फीमेल फर्टिलिटी पैनल क्या है?
ज्यादातर दंपत्ति हफ्ते में एक से दो बार असुरक्षित संभोग करने पर एक साल में ही माता-पिता बन जाते हैं। यदि ऐसा नहीं होता है तो यह प्रजनन क्षमता से जुड़ी समस्या हो सकती है।कभी-कभी इसका कोई कारण नहीं होता है और कई बार इसके एक से अधिक कारण भी हो सकते हैं।
महिलाओं में प्रजनन क्षमता कम होने के निम्न कारण हो सकते हैं :
- हार्मोनल समस्याएं
- उम्र
- जीवनशैली
- पर्यावरण-सम्बन्धी समस्याएं
- शारीरिक समस्याएं
महिलाओं में प्रजनन क्षमता में कमी का एक सामान्य कारण अंडे न बन पाना है। महिलाओं की ओवरी मेनोपॉज़ के बाद कार्य करना बंद कर देती हैं, अंडे लगातार नहीं बनते या फिर बने हुए अंडे अधिक स्वस्थ नहीं होते हैं। किसी भी दंपत्ति में प्रजनन क्षमता में कमी का महिला के कारण 33% और पुरुष के कारण 33% होती है और बाकी के मामलों में कारण पता नहीं होता है।
फीमेल फर्टिलिटी की जांच शुरुआत में मेडिकल इतिहास और पारिवारिक इतिहास के आधार पर की जाती है। इसके अलावा अन्य ब्लड टेस्ट इनफर्टिलिटी का परीक्षण करने व उसका इलाज करने में मदद कर सकते हैं। फीमेल फर्टिलिटी पैनल निम्न की जांच करता है :
- ल्यूटीनाइज़िन्ग हार्मोन (एलएच) - यह एक हार्मोन है जो कि पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा बनाया जाता है। पिट्यूटरी ग्रंथि मस्तिष्क के नीचे मौजूद एक छोटी ग्रंथि है। मासिक धर्म के ओवुलेशन पीरियड में मस्तिष्क एलएच हार्मोन स्त्रावित करता है जिससे उत्तेजित हो कर ओवरी अंडे बनाती है।
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फॉलिकल-स्टिमुलेटिंग हार्मोन (एफएसएच) - एफएसएच पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा बनाया जाने वाला एक हार्मोन है। इसकी यौन विकास में महत्वपूर्ण भूमिका होती है और यह मासिक धर्म के दौरान किसी भी महिला में अंडों के विकास में मदद करता है। पुरुषों में, यह शुक्राणुओं के बनने में मदद करता है।
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प्रोलैक्टिन - पिट्यूटरी ग्रंथि एक अन्य हार्मोन प्रोलैक्टिन भी बनाती है। यह सामान्य तौर पर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में महिला और पुरुष दोनों में मौजूद होता है। प्रोलैक्टिन महिलाओं में मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित करने और पुरुषों में शुक्राणुओं के बनने में मदद करता है।
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थायरॉइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) - यह हार्मोन पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा स्रावित किया जाता है। टीएसएच थायरॉइड हार्मोन को नियंत्रित करता है जो कि शरीर की सभी कोशिकाओं को प्रभावित करता है। थायराइड हार्मोन महिलाओं में ओवुलेटरी चक्र को भी नियंत्रित करता है। टीएसएच के असामान्य स्तरों से कुछ महिलाओं में प्रजनन क्षमता में कमी की समस्या हो सकती है।
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टेस्टोस्टेरोन - टेस्टोस्टेरोन महिला और पुरुष दोनों में बनते हैं। महिलाओं में, यह एड्रिनल ग्रंथि और ओवरी में संश्लेषित होता है। यह एस्ट्रोजन के साथ मिल कर ओवरी को ठीक तरह से कार्य करने में मदद करता है। यदि महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन का स्तर अधिक होता है तो उनमें गहरी आवाज और स्तनों का आकार कम होना जैसी स्थितियां हो सकती है। टेस्टोस्टेरोन के असामान्य स्तर महिला में कामेच्छा की कमी कर सकते हैं।
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प्रोजेस्टेरोन - प्रोजेस्टेरोन मुख्यतः महिलाओं में ओवरी या अंडकोष द्वारा बनाया जाता है। यह गर्भाशय को गर्भावस्था के लिए और स्तनों को दूध बनाने के लिए तैयार करने में मदद करता है। मासिक धर्म की विभिन्न अवस्थाओं में प्रोजेस्टेरोन के स्तर बढ़ते घटते रहते हैं। इसके स्तरों से यह पता लगाया जा सकता है कि महिला को ओवुलेशन हुआ है या नहीं।
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ओएस्ट्राडिओल - अंडकोष द्वारा स्त्रावित, एस्ट्राडिओल सबसे प्रबल एस्ट्रोजन है। एस्ट्रोजन हार्मोन का एक समूह है जो कि प्रजनन अंगों के ठीक तरह से कार्य करने और महिलाओं में अन्य यौन लक्षणों के विकास में मदद करता है। प्रोजेस्टेरोन और अन्य एस्ट्रोजन के साथ यह हार्मोन महिलाओं के मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह सामान्य गर्भावस्था को बनाए रखने के लिए भी जरूरी है। इसीलिए, ओएस्ट्राडिओल टेस्ट प्रजनन क्षमता में कमी की जांच करने के लिए किया जा सकता है।
उपरोक्त सभी टेस्ट से महिला की फर्टिलिटी का पता लगाया जाता है।