गॉल स्टोन एनालिसिस क्या है?
पित्ताशय की पथरी मुख्य रूप से एक कठोर पदार्थ होता है, जो पित्ताशय के अंदर मौजूद पित्तरस में बनता है। पित्ताशय एक छोटा थैली जैसा अंग है जो लिवर के नीचे मौजूद होता है। पितरस एक तरल पदार्थ होता है, जिसे वसा को पचाने के लिए लिवर द्वारा बनाया जाता है। यह अधिकतर पानी होता है लेकिन इसमें कुछ मात्रा में वसा, बाइल साल्ट और पिग्मेंट भी पाया जाता है। जब पित्त का प्रयोग नहीं हो रहा होता है तो यह पित्ताशय में संचित हो जाता है जहां यह बाइल फैट के पाचन को और बेहतर बनाने में मदद करता है। जब भी जरूरत होती है तब पित्ताशय बाइल (पित्तरस) को पाचन तंत्र स्त्रावित कर देता है।
जब पित्त के रसायनिक स्तरों में असंतुलन होता है तो पित्त की पथरी बनने लगती है। उदाहरण के लिए जब पित्त में अत्यधिक कोलेस्ट्रॉल (एक वसा युक्त पदार्थ), अत्यधिक बिलीरुबिन (एक प्रकार का पिग्मेंट) या कम बाइल साल्ट बचता है। हालांकि, अभी तक इन रसायनिक स्तरों में असंतुलन होने के सटीक कारण का पता नहीं लग पाया है।
यदि पित्ताशय पूरी तरह से बाइल को खत्म नहीं कर पाता या फिर समय-समय पर खाली नहीं कर पाता है तो भी पथरी बन सकती है। पथरी का आकार रेत के कण जितना छोटा से लेकर गोल्फ की गेंद जितना बड़ा हो सकता है।
गाल स्टोन या पथरी मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है - कोलेस्ट्रॉल और पिग्मेंट स्टोन।
चिकित्सीय भाषा में पथरी बनने की प्रक्रिया को पित्ताश्मरता (कोलेलिथायसिस) कहते हैं। पित्ताश्मरता जो कि दुनिया के दस से बीस प्रतिशत लोगों को प्रभावित करती है। यदि इसका इलाज नहीं किया जाता है तो इससे अन्य जटिलताएं जैसे पित्ताशय में सूजन व संक्रमण, पीलिया और अग्नाशयशोथ (अग्नाशय में सूजन) हो सकती है।
निम्न कारकों से पथरी का खतरा बढ़ सकता है :
- मोटापा
- महिलाओं में गर्भनिरोधक गोली या गर्भावस्था के कारण अत्याधिक एस्ट्रोजन
- चालीस वर्ष से अधिक उम्र
- उच्च कैलोरी, लो फाइबर आहार
- मधुमेह
- मेटाबोलिक सिंड्रोम
- तेजी से वजन घटना
- आंत संबंधी विकार जैसे क्रोहन डिजीज
गॉल स्टोन एनालिसिस में विभिन्न तकनीकों के प्रयोग से पथरी में मौजूद रसायनिक तत्वों की जांच की जाती है।