लोग मच्छरों के काटने के द्वारा चिकनगुनिया वायरस से संक्रमित होते हैं। इसके कारण से जोड़ों में दर्द और बुखार जैसी समस्याएं होने लगती हैं। कुछ दुर्लभ मामलों में ही यह घातक हो पाता है, लेकिन इसके लक्षण गंभीर, दीर्घकालिक और कमजोर कर देने वाले होते हैं। चिकनगुनिया के कुछ क्लिनिकल संकेत जिका (Zika) रोग तथा डेंगू से मिलते हैं। चिकनगुनिया का इलाज नहीं है, इसके उपचार का मुख्य लक्ष्य रोग के लक्षणों को ठीक करना होता है।

(और पढ़ें - चिकनगुनिया के घरेलू उपाय)

  1. चिकनगुनिया की जांच क्या होती है? - What is Chikungunya Test in Hindi?
  2. चिकनगुनिया की जांच क्यों की जाती है - What is the purpose of Chikungunya Test in Hindi
  3. चिकनगुनिया की जांच से पहले - Before Chikungunya Test in Hindi
  4. चिकनगुनिया की जांच के दौरान - During Chikungunya Test in Hindi
  5. चिकनगुनिया की जांच के बाद - After Chikungunya Test in Hindi
  6. चिकनगुनिया की जांच के क्या जोखिम होते हैं - What are the risks of Chikungunya Test in Hindi
  7. चिकनगुनिया की जांच के परिणाम का क्या मतलब होता है - What do the results of Chikungunya Test mean in Hindi
  8. चिकनगुनिया की जांच कब करवानी चाहिए - When to get tested with Chikungunya Test in Hindi

चिकनगुनिया की जांच क्या होती है?

चिकनगुनिया की जांच में चिकनगुनिया के संक्रमण का पता लगाया जाता है। चिकनगुनिया के संक्रमण की पुष्टी मरीज से लिए गए सैम्पल में वायरस, वायरल आरएनए (Viral RNA) या किसी विशेष एंटीबॉडी का पता लगाकर की जाती है। टेस्ट के प्रकार को विशेष रूप से समय और सैम्पल की मात्रा के अनुसार तय किया जाता है। अगर रोग के लक्षण घातक डेंगू बुखार से काफी मिलते-झुलते हैं, तो चिकनगुनिया की जांच करने के लिए ब्लड टेस्ट को सबसे विश्वसनीय तरीका माना जाता है। चिकनगुनिया की जांच के लिए सामान्य लेबोरेटरी टेस्टों में सेरोलोजिकल टेस्ट और वायरल कल्चर टेस्ट शामिल है।

(और पढ़ें - बुखार के घरेलू उपाय)

उपलब्ध लेबोरेटरी टेस्ट के प्रकार और उनमें इस्तेमाल किए जाने वाले सैम्पल: 

लेबोरेटरी के मापदंडों में मरीज के खून में लिम्फोसाइट की कमी के साथ वायरस में वृद्धि शामिल होती है। हालांकि, एक निश्चित लेबोरेटरी परीक्षण को मुख्य तीन लेबोरेटरी टेस्टों के माध्यम से पूरा किया जा सकता है। ये मुख्य तीन टेस्ट निम्न हैं:

(और पढ़ें - बुखार में क्या खाना चाहिए)

  • वायरस इसोलेशन (Virus isolation)
  • सेरोलॉजिकल टेस्ट (Serological test)
  • पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (PCR) की आणविक तकनीक

(और पढ़ें - दिमागी बुखार का इलाज)

सैम्पल के रूप में आमतौर पर खून या सीरम का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन न्यूरोलॉजिकल मामलों में मीनिंगो-एनसेफेलाइटिक मामलों में सेरिब्रोस्पाइनल द्रव (CSF) का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।

(और पढ़ें - जापानी बुखार के लक्षण)

वायरस इसोलेशन –

(और पढ़ें - निमोनिया का इलाज)

वायरस इसोलेशन सबसे निश्चित टेस्ट रिजल्ट प्रदान करता है, लेकिन इसको पूरा होने में 1 या 2 हफ्ते  तक का समय लग सकता है।

(और पढ़ें - निमोनिया से बचने के उपाय)

सेरोलॉजिकल टेस्ट –

(और पढ़ें - टाइफाइड के घरेलू उपाय)

सेरोलॉजिकल परीक्षण में अन्य तरीकों के मुकाबले सैम्पल के लिए अधिक खून की आवश्यकता पड़ती है और ब्लड सीरम में चिकनगुनिया के विशिष्ट एंटीबॉडी के स्तर को मापने के लिए इसमें एलिसा एस्से (Enzyme-linked immunosorbent assay) का इस्तेमाल भी किया जाता है।

एलिसा द्वारा प्रदर्शित होने वाले आईजीएम एंटीबॉडी दो सप्ताह के भीतर दिखाई दे सकते हैं। पहले सप्ताह में एंटीबॉडी टेस्ट करना उचित नहीं माना जाता। कुछ व्यक्तियों में आईजीएम एंटीबॉडी पर्याप्त मात्रा में दिखने में एक से दो हफ्ते तक का समय लगा सकता है।

(और पढ़ें - टाइफाइड के लक्षण)

