काइल इन यूरिन टेस्ट काइलूरिया की जांच करने के लिए किया जाता है। काइलूरिया एक ऐसा रोग है, जिसमें पेशाब का रंग सफेद (दूध जैसा) हो जाता है। इस रोग को गैलक्टोरिया के नाम से भी जाना जाता है। पेशाब का रंग सफेद यानि दूधिया तब होता है, जब किडनी में लसिका ग्रंथि द्रव का स्राव होने लग जाता है। इस द्रव को काइल (Chyle) कहते हैं।
काइल मुख्य रूप से छोटी आंत में पाचन प्रक्रिया के दौरान बनता है, उसके बाद इन्हें लिम्फेटिक सिस्टम द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। इसमें प्रोटीन, वसा और संक्रमण से लड़ने वाली लाल रक्त कोशिकाएं होती है। यह पूरे शरीर में वसा व प्रोटीन को पहुंचाता है। काइल प्रतिरक्षा प्रणाली को ठीक तरह से कार्य करने में भी मदद करता है।
लिम्फेटिक कोशिकाएं पतली रक्त वाहिकाओं का एक समूह है जिनमें लिम्फ (एक रंगहीन द्रव जिसमें सफेद रक्त कोशिकाएं होती हैं) होता है। एक साथ मिलकर ये लिम्फेटिक सिस्टम बनाती है जो कि संचार प्रणाली के साथ कार्य करता है। आमतौर पर लिम्फ नलिकाएं नसों तक लसिका द्रव ले कर जाती हैं जहां ये रक्त में मिलती हैं। हालांकि अगर लिम्फेटिक के बहाव में कोई रुकावट आती है तो काइल किडनी में स्रावित होने लगता है और पेशाब में दिखाई देता है।
काइलूरिया आमतौर पर परजीवी संक्रमण से जुड़ी होती है जो वूचेरिया बैंक्रोफ्टी द्वारा फैलता है। हालांकि यह बिना किसी संक्रमण के कारण भी हो सकता है। काइलूरिया सामान्य तौर पर महिलाओं से ज्यादा पुरुषों में देखा जाता है।
काइल इन यूरिन टेस्ट पेशाब में वसा जैसे ट्राइग्लिसराइड और कोलेस्ट्रॉल के स्तरों का पता लगाता है जो काइलूरिया से संबंधित होते हैं।