डेंगू टेस्ट क्या होता है?
विशिष्ट डेंगू टेस्ट करने से पहले कुछ लेबोरेटरी टेस्ट किए जा सकते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं:
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क्योंकि डेंगू बुखार के लक्षण व संकेत अविशिष्ट होते हैं, इसलिए लेबोरेटरी में डेंगू के संक्रमण की पुष्टी करना महत्वपूर्ण होता है।
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डेंगू संक्रमण की जांच के लिए किया जाने वाला टेस्ट समय पर निर्भर करता है। रोग की शुरूआत के दिनों में किए गए सभी टेस्टों के रिजल्ट नेगेटिव आ सकते हैं। हालांकि, सफेद रक्त कोशिकाओं में कमी या प्लेटलेट्स में कमी आदि वायरल संक्रमण का संकेत दे सकते हैं।
डेंगू बुखार का परीक्षण करने के लिए निम्न प्रकार के टेस्ट किए जा सकते हैं:
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डेंगू वायरस के लिए मोलक्यूलर टेस्ट (PCR) -
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यह टेस्ट वायरस की उपस्थिति का पता लगाता है। इस टेस्ट से रोग के लक्षणों की शुरुआत के बाद 7 दिनों तक डेंगू बुखार का परीक्षण कर सकते हैं और चार अलग-अलग प्रकार के डेंगू वायरसों का पता लगा सकते हैं, जो संक्रमण का कारण बनते हैं।
ये टेस्ट मरीज के खून में डेंगू की आनुवंशिक सामग्री के टुकड़े और प्रोटीन की खोज करते हैं या किसी विशेष सेल कल्चर में वायरस को विकसित करते हैं। टेस्ट का रिजल्ट बहुत ही सटीक और विशिष्ट होता है, जो आम एंटीबॉडी टेस्टों के मुकाबले ज्यादा फायदेमंद होता है। आम एंटीबॉडी टेस्टों कई बार वायरसों की गलत पहचान बता देता है।
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एनएस 1 एंटीजेन (NS1 Antigen) -
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अगर मरीज रोग के लक्षण उभरने के 5 दिनों के भीतर चेकअप करवाने आता है, तो इसे बीमारी का शुरूआती चरण कहा जाता है। इसमें तुरंत खून का सैम्पल लिया जाता है। एक प्राथमिक संक्रमण के ज्वर-संबंधी चरण के दौरान एनएस 1 एंटीजन का पता लगाना काफी बेहतर हो सकता है।
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आईजीएम और आईजीजी एंटीबॉडी टेस्ट (IgM and IgG Antibody testing) –
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अगर मरीज रोग के लक्षण उभरने के 6 या उससे अधिक दिन बाद आता है, तो ब्लड सैम्पल जितना जल्दी हो सके निकाल लेना चाहिए। फिर इस सैम्पल से सीरम आईजीएम एंटीबॉडी टेस्ट करना चाहिए।
आईजीजी और आईजीएम टेस्ट मुख्यतः डेंगू वायरस की विशिष्ट एंटीबॉडी का टेस्ट होता है, संक्रमण के बाद के चरणों में परीक्षण की पुष्टि करने में यह उपयोगी हो सकता है। आईजीजी और आईजीएम दोनों टेस्ट 5 से 7 दिनों के बाद किए जाते हैं। प्राथमिक संक्रमण के बाद आईजीएम के उच्चतम स्तर (प्रतिभूतियों) का पता चलता है, लेकिन आईजीएम टेस्ट को फिर से होने वाले संक्रमण की जाँच के लिए उपयोग किया जाता है।
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