एप्सटीन-बर्र वायरस एंटीबॉडी पैनल एक परीक्षणात्मक टेस्ट है जो कि ईबीवी संक्रमण के लिए किया जाता है। यह शरीर में एप्सटीन-बर्र वायरस के खिलाफ बने विभिन्न एंटीबॉडी की जांच करने के लिए किया जाता है। ईबीवी हर्पीस वायरस का एक सबसे संक्रामक प्रकार है, जो कि इंफेक्शियस मोनोन्यूक्लिओसिस (आईएम) नामक बीमारी फैलाता है। यह संक्रमित व्यक्ति के थूक या लार के जरिए फैलता है। यह संक्रमण उन लोगों में ज्यादा होता है जो कि संक्रमित व्यक्ति द्वारा उपयुक्त बर्तनों का प्रयोग करते हैं या फिर उनसे शारीरिक संबंध बनाते हैं, जैसे चुम्बन करना। लेकिन धीरे-धीरे इसकी वृद्धि कम होने लगती है। इस स्थिति में व्यक्ति गंभीर बीमार भी पड़ सकता है। इनमें बुखार, चक्कर आना और फेरिंजाइटिस (गले में सूजन) लक्षण दिखाई देते हैं।
आईएम से शरीर में मोनोसाइट्स, लिम्फोसाइट्स और हेट्रोफिल एंटीबॉडीज का उत्पादन बढ़ जाता है। ये एंटीबॉडीज संक्रमण होने के बीमारी के चार से छह दिनों में बन सकते हैं और सबसे ज्यादा दो से पांच हफ्तों में बनते हैं। इसके बाद वे कुछ महीनों से लेकर एक साल तक बढ़ते रह सकते हैं। ये लक्षण ठीक हो सकते हैं, लेकिन यह वायरस ठीक नहीं होता है।
ईबीवी एंटीबॉडी पैनल का हर तरह के एंटीबॉडीज की उपस्थिति और अनुपस्थिति को देखता है। इनमें वायरस कैप्सिड एंटीजन (वीसीए) आईजीजी, वीसीए आईजीएम, एप्सटीन-बर्र न्यूक्लियर एंटीजन-एंटीबॉडी (ईबीएनए) और शुरुआती डी एंटीजन (ईऐ-डी) आईजीजी आदि शामिल हैं।
आपका शरीर संक्रमण से लड़ने के लिए वैक्सीनेशन या संक्रमण के तुरंत बाद आईजीएम एंटीबॉडीज बनाने लगता है। वहीं आईजीजी एंटीबॉडीज बाद में बनाए जाते हैं और ये शरीर में लंबे समय तक रह कर शरीर को सुरक्षा प्रदान करते हैं। इन एंटीबॉडीज की पहचान करने से यह पता लगाने में मदद मिलती है कि संक्रमण वर्तमान में है या पहले कभी हुआ था।