और कूल्हों आदि के आस पास छोटी छोटी फुंसियां। 
  • स्त्री और पुरुष दोनों में जननांगों में दर्द और जलन। 
  • वजाइना या मूत्रमार्ग से गाढा सफेद या पीला द्रव निकलना। 
  •  पेशाब में जलन होना। 

अन्य समस्याओं या जटिलताओं में निम्न शामिल हैं:

 

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हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

टेस्ट करवाने से पहले जिन जरूरी चीज़ो का ध्यान रखना चाहिए वे हैं:

  • टेस्ट करवाने की वजह और टेस्ट की प्रक्रिया के बारे में मरीज को पूरी तरह से बता देना चाहिए।
  • टेस्ट के लिए ब्लड सैंपल ग्लव्स पहन कर लेना चाहिए। 
  • इस टेस्ट के लिए भूखे रहना जरूरी नहीं होता।

(और पढ़ें - ब्लड टेस्ट क्या है)

हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस टेस्ट कैसे किया जाता है?

शरीर में एचएसवी एंटीबॉडी का पता कई तरीकों से लगाया जा सकता है जिसमें वायरस की पहचान, खून में एचएसवी एंटीबॉडीज और फोड़ों के द्रव की जांच शामिल है। 

  • ब्लड सैंपल:
    एक लाल ढक्कन की टेस्ट ट्यूब में 7 मिली. खून के सैंपल लिए जाते हैं। ये सैंपल व्यक्ति की बांह की नस में सुई लगाकर लिए जाते हैं। प्राप्त हुऐ सैंपल को एक लाल ढक्कन की ट्यूब में जमा कर लिया जाता है।
     
  • कल्चर टेस्ट:
    ब्लड या फुंसी के द्रव के लिए गए सैंपल को एक ऐसे विशेष द्रव में मिलाया जाता है जिसमें वायरस का विकास शरीर के बाहर होता है।
     
  • पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (पीसीआर):
    खून और द्रव में एचएसवी के अनुवांशिक पदार्थ का पता पीसीआर द्वारा लगाया जाता है। यह टेस्ट सामान्य तौर पर एचएसवी2 के संक्रमण की जांच के लिए किया जाता है।

हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस टेस्ट के परिणाम क्या बताते हैं?

सामान्य परिणाम:
रक्त में आईजीजी और आईजीएम एंटीबॉडीज के नेगेटिव परिणाम यह दिखाते हैं, कि शरीर में एचएसवी 1 और एचएसवी 2 का संक्रमण नहीं हुआ है।

असामान्य परिणाम:
सकारात्मक परिणाम निम्न का संकेत देते हैं:

  • रक्त में आईजीएम एंटीबॉडीज के पॉजिटिव परिणाम यह दिखाते हैं, कि शरीर में एचएसवी 1 और एचएसवी 2 का संक्रमण हुआ है। 

  • पॉजिटिव आईजीएम एंटीबॉडी इस बात का सूचक हैं कि व्यक्ति को हाल ही में संक्रमण हुआ है और संक्रमण अभी भी सक्रिय अवस्था में है। 

  • पॉजिटिव आईजीजी बताते हैं कि व्यक्ति को पहले कभी यह संक्रमण हुआ था। 

  • आईजीजी एंटीबॉडीज के बढ़ते हुए स्तर दिखाते हैं कि व्यक्ति पहले इस वायरस से संक्रमित हो चुका है और अब ये संक्रमण फिर से सक्रिय हो गया है। 

  • पॉजिटिव कल्चर और पीसीआर टेस्ट का मतलब है कि शरीर में एचएसवी का संक्रमण है। कल्चर और डायरेक्ट इम्युनोफ्लोरोसेंस टेस्ट का प्रयोग एचएसवी1 और एचएसवी2 के संक्रमण का पता लगाने के लिए किया जाता है। कल्चर और पीसीआर टेस्ट काफी सूक्ष्म टेस्ट हैं और ये एचएसवी के संक्रमण का एकदम सटीक तरह से पता लगाने में सक्षम हैं।

संदर्भ

  1. World Health Organization [Internet]. Geneva: World Health Organization; Herpes simplex virus
  2. NHS Inform. Cold sore. National health information service, Scotland [internet].
  3. Stanley Davidson. Davidsons Principles And Practice Of Medicine. 21st Edition, Elsevier
  4. Denise. D. Wilson. McGraw-Hill Manual of Laboratory and Diagnostic Tests. 1st Edition; ISBN10: 0071481524
  5. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; Genital HSV Infections
  6. American Cancer Society [internet]. Atlanta (GA), USA; Viruses that can lead to cancer
  7. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; Genital Herpes - CDC Fact Sheet (Detailed)
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