ग्लूकोज-6-फास्फेट-डीहाइड्रोजिनेस (जी6पीडी) टेस्ट क्या है?
यह टेस्ट लाल रक्त कोशिकाओं में मौजूद जी6पीडी एंजाइम के स्तर की जांच करने के लिए किया जाता है। इस टेस्ट की मदद से एंजाइम की कमी का पता लगाया जाता है।
जी6पीडी जीन में बदलाव या उत्परिवर्तन होने से लाल रक्त कोशिकाएं छोटे टुकड़ों में टूट जाती हैं और नई लाल रक्त कोशिकाएं बनने से पहले ही नष्ट हो जाती हैं।
यह एंजाइम शरीर में ऊर्जा बनाने की प्रक्रिया में शामिल होता है। इस एंजाइम में कोई भी बदलाव या कमी हेमोलिसिस के खतरे को बढ़ा देती है।
यदि आपके शरीर में इस एंजाइम की थोड़ी बहुत कमी है, तो इसके कोई लक्षण नजर नहीं आएंगे। नीचे दी गई कुछ स्थितियां हेमोलीसिस (आरबीसी का टूटना) के दर को बढ़ा सकती हैं:
- बैक्टीरियल संक्रमण
- वायरल संक्रमण
- एंटीबायोटिक
- एंटी-मलेरिया मेडिसिन
- बाकला की फली खाने से या बाकला के पौधे के पोलन निगलने से (इस स्थिति को फेविज्म कहा जाता है)
- सल्फा मेडिसिन लेना
शुरुआती परिणामों की पुष्टि के लिए जी6पीडी दोबारा किया जा सकता है। स्क्रीनिंग टेस्ट में एक गुणात्मक टेस्ट भी शामिल होता है, जो कोशिका में जी6पीडी के स्तर के बारे में बता सकता है। पुष्टिकरण टेस्ट मात्रात्मक टेस्ट होता है, जो कि शरीर में इस एंजाइम गतिविधि की सटीक मात्रा का पता लगाता है।
यह एंजाइम की कमी से संबंधित एक सामान्य समस्या है, जिसके मामले दुनियाभर में देखे जाते हैं। इससे लगभग 40 करोड़ लोग प्रभावित हैं, जो आमतौर पर पुरुष ही होते हैं।
यह आरबीसी जी6पीडी टेस्ट या जी6पीडी स्क्रीन टेस्ट के नाम से भी जाना जाता है।