गैस्ट्रीन टेस्ट क्या है?

गैस्ट्रीन एक हार्मोन है जो कि जी-सैल्स द्वारा स्रावित किया जाता है। जी-सैल्स पेट के निचले हिस्से (पायलोरिक ऐंट्रम), छोटी आंत का पहला भाग (ड्यूडेनम) और अग्नाशय में पाए जाते हैं। यह गैस्ट्रिक एसिड के स्राव को उत्तेजित करता है। गैस्ट्रिक एसिड एक हार्मोन है जो कि पेट में पाचन क्रिया में मदद करता है।

गैस्ट्रीन कई अन्य कारणों से भी स्त्रावित हो सकता है जैसे भोजन को खाने, चबाने, सूंघने या चखने से, भोजन के कारण पेट फूल जाने, पेट में अम्लता की कमी होने और पेट में प्रोटीन, कैल्शियम या अल्कोहॉल होने पर। जब पेट में अम्लता या एसिडिटी बढ़ती है तो गैस्ट्रीन का स्राव कम हो जाता है।

गैस्ट्रीन टेस्ट रक्त में गैस्ट्रीन के स्तर की जांच करता है। यह टेस्ट मुख्य तौर पर गैस्ट्रिनोमा (गैस्ट्रीन द्वारा बनने वाला ट्यूमर) और जोलिंगर-एलिसन सिंड्रोम का परीक्षण करने के लिए किया जाता है। जोलिंगर-एलिसन सिंड्रोम एक स्थिति है जिसमें अग्नाशय और छोटी आंत के अंदर एक या एक से ज्यादा गैस्ट्रिनोमा बन जाते हैं। ये ट्यूमर बड़ी मात्रा में गैस्ट्रीन बनाते हैं जिससे पेट में बहुत से छाले हो जाते हैं और पेट में बार-बार गंभीर पेप्टिक अल्सर (पेट और ड्यूडेनम में फुंसियां)  होने लगती हैं, जिनका इलाज मुश्किल हो जाता है।

  1. गैस्ट्रीन टेस्ट क्यों किया जाता है - Gastrin Test Kyu Kiya Jata Hai
  2. गैस्ट्रीन टेस्ट से पहले - Gastrin Test Se Pahle
  3. गैस्ट्रीन टेस्ट के दौरान - Gastrin Test Ke Dauran
  4. गैस्ट्रीन टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज - Gastrin Test Result and Normal Range

गैस्ट्रीन टेस्ट क्यों किया जाता है?

यदि आपको एसिडिटी है, बार-बार पेट में छाले हो रहे हैं या गैस्ट्रिनोमा से जुड़े अन्य लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो डॉक्टर आपको यह टेस्ट करवाने के लिए कह सकते हैं। इन लक्षणों में निम्न शामिल हैं :

  • पेट में दर्द - पेट में जलन जैसा दर्द जो कि भूख लगने पर अधिक गंभीर हो जाता है और खाने पर कुछ समय के लिए ठीक हो जाता है। यह दर्द लंबे समय तक ठीक और खराब होता रहता है।
  • दस्त
  • जी मिचलाना और उल्टी
  • भूख न लगना
  • वजन घटना

यह टेस्ट उन अन्य स्थितियों की जांच करने के लिए भी किया जा सकता है, जिनसे गैस्ट्रीन के स्तर अधिक हो जाते हैं जैसे जी-सेल हाइपरप्लासिया और पर्निसियस एनीमिया। जी सेल हाइपरप्लासिया रोग के कारण पेट में जी कोशिकाओं की संख्या बढ़ने लगती है और इसमें गैस्ट्रीन अत्यधिक मात्रा में स्त्रावित होने लगता है।

पर्निसियस एनीमिया के अंतर्गत पेट में एसिड बनाने वाली कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। अम्लता के कम होने से जी सेल की सक्रियता बढ़ जाती है जिसके कारण अत्यधिक गैस्ट्रीन बनने लगता है।

इसके अलावा, गैस्ट्रीन टेस्ट से जोलिंगर-एलिसन सिंड्रोम का परीक्षण भी किया जा सकता है जो कि गैस्ट्रीन के अत्यधिक उच्च स्तरों से जुड़ा रोग है। यदि गैस्ट्रीन के स्तर सामान्य रूप से उच्च हैं और डॉक्टर को इस स्थिति का संदेह है तो वे गैस्ट्रीन स्टिमुलेशन टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं। इस टेस्ट में डॉक्टर आपके रक्त में मौजूद गैस्ट्रीन के स्तर की जांच करेंगे जिसके बाद आपको एक इंजेक्शन दिया जाएगा। यह इंजेक्शन आमतौर पर हार्मोन स्त्रावित करने वाला होता है और गैस्ट्रीन के स्त्राव को उत्तेजित करने के लिए दिया जाता है, इसके बाद गैस्ट्रीन के स्तर की फिर से जांच की जाती है। यदि आपको जोलिंगर-एलिसन सिंड्रोम है तो गैस्ट्रीन का स्तर इंजेक्शन लगने के बाद स्पष्ट रूप से बढ़ जाता है।

