कलर डॉप्लर टेस्ट क्या है?

कलर डॉप्लर टेस्ट एक विशेष प्रकार की अल्ट्रासाउंड तकनीक है जिसमें धमनियों के अंदर रक्त प्रवाह की जांच के लिए उच्च-आवृत्ति वाली ध्वनि तरंगों का प्रयोग किया जाता है। इसे डॉप्लर अल्ट्रासाउंड भी कहा जाता है, यह विभिन्न अंगों की धमनियों की रंगीन तस्वीरें लेता हैं। इस टेस्ट की मदद से धमनियों में रक्त के प्रवाह में असामान्यताओं का पता लगाया जाता है।

कलर डॉप्लर अल्ट्रासाउंड ब्लड क्लॉट, नसों के वाल्व की कार्य-प्रक्रिया, हार्ट वाल्व डिफेक्ट, धमनियों में रुकावट, पेरीफेरल आर्टरी डिजीज, धमनियों का संकुचित होना और धमनियों के फूल जाने जैसी स्थितियों की भी जांच करता है।

  1. कलर डॉप्लर टेस्ट क्यों किया जाता है - What is the purpose of Colour Doppler test in Hindi
  2. कलर डॉप्लर टेस्ट से पहले - Before Colour Doppler test in Hindi
  3. कलर डॉप्लर टेस्ट के दौरान - During Colour Doppler test in Hindi
  4. कलर डॉप्लर टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब है - What does Colour Doppler test result mean in Hindi?

कलर डॉप्लर टेस्ट किसलिए किया जाता है?

कलर डॉप्लर टेस्ट रक्त वाहिकाओं की कार्य-प्रक्रिया की जांच करने के लिए किया जाता है। इससे निम्न में मदद मिलती है:

  • शरीर के विभिन्न अंगों में रक्त प्रवाह पर नजर रखने में (लिवर, किडनी, आदि) 
  • टांगों और बांहों की विभिन्न नसों में ब्लड क्लॉट की पहचान करने में (डीप वेन थ्रोम्बोसिस)
  • ब्लॉकेज की पहचान करने में, जैसे स्टेनोसिस, प्लाक और एम्बोली 
  • कार्डियक प्रक्रियाओं जैसे एंजियोप्लास्टी, के लिए किसी व्यक्ति के फिटनेस स्तर की जांच करने में भी यह मदद करता है
  • धमनीविस्फार की उपस्थिति का पता लगाने के लिए
  • बाईपास सर्जरी के बाद ग्राफ्ट (लगाए गए नए जोड़) में खून के बहाव की जांच करने के लिए जिससे यह पता चल जाता है कि ग्राफ्ट में रक्त प्रवाह सही है या अवरुद्ध है।
  • वेरिकोस वेन्स के मूल्यांकन के लिए

बच्चों में कलर डॉप्लर का उपयोग नसों या धमनियों को ढूंढने के लिए किया जाता है, ताकि कैथीटर लगाया जा सके। यह कंजेनिटल वैस्कुलर मेलफोर्मेशन का पता लगाने में भी मदद करता है। 
इसके अलावा, कलर डॉप्लर निम्न स्थितियों के परीक्षण में भी मदद करता है:

  • धमनियों में रुकावट (Arterial occlusion)
  • ब्लड क्लॉट 
  • रीनल वैस्कुलर डिजीज 
  • एब्डॉमिनल एओर्टा एनयूरिस्म (Abdominal aorta aneurysm)
  • कैरोटिड ओकलशन 
  • वेरिकोज वेन्स 
  • वीनस अपर्याप्तता (एक स्थिति जिसमें पैर मे मौजूद नसों की वाल्व या दीवारें ठीक से काम नहीं करती)
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कलर डॉप्लर टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

इस टेस्ट में जिस अंग या भाग की जांच की जानी है उसके अनुसार तैयारी करनी पड़ती है।

बाहरी अंगों के टेस्ट के लिए किसी विशेष तैयारी की जरूरत नहीं होती। वहीं पेट के अंदर के अंगों के डॉप्लर स्कैन के लिए आठ घंटे तक भूखे रहने की आवश्यकता होती है, यदि व्यक्ति को कोई दवा लेनी है तो पानी पिया जा सकता है। इसके अलावा वेना केवा डॉप्लर (vena cava Doppler) के लिए छह घंटे तक भूखे रहने की जरूरत होती है।

कलर डॉप्लर टेस्ट कैसे किया जाता है?

