"रिव्यु इन मेडिकल वायरोलोजी" जर्नल में छपी एक स्टडी ने सी-रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी) और कोविड-19 के बीच सम्बन्ध पर हुई अब तक की सारी रिसर्च का ब्यौरा किया। इस स्टडी के मुताबिक कोविड-19 के गंभीर मामलों में और उन मामलों में जिनमें रोगी की मृत्यु हो गयी थी, सीआरपी का स्तर बढ़ा हुआ पाया गया।
शोधकर्ताओं का कहना है कि सीआरपी का स्तर बढ़ने से शरीर में साइटोकीन अधिक बनने लगते हैं जिससे शरीर में इन्फ्लमेशन बढ़ती है, जो कि कोविड-19 की वजह से हुई इन्फ्लमेशन के साथ मिलकर रोगी की स्थिति और गंभीर बना देती है।
शोधकर्ताओं ने सुझाया कि सीआरपी के स्तर और उसके असर को कम करने वाली दवाओं को कोरोना के इलाज में इस्तेमाल करना शायद लाभदायक हो सकता है। इस पर अभी पुख्ता वैज्ञानिक तर्क नहीं हैं, इसलिए रिसर्च करने की आवश्यकता है।
सी-रिएक्टिव प्रोटीन और सीआरपी टेस्ट का उपयोग लंबे समय से एक्यूट इन्फ्लमेशन को इंगित करने के लिए किया जा रहा है। हालांकि, वर्तमान कोरोना महामारी में इसकी ऊतकों को क्षति पहुंचने और रोग के खराब परिणाम से संबंधित होने की आशंका है। इस संबंध में, कोविड-19 के प्रारंभिक चरण में सीआरपी का उच्च स्तर फेफड़ों की क्षति और बीमारी की गंभीरता से जुड़ा हुआ है।
अन्य रिसर्च
अस्पताल में भर्ती होने के बाद कोविड-19 मरीज का बेहतर उपचार करने के लिए बीमारी आगे क्या रुख लेगी, यह कह पाना मुश्किल होता है लेकिन अगर इसका सही अनुमान लगाया जा सके, तो इलाज में बहुत मदद होगी। अमेरिका के "हार्वर्ड मेडिकल स्कूल" के "ब्रिघम और महिला अस्पताल" के शोधकर्ताओं ने अस्पताल में भर्ती 100 कोविड-19 रोगियों में सीआरपी के स्तर को देखकर मरीज के शरीर में इन्फ्लमेशन का विश्लेषण किया। इन्फ्लमेशन कोविड-19 की गंभीरता से जुड़ी हुई है।
उन्होंने पाया कि पहले 48 से 72 घंटों के अस्पताल में भर्ती होने के दौरान सीआरपी स्तरों में तेजी से वृद्धि होना बाद में श्वसन बिगड़ने से जुड़ा हुआ है। दूसरी ओर, जिन रोगियों में सीआरपी स्तर नहीं बढ़ा, उनकी स्थिति नहीं बिगड़ी। इस स्टडी को "सेल रिपोर्ट मेडिसिन" जर्नल में प्रकाशित किया गया।
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इन्फ्लमेशन एक व्यापक शब्द है जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं में शामिल रसायनों के रिलीज़ होने का वर्णन करता है। सीआरपी परीक्षण कई अलग-अलग इन्फ्लमेशन से जुड़े प्रोटीनों (जिन्हे साइटोकिन्स कहा जाता है) से संकेतों को एकीकृत करके चिकित्सकों को मरीज की इन्फ्लमेशन गतिविधि का सही चित्र कुछ ही घंटों के भीतर दे देता है। इसलिए शोधकर्ताओं ने सीआरपी परीक्षण को कोविड-19 की क्लीनिकल दिशा का पता लगाने के लिए स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल में शामिल करने का सुझाव दिया।