सीटी स्कैन से निकलने वाली रेडिएशन से कैंसर होने का खतरा होता है लेकिन इसकी संभावना बहुत कम होती है। अगर सीटी स्कैन करवाने के बाद आपको अपने शरीर में कोई असामान्य लक्षण दिख रहे हैं तो डॉक्टर से बात करें।
जी नहीं, एक बार सीटी स्कैन की रेडिएशन के संपर्क में आने से कैंसर का खतरा बहुत कम होता है लेकिन अगर आप कई बार सीटी स्कैन करवाते हैं तो कैंसर होने का खतरा समय के साथ काफी बढ़ जाता है।
आपको कम से कम सीटी स्कैन करवाने चाहिए क्योंकि सीटी स्कैन के दौरान व्यक्ति रेडिएशन के संपर्क में आता है और ज्यादा रेडिएशन के संपर्क में आने से शरीर की कोशिकाएं डैमेज हो सकती हैं और शरीर को भी नुकसान पहुंच सकता है इसलिए कोशिश करें कि आपको कम से कम सीटी स्कैन करवाना पड़े।
बेसल गैंग्लिया मस्तिष्क का एक हिस्सा है। छोटे लैकुनर घाव का मतलब है कि घाव लैकुनर शेप में है। इस्कीमिक घाव का मतलब है कि उस हिस्से तक खून नहीं पहुंच पा रहा है और उस हिस्से में खून की कमी होने लगी है। अपनी आंटी को लेकर सीटी प्लेट और इसकी रिपोर्ट के साथ न्यूरोलॉजिस्ट से मिलें।
रिपोर्ट के रिजल्ट के अनुसार आपकी वाइफ को सिस्ट या कैल्सिफाइड मिनरल डिपॉज़िट है। इसके कारण मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ता है। इसकी वजह से सिर दर्द हो सकता है। आप अपनी रिपोर्ट्स के साथ न्यूरोलॉजिस्ट से मिलें।
जी नहीं, आपको कैंसर होने का कोई खतरा नहीं है। इस डोज के साथ कैंसर होने का खतरा लगभग 0.2% है लेकिन यह 2 महीने में नहीं होता है। बेवजह सीटी स्कैन करवाने से बचें।
जी नहीं, आप चिंता न करें, यह आपको और आपके बच्चे को प्रभावित नहीं कर करेगा।
डाई के साथ पेट का सीटी स्कैन एड्रेनल के घाव में ठीक तरह से सुधार कर सकता है।
जैसे ही आपका सीटी स्कैन पूरा होता है रेडियोलॉजिस्ट आपके सीटी स्कैन की रिपोर्ट तैयार करना शुरू कर देते हैं। सीटी स्कैन करवाने के 24 घंटों के अंदर डॉक्टर को सीटी स्कैन की एक लिखित रिपोर्ट और स्कैन की तस्वीरें मिल जाती हैं। डॉक्टर आपको यह रिपोर्ट अगले दिन देते हैं यानी कि आपको रिपोर्ट स्कैन करवाने के बाद 2 दिन के अंदर मिल जाती है।
सीटी स्कैन को आप किसी भी सीटी सेंटर या निजी या सरकारी अस्पताल से करवा सकते हैं।
सीटी स्कैन का खर्च इस बात पर निर्भर करता है कि यह शरीर के किस हिस्से और कॉन्ट्रा के साथ किया जा रहा है या बिना कॉन्ट्रा के। ज्यादातर निजी अस्पतालों या सीटी सेंटरों में सीटी स्कैन का खर्च 3000 से 5000 रुपये तक आता है, लेकिन सरकारी अस्पताल में इसका खर्च लगभग 500 से 1000 रुपये आ सकता है।