टेस्ट के दौरान ट्रांसड्यूसर उपकरण का प्रयोग किया जाता है। ये उपकरण एक माइक्रोफोन की तरह दिखता है। यह शरीर के अंगों में ध्वनि तरंगें भेजता है। प्रक्रिया को शुरू करने से पहले जिस जगह का टेस्ट किया जाना है उस पर एक जेल लगाया जाता है। इस जेल से ट्रांसड्यूसर को शरीर पर फेरने में मदद मिलती है इसके साथ-साथ यह जेल त्वचा और ट्रांसड्यूसर के बीच की हवा को हटा देता है। जिस जगह का टेस्ट किया जाना होता है वहां ट्रांसड्यूसर को धीरे से चलाया जाता है और विभिन्न दिशाओं में तस्वीर ली जाती है ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि अंग की ठीक प्रकार से जांच की जा सके।

कलर डॉप्लर एक सामान्य,आसान प्रक्रिया है इसमें किसी प्रकार की कोई हानि नहीं है। इसमें लगभग 30-45 मिनट का समय लगता है। यह टेस्ट दर्दरहित है इसमें कोई खतरा नहीं है और यह बिना कोई चीरा लगाए किया जा सकता है।

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कलर डॉप्लर टेस्ट के परिणाम क्या बताते हैं?

सामान्य परिणाम:
जिन धमनियों या नसों की जांच की गई है यदि उसमें रक्त प्रवाह बिना किसी रुकावट के हो रहा है और किसी प्रकार का कोई अवरोध नहीं है तो टेस्ट का रिजल्ट सामान्या आता है।

असामान्य परिणाम:
धमनी या नसों में खून का थक्का जमना या किसी रुकावट का होना, नस या धमनी संकुचित हो जाना इस बात का संकेत है कि परिणाम सामान्य नहीं है।

शरीर के किस भाग या अंग का मूल्यांकन किया जा रहा है, उसके अनुसार कलर डॉप्लर टेस्ट विभिन्न प्रकार की स्थितियों का परीक्षण करने में मदद करता है। इसमें निम्न शामिल हैं:

  • डीवीटी
  • धमनियों में रुकावट (Arterial occlusion)
  • वेरिकोज वेन्स 
  • वीनस अपर्याप्तता (एक स्थिति जिसमें पैर की नसों की वाल्व या दीवारें ठीक से काम नहीं करती)
  • रीनल वैस्कुलर डिजीज

यदि कलर डॉप्लर टेस्ट के परिणाम असामान्य आते हैं तो निश्चित या निदानकारी जांच की जाती है। डॉप्लर स्कैन के विपरीत इसके जैसे अन्य परीक्षणों में या तो बड़ा चीरा आदि लगाने की आवश्यकता पड़ती है, जैसे कैथेटर एंजियोग्राफी जिसमें धमनियों में रुकावट का पता लगाने के लिए एक कॉन्ट्रास्ट पदार्थ का इंजेक्शन लगाया जाता है, या फिर कोई छोटा चीरा लगाना पड़ता है, जैसे एंजियोग्राफी के आधार पर सीटी स्कैन करना, जिसकी मदद से रक्त के बहाव का पता लगाने के लिए एक कॉन्ट्रास्ट पदार्थ का इंजेक्शन लगाया जाता है। हालांकि, आपकी स्थिति के अनुसार डॉक्टर आपको कुछ ऐसे टेस्ट करवाने की सलाह भी दे सकते हैं जिनमें चीरा लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है जैसे- मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग-बेस्ड एंजियोग्राफी या एमआरए।

संदर्भ

  1. Radiological Society of North America (RSNA) [internet]; Ultrasound - Vascular
  2. Society for Vascular Surgery [internet]. US; Duplex Ultrasound
  3. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Duplex ultrasound
  4. Cedars Sinai [Internet]: Cedars Sinai Medical Center. Los Angeles. US; General Vascular Ultrasound Preparation
  5. HealthyWA [internet]. Department of Health: Government of Western Australia; Doppler ultrasound
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