कलर डॉप्लर अल्ट्रासाउंड स्कै‍न क्या है? 

प्रेगनेंसी में किया जाने वाला कलर डॉप्लर अल्ट्रासाउंड स्कै‍न एक डॉप्लर इमेजिंग तकनीक है, जिसमें रक्त प्रवाह की दिशा और रक्त वाहिकाओं में खून की गति का परीक्षण किया जाता है। इसमें पल्स-इको अल्ट्रासाउंड और डॉप्लर तकनीक दोनों का एक साथ इस्तेमाल किया जाता है। इसमें कंप्यूटर का उपयोग डॉप्लर इमेजिंग में प्रयोग की जाने वाली ध्वनि तरंगो को अलग-अलग रंगों में बदलने के लिए किया जाता है, जिससे एक रंगीन इमेज प्राप्त होती है। ये रंग धमनियों, नाड़ियों और हृदय जैसे अंगों में रक्त के प्रवाह की गति और दिशा का पता लगाने में मदद करते हैं। कलर डॉप्लर अल्ट्रासाउंड स्कै‍न शरीर के ठोस ऊतकों (जैसे हृदय की दीवारें) की गतिविधि का पता लगाने में भी सहायक है।

एक स्टैण्डर्ड अल्ट्रासाउंड की तुलना में कलर डॉप्लर ज्यादा लाभदायक है, क्योंकि सामान्य अल्ट्रासाउंड की मदद से भ्रूण की रक्त वाहिकाओं में खून के प्रवाह की जानकारी नहीं मिल पाती है।

  1. कलर डॉप्लर अल्ट्रासाउंड स्कै‍न क्यों किया जाता है - Ultrasound Pregnancy-Colour Doppler Kisliye Kiya Jata Hai
  2. कलर डॉप्लर अल्ट्रासाउंड स्कै‍न से पहले - Ultrasound Pregnancy-Colour Doppler Se Pahle
  3. कलर डॉप्लर अल्ट्रासाउंड स्कै‍न के दौरान - Ultrasound Pregnancy-Colour Doppler Ke Dauran
  4. कलर डॉप्लर अल्ट्रासाउंड स्कै‍न के रिजल्ट - Ultrasound Pregnancy-Colour Doppler Ke Result
  5. कलर डॉप्लर अल्ट्रासाउंड स्कै‍न का क्या खर्च है - Ultrasound Pregnancy-Colour Doppler Ka Kya Kharch Hai

कलर डॉप्लर अल्ट्रासाउंड स्कै‍न किस लिए किया जाता है?

यह टेस्ट गर्भावस्था के दसवें से बारहवें हफ्ते में किया जाता है, जिसमें भ्रूण संबंधी असमान्यताओं की जांच की जाती है, जैसे भ्रूण का संरचनात्मक विकास ठीक तरह से न होना आदि। यह टेस्ट भ्रूण की श्वास नली में द्रव के प्रवाह और रक्त वाहिकाओं में खून के प्रवाह का भी पता लगा सकता है। उदाहरण के लिए धमनियों व नसों की जांच करके भ्रूण में श्वसन प्रणाली और ब्लड सर्कुलेशन संबंधी समस्याओं का पता लगाया जा सकता है। रक्त वाहिकाओं जैसे यह टेस्ट भ्रूण के अंतर्गर्भाशयी विकास की गति में कमी व उसके कारण का पता लगाने के लिए गर्भावस्था के 31 से 41वें हफ्ते के बीच में भी किया जा सकता है।

गर्भावस्था में किया जाने वाले कलर डॉप्लर अल्ट्रासाउंड स्कै‍न के द्वारा बच्चों में निम्न में से कुछ स्थितियों का पता लगाया जा सकता है:

