कोर्टिसोल टेस्‍ट क्या है?

कोर्टिसोल टेस्‍ट की मदद से एड्रिनल ग्‍लैंड (किडनी के ठीक ऊपर स्थित) में बनने वाले कोर्टिसोल हार्मोन के स्‍तर की जांच की जाती है। इस टेस्‍ट को ब्‍लड कोर्टिसोल या प्लाज्मा कोर्टिसोल टेस्‍ट भी कहा जाता है। कोर्टिसोल टेस्ट का इस्तेमाल मुख्य रूप से दो दुर्लभ बीमारियों का पता लगाने के लिए किया जाता है, जिनका नाम एडिसन रोग और कुशिंग सिंड्रोम है। हालांकि, इस टेस्‍ट से एड्रिनल और पिट्यूटरी ग्रंथि के कार्यों को प्रभावित करने वाली बीमारियों का पता भी लग जाता है।

(और पढ़ें - लैब टेस्ट कैसे होता है)

  1. कोर्टिसोल टेस्ट क्यों किया जाता है - What is the purpose of Cortisol test in Hindi?
  2. कोर्टिसोल टेस्ट से पहले - How to prepare for Cortisol test in Hindi?
  3. कोर्टिसोल टेस्ट के दौरान - How the Cortisol test is done in Hindi?
  4. कोर्टिसोल टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज - Cortisol test result and normal range in Hindi

कोर्टिसोल टेस्ट किसलिए किया जाता है?

शरीर में कोर्टिसोल का स्‍तर बढ़ने या घटने की जांच करने के लिए कोर्ट‍िसोल टेस्‍ट किया जाता है। एडिसन रोग और कुशिंग सिंड्रोम के कारण कोर्टिसोल प्रभावित होता है। कोर्टिसोल प्रतिरक्षा तंत्र, नर्वस और परिसंचरण प्रणाली का महत्‍वपूर्ण घटक है।

वसा और प्रोटीन को पचाने एवं तनाव प्रतिकियाओं को उत्तेजित करने में कोर्टिसोल अहम भूमिका निभाता है। एडिसन रोग या लो कोर्टिसोल के लक्षण दिखने पर डॉक्‍टर इस टेस्‍ट की सलाह देते हैं। इसमें निम्‍न प्रकार के लक्षण सामने आ सकते हैं:

ज्‍यादा कोर्टिेसोल या कुशिंग सिंड्रोम के लक्षण दिखने पर भी डॉक्‍टर कोर्टिेसोल करवाने की सलाह देते हैं। इसके लक्षण निम्‍न हैं:

इसके अलावा एड्रेनल क्राइसिस के निम्‍न लक्षण दिखने पर भी कोर्टिसोल टेस्‍ट करवाया जाता है:

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कोर्टिसोल टेस्ट से पहले क्या तैयारी करें?

ब्‍लड सैंपल लेने से पहले तनाव का स्‍तर कम करने के लिए व्‍यक्‍ति को आराम करने को कहा जा सकता है। अगर टेस्‍ट के लिए सलाईवा (लार) सैंपल की जरूरत हो तो व्‍यक्‍ति को सुबह दांतों को ब्रश ना करने और टेस्‍ट से 15 से 30 मिनट पहले कुछ ना खाने पीने को कहा जाता है।

अगर आप विटामिन, दवाएं, गैर-कानूनी या नशीली दवाएं, सप्‍लीमेंट्स, जड़ी बूटियों का सेवन कर रहे हैं तो टेस्‍ट से पहले इसके बारे में डॉक्‍टर को जरूर बता दें।

कोर्टिसोल टेस्ट कैसे किया जाता है?

हाथ की नस पर पहले एंटीसेप्टिक दवा लगाई जाती है और फिर उससे सुई के ज़रिए ब्‍लड सैंपल लिया जाता है। कोर्टिसोल लेवल दिनभर बदलता रहता है इसलिए ये टेस्‍ट दिन में दो बार किया जाना चाहिए। पहले सुबह और फिर उसके बाद शाम 4 बजे कोर्टिसोल टेस्‍ट करना सही रहता है। सलाईवा सैंपल या 24 घंटे के अंदर पेशाब का सैंपल भी ले सकते हैं।

(और पढ़ें - यूरिन टेस्ट कैसे होता है)

नस से खून निकालने के बाद व्‍यक्‍ति को ब्लीडिंग, संक्रमण या नील पड़ने की शिकायत हो सकती है। टेस्‍ट के बाद चक्कर भी आ सकते हैं। कुछ लोगों को ब्‍लड सैंपल लेने के दौरान हल्‍का दर्द भी महसूस होता है।

कोर्टिसोल टेस्ट के रिजल्ट क्या बताते हैं?

इस टेस्‍ट का रिजल्‍ट उम्र, टेस्‍ट करने के लिए इस्‍तेमाल हुई प्रक्रिया, लिंग और किसी बीमारी से ग्रस्‍त होने के आधार पर अलग हो सकता है।

  • नॉर्मल रिजल्‍ट
    आमतौर पर आधी रात को कोर्टिसोल लेवल सामान्‍य से कम और सुबह सामान्‍य स्‍तर से ज्‍यादा होता है। ब्‍लड सेंपल लेने के समय के आधार पर एवं हर लैब में कोर्टिसोल का सामान्‍य लेवल अलग-अलग हो सकता है। सामान्‍य तौर पर कोर्टिसोल की नॉर्मल रेंज इस तरह होती है:
    • शाम 6 बजे से 8 बजे के बीच 10 से 20 ए‍मसीजी/डेसीलीटर (mcg/dL)
    • शाम 4 बजे 3 से 10 ए‍मसीजी/डेसीलीटर
       
  • एब्नार्मल रिजल्ट
    एब्नार्मल कोर्टिसोल लेवल निम्‍न बातों का संकेत देता है:
    • लंबे समय तक ग्‍लूकोकोर्टिकोइड दवाओं का सेवन करने जैसे कि दमा, सूजन या ऑटोइम्‍यून रोगों की दवा
    • कुशिंग सिंड्रोम (अत्‍यधिक कोर्टिसोल बनना)
    • सेकेंडरी एड्रिनल इनसफिशियंसी (एड्रिनल हार्मोन के स्तर में कमी)

टेस्‍ट से पहले कोई शारीरिक काम करने या सदमे या तनाव में होने पर कोर्टिसोल का स्‍तर ज्‍यादा रहता है। उच्‍च प्रशिक्षण प्राप्‍त एथलीट, 7 महीने की गर्भवती महिला और पैनिक अटैक, डिप्रेशन, कुपोषण या शराब की लत होने पर भी कोर्टिसोल का स्‍तर ज्‍यादा हो सकता है।

नोट: टेस्‍ट के रिजल्‍ट और व्‍यक्‍ति के लक्षणों के आधार पर ही उचित निदान किया जाना चाहिए। उपरोक्त जानकारी पूरी तरह से शैक्षिक दृष्टिकोण से दी गई है और यह किसी भी तरह से डॉक्‍टर की चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है।

संदर्भ

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