फ्री लाइट चेन (कप्पा और लैम्ब्डा) टेस्ट क्या है?

हर बार जब व्यक्ति किसी हानिकारक पदार्थ के संपर्क में आता है, तो उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली उन पदार्थों से लड़ने के लिए कुछ विशेष प्रोटीन बनाती है जिन्हें इम्यूनोग्लोब्युलिन (एंटीबॉडीज) कहा जाता है। ये इम्यूनोग्लोब्युलिन काम्प्लेक्स मॉलिक्यूल्स होते हैं जो कि दो भारी और दो हल्की या लाइट प्रोटीन चेन से बनते हैं।

लाइट प्रोटीन चेन को कप्पा और लैम्ब्डा कहा जाता है। आमतौर पर हमारा शरीर कुछ अतिरिक्त लाइट चेन बना देता है जो कि भारी चेन से जुड़े बिना ही स्वतंत्र रूप से रक्त में प्रवाहित होती रहती हैं। हालांकि जिन्हें प्लाज्मा कोशिकाओं (एक प्रकार की सफ़ेद रक्त कोशिका जो इम्यूनोग्लोब्युलिन बनाती है) से संबंधित कोई भी समस्या होती है या बोन मेरो में बी लिम्फोसाइट्स और प्लाज्मा कोशिकाओं के बनने से संबंधित कोई असामान्यता होती है, तो उनके शरीर में फ्री लाइट चेन बहुत अधिक मात्रा में संचारित हो रही होती हैं।

फ्री लाइट चेन टेस्ट आपके रक्त में मौजूद फ्री लाइट चेन की संख्या के बारे में पता लगाता है। यह इस बात का भी पता लगाता है कि एक प्रकार की लाइट चेन अन्य से अधिक हैं, जो कि मल्टीपल मायलोमा की ओर संकेत कर सकती है।

यह टेस्ट ऐसी स्थितियों के परीक्षण में मदद करता है जो कि अत्यधिक लाइट चेन बनने के कारण होती हैं जैसे मल्टीपल मायलोमा, मोनोक्लोनल गैमोपैथी ऑफ़ अनडेटरमाइन सिग्नीफिकेन्स (एमजीयूएस) और ऐमाइलोयडोसिस

  1. फ्री लाइट चेन (कप्पा और लैम्ब्डा) टेस्ट क्यों किया जाता है - Free Light Chains (Kappa & Lambda) Test Kyu Kiya Jata Hai
  2. फ्री लाइट चेन टेस्ट से पहले - Free Light Chains (Kappa & Lambda) Test Se Pahle
  3. कप्पा और लैम्ब्डा टेस्ट के दौरान - Kappa & Lambda Test Ke Dauran
  4. फ्री लाइट चेन (कप्पा और लैम्ब्डा) टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब है - Free Light Chains (Kappa & Lambda) Test Ke Parinam Ka Kya Matlab Hai

फ्री लाइट चेन (कप्पा और लैम्ब्डा) टेस्ट किसलिए किया जाता है?

यदि डॉक्टर को प्लाज्मा कोशिकाओं से संबंधित कोई विकार जैसे कैंसर (विशेषकर मल्टीपल मायलोमा) होने का संदेह होता है तो वे इस टेस्ट की सलाह दे सकते हैं। मल्टीपल मायलोमा कई सारे ट्यूमर के साथ विकसित होता है, जो कि विशेषकर हड्डियों में होते हैं। ट्यूमर कोशिकाएं हड्डियों को क्षतिग्रस्त कर देती हैं जिनके कारण रक्त में कैल्शियम की अधिकता हो जाती है। ये बोन मेरो को स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं बनाने से रोकते हैं जिसके कारण एनीमिया की स्थिति पैदा हो जाती है। इन ट्यूमर से रक्त में असामान्य प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है जिससे किडनी क्षतिग्रस्त हो सकती है।

मल्टीपल मायलोमा में निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं :

कुछ मामलों में मल्टीपल मायलोमा से एक अन्य स्थिति ऐमाइलोयडोसिस पैदा हो सकती है जो कि नसों, त्वचा, किडनी और हृदय को प्रभावित करती हैं। फ्री लाइट चेन टेस्ट ऐमाइलोयडोसिस के परीक्षण में भी मदद करता है, जिसके निम्न लक्षण दिखाई देते हैं :

  • पैरों और टांगों में झुनझुनी
  • पैरों और टांगों का सुन्न पड़ना
  • शरीर में सूजन
  • त्वचा पर बैंगनी रंग के चकत्ते
  • जीभ में सूजन
  • दस्त
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कप्पा और लैम्ब्डा टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

इस टेस्ट के लिए किसी भी तरह की विशेष तैयारी करने की जरूरत नहीं होती है। यदि आप कोई भी दवा या सप्लीमेंट ले रहे हैं तो इसके बारे में डॉक्टर को बता दें।

फ्री लाइट चेन टेस्ट कैसे किया जाता है?

