फेरिटीन टेस्ट क्या है? 

लाल रक्त कोशिकाओं में आयरन होना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि इसकी मदद से खून शरीर के सभी हिस्सों में ऑक्सीजन पहुंचा पाता है। आयरन की कमी होने पर शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन ना मिल पाने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि ऑक्सीजन की अधिक मात्रा भी काफी हानिकारक हो सकती है। 

फेरिटीन एक प्रोटीन है जो आयरन जमा करके रखता है और ऊतक को जरूरत होने पर स्रावित करता है। यह प्रोटीन लीवर कोशिकाओं में सबसे ज्यादा पाया जाता है और यह हेपैटोसाइट्स (Hepatocytes) के नाम से भी जाना जाता है, प्रतिरक्षा प्रणाली की कुछ कोशिकाओं में रेटीक्यूलो एंडोथीलियल (Reticuloendothelial) के नाम से भी जाना जाता है। 

फेरिटीन को शरीर की कोशिकाओं में तब तक रखा जाता है जब तक लाल रक्त कोशिकाएं बनाने की आवश्यकता ना पड़े। यदि किसी व्यक्ति के शरीर में फेरिटीन की पर्याप्त मात्रा न हो तो उसके शरीर में मौजूद आयरन तेजी से कम होने लगता है।

फेरिटीन टेस्ट रक्त में फेरिटीन का स्तर जानने के लिए किया जाता है। यह टेस्ट अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे कि, सीरम फेरिटीन टेस्ट, सीरम फेरिटीन स्तर और फेरिटीन सीरम। 

  1. फेरिटीन टेस्ट क्यों किया जाता है - What is the purpose of Ferritin test in Hindi
  2. फेरिटीन टेस्ट से पहले - Before Ferritin test in Hindi
  3. फेरिटीन टेस्ट के दौरान - During Ferritin test in Hindi
  4. फेरिटीन टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज - Ferritin test result and normal value in Hindi

फेरिटीन टेस्ट किसलिए किया जाता है? 

फेरिटीन टेस्ट आमतौर पर किसी व्यक्ति के रक्त में फेरिटीन का स्तर जानने के लिए किया जाता है। यह टेस्ट किसी व्यक्ति के रक्त में फेरिटीन की अधिकता या कमी का पता लगाने के लिए किया जाता है फेरिटीन का स्तर जितना ज्यादा होगा, शरीर में आयरन उतनी ही अधिक मात्रा में जमा होगा।

डॉक्टर द्वारा इस टेस्ट की सलाह उन लोगों को भी दी जा सकती है, जिनके शरीर में आयरन अधिक या कम मात्रा में हो। 

आयरन की कमी के सामान्य लक्षण निम्न हैं :

आयरन की अधिकता के सामान्य लक्षण निम्न हैं :

ये लक्षण समय के साथ और भी गंभीर हो सकते हैं। 

इस टेस्ट की सलाह उन लोगों को भी दी जाती है जिनमे रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम होता है यह एक स्थिति है जो आयरन की कमी से जुड़ी है।

फेरिटीन टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

डॉक्टर आपको टेस्ट करवाने से 12 घंटे पहले तक कुछ न खाने के लिए कह सकते हैं। टेस्ट के लिए आमतौर पर ब्लड के सेंपल सुबह के समय निकाला जाता है।

फेरिटीन टेस्ट कैसे किया जाता है?

टेस्ट के लिए ब्लड की बहुत ही कम मात्रा चाहिए होती है, जिसे निकालने के लिए निम्न तरीके अपनाए जाते हैं:

  • रक्त का प्रवाह रोकने के लिए डॉक्टर हाथ के ऊपरी भाग पर एक इलास्टिक बैंड बांध देते हैं, इससे नस ठीक प्रकार से दिखाई देती हैं 
  • जहाँ से ब्लड सेंपल लेना है उस जगह को अल्कोहल युक्त दवओं से साफ किया जाता है।
  • सुई को नस में लगाया जाता है, कभी-कभी नस न मिलने के कारण एक से अधिक जगह पर भी सुई लगानी पड़ सकती है। 
  • ब्लड सेंपल लेने के लिए एक ट्यूब को सुई से जोड़ा जाता है, रक्त को जमा कर लिया जाता है तब बैंड को हटा दिया जाता है।

सेंपल लेने के बाद, इंजेक्शन लगी हुई जगह पर रुई लगाई जाती है और हल्का दबाव भी दिया जाता है ताकि रक्त का बहाव रुक जाए।

बैंड के बांधने से बाजू में हल्का सा कसाव या खिंचाव महसूस हो सकता है। कुछ लोगों को सुई से कोई दर्द नहीं होता और कुछ लोगों को हल्का या तीव्र दर्द हो सकता है।

ब्लड टेस्ट से जुड़े कुछ सामान्य जोखिम हैं:

  • सेंपल लेने में तकलीफ होना
  • सेंपल लेने के बाद अतिरिक्त रक्त का बहना 
  • बेहोश हो जाना
  • हेमाटोमा (त्वचा के अंदर रक्त का जम जाना)
  • इंजेक्शन वाली जगह पर संक्रमण होना

हालांकि उचित रूप से सावधानी बरत कर इन जोखिम को आसानी से कम किया जा सकता है।

फेरिटीन टेस्ट के परिणाम क्या बताते हैं?

खून में फेरिटीन का निम्न स्तर सामान्य माना जाता है :

  • पुरुषों में फेरिटीन का स्तर 20 से 500 नैनोग्राम प्रति मिलीमीटर (ng/mL)
  • महिलाओं में 20 से 200 नैनोग्राम प्रति मिलीमीटर

खून में फेरिटीन का नॉर्मल रेंज से कम स्तर आयरन की कमी एनीमिया को दिखाता है। खून में फेरिटीन का सामान्य से अधिक स्तर लिवर रोग, शराब की लत और हेमोक्रोमैटोसिस (एक विकार जिसके कारण सिरोसिस, हार्ट डिजीज और डायबिटीज हो सकता है) आदि होने का संकेत देता है। यह भी जान लेना जरूरी है कि फेरिटीन का असामान्य स्तर हमेशा किसी मेडिकल समस्या का संकेत नहीं देता है।

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