गैस्ट्रिनोमा के ट्यूमर को सर्जरी द्वारा निकाल दिए जाने के बाद, ट्यूमर फिर से न हुआ हो इसकी जांच करने के लिए भी गैस्ट्रीन टेस्ट की सलाह दी जाती है।

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गैस्ट्रीन टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

इस टेस्ट के लिए बारह घंटे तक भूखे रहने की जरुरत होती है। हालांकि, इस दौरान पानी पीया जा सकता है, टेस्ट से पहले चाय और कॉफी न पिएं। टेस्ट से चौबीस घंटे पहले शराब न पिएं। टेस्ट से एक हफ्ते पहले कोई भी इमेजिंग टेस्ट न करवाएं जिसमें रेडियोएक्टिव पदार्थ का प्रयोग हो रहा हो।

यदि आप किसी भी तरह की दवा या सप्लीमेंट ले रहे हैं तो इसके बारे में डॉक्टर को बता दें। कुछ विशेष दवाएं इस टेस्ट के परिणाम को प्रभावित कर सकती हैं। ऐसी दवाएं जिनसे गैस्ट्रीन के स्तर बढ़ जाते हैं जिनमें एसिड-सप्रेसिव दवाएं (जैसे एंटासिड, रेनिटिडिन और ओमेप्राजोल), कैल्शियम सप्लीमेंट, बीटा ब्लॉकर और इन्सुलिन शामिल हैं। ऐसी दवाएं जिनसे गैस्ट्रीन के स्तर कम हो सकते हैं जैसे कैल्शियम साल्ट, ट्राईसाइक्लिक एंटी-डिप्रेस्सेंट, स्टेरॉयड, एंटीकोलिनेर्जिक्स, कैफीन और एड्रेनर्जिक ब्लॉकर। प्रोटीन युक्त भोजन और पेप्टिक अल्सर सर्जरी से भी इस टेस्ट के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।

आपसे टेस्ट से एक हफ्ते पहले प्रोटोन को पंप करने वाली दवाएं (जैसे ओमेप्राजोल) और टेस्ट से तीन दिन पहले एच-2 रिसेप्टर (सिमेटीडाइन) ब्लॉकर लेने से मना किया जा सकता है।

कोई भी नियमित रूप से ली जा रही दवा को बिना डॉक्टर की सलाह के लेना बंद न करें।

गैस्ट्रीन टेस्ट कैसे किया जाता है?

यह एक सामान्य ब्लड टेस्ट है। नर्स या डॉक्टर आपकी बांह की नस में सुई लगाकर ब्लड सैंपल ले लेंगे। सैंपल को लिए जाने के एक घंटे में, बर्फ से भरे कंटेनर में डाल कर लैब में भेज दिया जाता है। इस टेस्ट के परिणाम एक या दो दिन में आ जाते हैं।

टेस्ट के बाद, आपको इंजेक्शन की जगह पर घाव हो सकता है जो कि जल्द ही ठीक हो जाएगा। ब्लड सैंपल लेने से जुड़े अन्य साइड इफ़ेक्ट निम्न हैं :

  • इंजेक्शन लगी जगह पर हीमेटोमा (त्वचा के नीचे रक्त का जमाव)
  • संक्रमण
  • सुई लगी जगह पर अत्यधिक रक्तस्त्राव

गैस्ट्रीन टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज

सामान्य परिणाम

रक्त में गैस्ट्रीन के स्तर की सामान्य वैल्यू निम्न है :

  • भूखे रहने पर - वयस्कों में < 25-100 pg/mL (पिकोग्राम प्रति मिलीलीटर) और बच्चों में 10-125 pg/mL
  • खाने के बाद - 95-140 pg/mL

इस टेस्ट की संदर्भ वैल्यू हर लैब की अलग हो सकती है। अपने परिणामों की सही जानकारी के लिए डॉक्टर से मिलें।

असामान्य परिणाम

गैस्ट्रीन के सामान्य से अधिक या कम स्तर असामान्य माने जाते हैं। गैस्ट्रीन के अधिक स्तर निम्न स्थितियों में देखे जाते हैं :

  • पेट का कैंसर
  • जोलिंगर-एलिसन सिंड्रोम (गैस्ट्रीन के स्तर > 500 pg/mL)
  • पेट और ड्यूडेनल के अल्सर
  • पेरनिसियस एनीमिया
  • किडनी रोग की अंतिम स्टेज
  • जी-सेल हाइपरप्लासिया
  • हाइपरपैराथायरायडिज्म
  • पायलोरिकऑब्स्ट्रक्शन (पेट के मुख का अवरुद्ध होना)

गैस्ट्रीन के कम स्तर निम्न स्थितियों में देखे जाते हैं :

संदर्भ

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