डॉक्टर आपकी बांह की नस में सुई लगाकर रक्त की थोड़ी सी मात्रा लेंगे। इसके बाद सैंपल को एक गुलाबी रंग के ढक्कन की शीशी में रखा जायेगा। इस ट्यूब में एडीटीए नामक एक थक्कारोधी दवा होती है जो खून के थक्के जमने से रोकती है।

यह प्रक्रिया बहुत ही सामान्य है और इससे जुड़े कोई भी विशेष जोखिम नहीं हैं। इस टेस्ट के बाद कुछ लोगों को चक्कर आ सकते हैं या रक्तस्त्राव हो सकता है। इसके अलावा सुई लगी जगह पर संक्रमण या हीमेटोमा (त्वचा के नीचे रक्त का जमाव) भी हो सकता है। यदि सुई लगे भाग पर लंबे समय तक नील पड़ा हुआ दिखाई दे रहा है या दर्द हो रहा है तो जल्द ही डॉक्टर से इस बारे में बात कर लें।

फ्री लाइट चेन (कप्पा और लैम्ब्डा) टेस्ट के परिणाम क्या बताते हैं?

फ्री लाइट चेन टेस्ट कप्पा और लैम्ब्डा दोनों लाइट चेन को अलग-अलग कर के मापता है और कप्पा व लैम्ब्डा चेन के अनुपात का पता लगाता है।

सामान्य परिणाम:

  • लैम्ब्डा क्वांटिटिव फ्री लाइट चेन -  5.7-26.3 mg/L (माइक्रोग्राम प्रति लीटर)
  • कप्पा क्वांटिटिव फ्री लाइट चेन - 3.3-19.4 mg/L
  • कप्पा/लैम्ब्डा फ्री लाइट चेन रेश्यो - 0.26-1.65 mg/L

मल्टीपल मायलोमा से ग्रस्त लोग जिनके कप्पा और लैम्ब्डा के स्तर सामान्य होते हैं उनका सर्वाइवल रेट 80 प्रतिशत मामलों में से पांच वर्ष अधिक होता है। इसका मतलब है जो लोग मल्टीपल मायलोमा से  ग्रस्त हैं और उनके फ्री कप्पा और लैम्ब्डा के परिणाम सामान्य हैं उनमें 80% लोग पांच साल तक जीते हैं।

असामान्य परिणाम:
फ्री लाइट चेन के अधिक स्तर प्लाज्मा कोशिकाओं से जुड़ी असामान्यता की तरफ संकेत करते हैं। 

  • कप्पा लाइट चेन के अधिक स्तर और कप्पा/लैम्ब्डा के रेश्यो में वृद्धि प्लाज्मा सेल डिसऑर्डर में देखी जाती है, जो कि अधिक कप्पा चेन बनाते हैं। वहीं दूसरी तरफ यदि प्लाज्मा सेल डिसॉर्डर में लैम्ब्डा फ्री चेन का स्तर अधिक है और कप्पा/लैम्ब्डा के रेश्यो में कमी है, तो इसके कारण अधिक लैम्ब्डा चेन बन रही हैं। जो लोग इन विकारों से ग्रस्त हैं और उनके फिर फ्री लाइट चेन लेवल में कमी आई है व कप्पा/लैम्ब्डा रेश्यो सामान्य के नजदीक आ गया है। यह संकेत करता है कि इलाज ठीक तरीके से काम कर पा रहा है।
     
  • मल्टीपल मायलोमा से ग्रस्त लोग जिनके कप्पा और लैम्ब्डा फ्री लाइट चेन के स्तर अधिक दिखाई दे रहे हैं उनमें यह लो सर्वाइवल रेट की तरफ संकेत करता है। कप्पा/लैम्ब्डा का असामान्य रेश्यो ऐसे लोगों में सर्वाइवल रेट (जीवित रहने की अवधि) को कम दिखाता है।
     
  • ऐमाइलोयडोसिस से ग्रस्त लोगों में कप्पा और लैम्ब्डा फ्री लाइट चेन के अधिक स्तर मृत्यु के बढ़ते हुए खतरे की तरफ संकेत करते हैं। वहीं इनके स्तरों में गिरावट का मतलब है कि व्यक्ति का सर्वाइवल रेट बढ़ गया है। कप्पा/लैम्ब्डा रेश्यो सामान्य रेंज से अधिक या कम हो तो यह ऐमाइलोयडोसिस की तरफ इशारा करता है।
  • <0.26 रेश्यो का मतलब है कि प्लाज्मा सेल डिसऑर्डर कप्पा चेन की अत्यधिक मात्रा से जुड़ा हुआ है। वहीं >1.65 रेश्यो प्लाज्मा सेल के ऐसे विकार की तरफ संकेत करता है जो कि अधिक लैम्ब्डा सेल बनाता है।

इस प्रकार, फ्री लैम्ब्डा और कप्पा चेन के स्तरों के साथ-साथ काफी चीजों की जानकारी देता है जैसे रोग से होने वाली समस्याएं, दवाओं की प्रभावशीलता या फिर रोग कितनी तेजी से बढ़ रहा है आदि। इस टेस्ट के परिणाम कभी-कभी प्रोटीन इलेक्ट्रोफोरेसिस टेस्ट के परिणामों से जोड़कर भी देखे जाते हैं।

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