क्लैमिडिया टेस्ट क्या है?

क्लैमिडिया बहुत ही सामान्य तौर पर पाया जाने वाला एक यौन संक्रमित रोग है। यह क्लैमिडिया टरकॉमेटिस बैक्टीरिया से होता है। यह बैक्टीरिया ओरल, एनल और वेजाइनल सेक्स द्वारा फैल सकता है। यह बिना पेनेट्रेशन और वीर्य के बाहर निकले भी फैल सकता है। यह बैक्टीरिया वेजाइना, गर्भाश्य ग्रीवा, गर्भाशय, मूत्राशय, मलाशय और कभी-कभी गले और आँखों में भी पल सकते हैं। 

क्लैमिडिया के संक्रमण में कभी-कभी कोई लक्षण दिखाई नहीं देते। हालांकि, जो लोग यौन रूप से सक्रिय हैं उन्हें ये टेस्ट करवाते रहना चाहिए। इसका इलाज एंटीबायोटिक द्वारा संभव है। यदि इसका इलाज नहीं किया जाता है तो ये महिलाओं में बांझपन की स्थिति पैदा कर सकता है और पुरुषों में प्रजनन क्षमता को कम कर सकता है। इससे लिवर में सूजन और महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान समस्याएं पैदा हो सकती हैं। कुछ मामलों में, क्लैमिडिया का संक्रमण माँ द्वारा बच्चे में भी जा सकता है।

यदि किसी व्यक्ति के टेस्ट का रिजल्ट पॉजिटिव है, तो उसके पार्टन को भी आवश्यक रूप से  यह टेस्ट करवा लेना चाहिए। यह ध्यान रखना जरूरी है कि इलाज के दौरान भी क्लैमिडिया फैल सकता है इसलिए जब तक व्यक्ति पूरी तरह से  स्वस्थ न हो जाए तब तक उसे शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए।

  1. क्लैमिडिया टेस्ट क्यों किया जाता है - What is the purpose of Chlamydia test in Hindi
  2. क्लैमिडिया टेस्ट से पहले - Before Chlamydia test in Hindi
  3. क्लैमिडिया टेस्ट के दौरान - During Chlamydia test in Hindi
  4. क्लैमिडिया टेस्ट के परिणामो का क्या मतलब है - What does Chlamydia test result mean in Hindi?

क्लैमिडिया टेस्ट किसलिए किया जाता है?

क्लैमिडिया से संक्रमित बहुत से लोगों में कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते या बहुत ही कम लक्षण दिखाई देते हैं। क्लैमिडिया के संक्रमण के निम्न लक्षण हैं:

बार-बार पेशाब जाना पुरुषों और महिलाओं दोनों में क्लैमिडिया का एक सामान्य लक्षण है। यदि संक्रमण आँखों में है तो आँखों में दर्द होना और आँखों से कोई पदार्थ निकलने जैसे लक्षण विकसित हो सकते हैं।

अन्य कारण जिनकी वजह से टेस्ट किया जाता है:

  • नए पार्टनर के साथ असुरक्षित सेक्स 
  • यदि एक पार्टनर में इसके लक्षण दिख रहे हैं या क्लैमिडिया के परिणाम पॉजिटिव आए हैं 
  • मल्टीप्ल सेक्स पार्टनर 
  • कोई अन्य यौन संचारित रोग होना

हर यौन सक्रिय पुरुष व महिलाओं को एक रूटीन टेस्ट के रूप में क्लैमिडिया टेस्ट करवाने को कहा जाता है।

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क्लैमिडिया टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

आमतौर पर इस टेस्ट के लिए किसी विशेष तैयारी की जरूरत नहीं होती। हालांकि, यह जरूरी है कि आप जो भी दवाएं ले रहे हैं उनके बारे में डॉक्टर को बता दें। हो सकता है कि डॉक्टर आपसे दवा की खुराक बदलने को कहें। दवा की खुराक बिना डॉक्टर से पूछे न बदलें। यदि आप कोई गैर कानूनी दवा ले रहे हैं तो इसके बारे में डॉक्टर को बता दें, क्योंकि ये टेस्ट के नतीजों को प्रभावित कर सकती है। 

 

क्लैमिडिया टेस्ट कैसे किया जाता है?

यह एक सामान्य और दर्दरहित प्रक्रिया है, जिसमें अधिक समय नहीं लगता और यह दिन में किसी भी समय किया जा सकता है। क्लैमिडिया टेस्ट दो तरह से किया जाता है:

महिलाओं के लिए 

  • यदि स्वैब टेस्ट किया जाता है तो डॉक्टर या नर्स स्वैब को यौनि या गर्भाशय ग्रीवा में डाल कर सेल निकालते हैं। 
  • आमतौर पर महिलाओं के लिए यूरिन टेस्ट नहीं किया जाता है। अगर किसी परिस्थिति में किया जाए तो डॉक्टर आपसे एक कंटेनर में यूरिन सैंपल देने को कहेंगे। 

पुरुषों के लिए

  • स्वैब टेस्ट के दौरान डॉक्टर मूत्रमार्ग के छेद के आस-पास स्वैब को घुमाएंगे और सैंपल निकाल लेंगे। इसके अलावा स्वैब को मूत्रमार्ग में तीन से चार सेंटीमीटरतक भी डाल सकते हैं।
  • पुरुषों में अधिकतर यूरिन टेस्ट ही किया जाता है। इस टेस्ट के लिए डॉक्टर आपसे एक कंटेनर में यूरिन सैंपल लेने को कहेंगे।

कुछ मामलों में, महिला और पुरुष दोनों में डॉक्टर सैंपल रेक्टम या गले से भी ले सकते हैं। यदि व्यक्ति में कंजंक्टिवाइटिस के लक्षण दिखाई देते हैं तो आँखों से निकल रहे द्रव या पदार्थ के सैंपल स्वैब में लिए जा सकते हैं।

सैंपल लेने के लिए स्वैब के सिरे पर रुई लगी होती है, इसलिए यह टेस्ट आमतौर पर दर्दरहित है, हालांकि कुछ लोगों को इससे थोड़ी बहुत परेशानी हो सकती है। 

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क्लैमिडिया टेस्ट के परिणाम क्या बताते हैं?

सामान्य परिणाम:
क्लैमिडिया टेस्ट के नॉर्मल रिजल्ट को नेगेटिव रिजल्ट लिखा जाता है जिसका मतलब होता है कि व्यक्ति में क्लैमिडिया का संक्रमण नहीं हुआ है।

असामान्य परिणाम:
क्लैमिडिया टेस्ट के असामान्य परिणामों को पॉजिटिव लिखा जाता है, जो इस बात की तरफ इशारा करता है कि व्यक्ति के शरीर में क्लैमिडिया का संक्रमण हुआ है। डॉक्टर इसके बाद कुछ और टेस्ट भी कर सकते हैं इसके बाद परिणामों के अनुसार इलाज निर्धारित किया जाता है। 

कभी-कभार ही क्लैमिडिया टेस्ट के परिणाम गलत तरह से पॉजिटिव या नेगेटिव आ सकते हैं।

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