  • हृदय संबंधी विकार
  • मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं का ठीक से न बनना 
  • पल्मोनरी हाइपोप्लेसिया (जैसे-फेफड़ों का पूरी तरह से न बनना)
  • भ्रूण का ट्यूमर (फीटल ट्यूमर)
  • भ्रूण की किडनी का ठीक प्रकार से न बनना 
  • डायाफ्रामिक हर्निया, जिसका मतलब होता है कि डायाफ्राम मांसपेशी जो कि पेट और छाती के बीच में होती है और सांस लेने में मदद करती है, उसका असामान्य रूप से बाहर की तरफ निकला होना।  
  • डुओडेनल स्टेनोसिस, बच्चे में ग्रहणी का अवरुद्ध होना। (छोटी आंत का पहला भाग जिसे डुओडेनम कहा जाता है) 

इस टेस्ट को डिलीवरी के बाद यह पता लगाने के लिए किया जाता है, कि गर्भ में से ऊतकों के अवशेष (मृत ऊतक) साफ हो गए हैं या नहीं। यह प्लेसेंटा एक्सट्रेटा का परीक्षण करने के लिए भी किया जाता है, एक स्थिति जिसमें प्लेसेंटा मां के गर्भ से गहराई से जुड़ी होती है और डिलीवरी के बाद भी गर्भ से जुड़ी रह जाती है। प्लेसेंटा एक्सट्रेटा से कई जटिल समस्याएं हो सकती हैं, जैसे शुरुआती समय में ही मां का अत्याधिक खून बह जाना।

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कलर डॉप्लर अल्ट्रासाउंड स्कै‍न की तैयारी कैसे करें?

यह टेस्ट करवाने से पहले किसी विशेष प्रकार की तैयारी करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। हालांकि, अस्पताल में इस टेस्ट के लिए एक विशेष प्रकार की ड्रेस पहनने को दी जा सकती है।

कलर डॉप्लर अल्ट्रासाउंड स्कै‍न कैसे किया जाता है?

निम्न तरीकों से कलर डॉप्लर अल्ट्रासाउंड स्कै‍न में 30 से 60 मिनट का समय लगता है:

  • गर्भवती महिला को टेबल पर लेटने को कहा जाता है और फिर उस के पेट पर एक विशेष प्रकार का जेल लगाया जाता है।
  • ट्रांसड्यूसर नाम के एक उपकरण को जेल के ऊपर घुमाया जाता है।
  • ट्रांसड्यूसर विशेष प्रकार की ध्वनि तरंगे भेजता है।
  • ध्वनि तरंगो की ऊंचाई से रक्त कोशिकाओं की गति बदलती है।
  • ध्वनि तरंगो को रिकॉर्ड किया जाता है और फिर उन्हें इमेज या ग्राफ में बदला जाता है, जो मॉनिटर स्क्रीन पर दिखाई देती हैं।
  • जब इमेज और बाकि आवश्यक जानकारी मिल जाती है तो जेल हटा दिया जाता है।

इस टेस्ट को सामान्य तौर पर सुरक्षित माना जाता है और इसे किसी प्रकार का जोखिम नहीं होता है।

कलर डॉप्लर अल्ट्रासाउंड स्कै‍न के परिणाम क्या बताते हैं?

कलर डॉप्लर अल्ट्रासाउंड स्कै‍न के रिजल्ट गर्भावस्था के दौरान निम्न स्थितियों का पता लगाने में मदद कर सकते हैं:

  • शिशु के समय से पहले जन्म होने का खतरा
  • मल्टीप्ल प्रेगनेंसी जैसे, जुड़वा बच्चों में बच्चों का ठीक प्रकार से संरचनात्मक विकास ना होना।  
  • गर्भ के अंदर शिशु का विकास रुक जाना या ठीक से ना हो पाना
  • जुड़वां बच्चों का गर्भ में कम विकास या दोनों का समान रूप से विकास ना हो पाना
  • जुड़वां बच्चों के वजन का असमान होने का खतरा  
  • प्रेगनेंसी इंड्यूस्ड हाइपरटेंशन 
  • प्लेसेंटा एक्सट्रेटा
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कलर डॉप्लर अल्ट्रासाउंड स्कै‍न की क्या कीमत है?

कलर डॉप्लर अल्ट्रासाउंड स्कै‍न की कीमत 2000 रूपये से लेकर 4000 रूपये तक हो सकती है। हालांकि, यह कीमत शहर और लेबोरेटरी के अनुसार अलग भी हो सकती है।

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