सिफ्रा 21-1 टेस्ट क्या है?
सिफ्रा 21-1, साइटोकेराटिन-19 प्रोटीन का एक घुलनशील खंड है। साइटोकेराटिन-19 प्रोटीन कोशिका की सतह पर पाए जाने वाले प्रोटीन का एक प्रकार है। सामान्य कोशिकाओं के कैंसर में तब्दील होने पर भी इस प्रोटीन में कोई बदलाव नहीं आता है। यह एक ऐसा प्रोटीन है जिसका रूप कैंसर की कोशिकाओं में भी नहीं बदलता है। इसीलिए सिफ्रा 21-1 को फेफड़ों के कैंसर का एक महत्वपूर्ण मार्कर माना जाता है, यह लंग कैंसर से ग्रस्त लोगों के सीरम में पाया जाता है। विशेषकर नॉन-स्मॉल लंग कैंसर से ग्रस्त लोगों में।
नॉन स्माल सेल लंग कैंसर फेफड़ों में होने वाला कैंसर है, जो अपेक्षाकृत कम गंभीर होता है। जिसमें गंभीर समॉल सेल लंग कैंसर के मुकाबले अधिक बड़ी कोशिका संरचनाएं दिखाई देती हैं।
जब फेफड़ों में कहीं भी असामान्य कोशिकाएं विकसित होने लगती हैं तो फेफड़ों का कैंसर बनने लगता है। कैंसर की कोशिकाएं अन्य सामान्य कोशिकाओं की तरह परिपक्व नहीं होती हैं और तेजी से विभाजित होने लगती हैं जिससे कोशिकाओं की असामान्य गांठे बनने लगती हैं जिन्हें ट्यूमर कहते हैं। शुरुआत में कोशिकाओं की ये गांठें किसी एक जगह रह सकती हैं, लेकिन कैंसर की शरीर में फैलने की आशंका हमेशा बनी रहती है जैसे लिम्फ नोड्स या किसी अन्य अंग में। जिन लोगों के परिवार में अन्य सदस्यों को यह रोग होता है, उन्हें इसका सबसे अधिक खतरा होता है। अन्य पूर्ववृत्ति कारण जिनकी वजह से फेफड़ों का कैंसर हो सकता है, वे निम्न हैं :
- लंबे समय से वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से
- पल्मोनरी फाइब्रोसिस की उपस्थिति में
- रेडिएशन से संपर्क (रेडिएशन थेरेपी के कारण)
- धूम्रपान करने से
- कार्सिनोजेनिक पदार्थों से लंबे समय तक संपर्क जैसे आर्सेनिक और कैडमियम
- परिवार में पहले किसी को यह समस्या होने पर
- एचआईवी या ट्यूबरकुलोसिस संक्रमण का होना