आरटी-पीसीआर (Reverse Transcriptase, (RT) PCR technique) –

(और पढ़ें - टाइफाइड में क्या खाना चाहिए)

आरटी-पीसीआर परीक्षण चिकनगुनिया के शुरुआती दिनों के लिए उचित टेस्ट होता है, क्योंकि चिकनगुनिया के शुरूआती चरणों में इसका पता लगाया जा सकता है। (लक्षण उभरने के 8 दिनों के भीतर)

आरटी-पीसीआर का इस्तेमाल खून में वायरल लोड को मापने के लिए भी किया जाता है। आरटी-पीसीआर परीक्षण के रिजल्ट आने में एक से दो दिन तक का समय लगता है।

(और पढ़ें - मलेरिया के लक्षण)

Antifungal Cream
₹626  ₹699  10% छूट
खरीदें

चिकनगुनिया टेस्ट किसलिए किया जाता है?

(और पढ़ें - एचपीवी के लक्षण)

आपके खून में चिकनगुनिया वायरस की उपस्थिति का पता लगाने के लिए चिकनगुनिया टेस्ट किया जाता है।

(और पढ़ें - हर्पीस वायरस ट्रीटमेंट)

चिकनगुनिया बुखार कुछ हद तक डेंगू बुखार से मिलता है। चिकनगुनिया और डेंगू ये दोनों तीव्र ज्वर संबंधी बीमारियां है, जिनकी विशेषताएं बुखार, मांसपेशियों में दर्द व सुस्ती आदि होती है। चिकनगुनिया के लक्षण काफी हद तक डेंगू के लक्षणों से मिलते हैं। इसलिए चिकनगुनिया टेस्ट शुरूआती अवस्था में ही चिकनगुनिया और डेंगू में अंतर स्पष्ट कर देता है।

(और पढ़ें - डेंगू के घरेलू उपाय)

चिकनगुनिया टेस्ट से पहले क्या किया जाता है?

(और पढ़ें - किडनी फंक्शन टेस्ट)

इस टेस्ट के लिए किसी विशेष तैयारी की जरूरत नहीं पड़ती। अगर आप किसी भी प्रकार की दवा आदि लेते हैं, तो उसके बारे में डॉक्टर को बता दें। इस टेस्ट से पहले खाना-पीना आदि छोड़ने की जरूरत नहीं पड़ती।

(और पढ़ें - क्रिएटिनिन टेस्ट)

इस टेस्ट के लिए आमतौर पर खून के सैम्पल की आवश्यकता पड़ती है। सिर्फ उन मामलों में जिनमें मस्तिष्कावरणीय (Meningeal/ मस्तिष्क की झिल्लियों से संबंधित रोग) का संदेह है, उनमें टेस्ट के लिए सेरिब्रोस्पाइनल द्रव का सैम्पल लिया जाता है।

(और पढ़ें - मस्तिष्क संक्रमण का इलाज)

अगर टेस्ट के लिए सेरिब्रोस्पाइनल लिया जाता है, तो डॉक्टर आपके टेस्ट होने से कुछ घंटे पहले तक कुछ भी खाने पीने से परहेज करने के लिए बोल सकते हैं और सैम्पल निकालने से पहले बेहोशी आदि की दवा भी दी जा सकती है।

(और पढ़ें - दवा की जानकारी)

चिकनगुनिया टेस्ट के दौरान क्या किया जाता है?

(और पढ़ें - सीआरपी ब्लड टेस्ट)

यह एक साधारण टेस्ट होता है, जिसमें खून का सैम्पल निकाला जाता है। इस टेस्ट में डॉक्टरों को सैम्पल के लिए नस से खून निकालना पड़ता है। खून निकालने से पहले जिस जगह पर सुई लगानी होती है, उस जगह को एंटीसेप्टिक द्वारा साफ और कीटाणुरहित किया जाता है। उसके बाद बाजू के उपरी हिस्से पर पट्टी या इलास्टिक बैंड को बांध दिया जाता है, जिससे नसों में खून का बहाव रुक जाता है और वे उभर जाती हैं। नस मिलने पर डॉक्टर/नर्स वहां से सुई के माध्यम से खून निकालते हैं, सुई से जुड़ी शीशी या सिरिंज में सैम्पल को इकट्ठा किया जाता है।

(और पढ़ें - एलर्जी टेस्ट कैसे होता है)

Nimbadi Churna
₹392  ₹450  12% छूट
खरीदें

चिकनगुनिया टेस्ट के बाद क्या किया जाता है?

(और पढ़ें - गिलोय के फायदे)

सैम्पल लेने के बाद सुई को नस से निकाल लिया जाता है, उस जगह पर हल्का दर्द व निशान भी पड़ सकता है, जो जल्दी ठीक हो जाता है। जब सुई को नस में डाला जाता है तो आपको थोड़ा दर्द महसूस हो सकता है। सुई वाली जगह को हल्के दबाव के साथ कुछ मिनट तक हल्के-हल्के मसलने से निशान पड़ने से रोकथाम की जा सकती है।

(और पढ़ें - किवी के फायदे)

उसके बाद सेम्पल को टेस्टिंग के लिए लेबोरेटरी में भेज दिया जाता है, रिजल्ट आने पर डॉक्टर आपको बुलाकर उसके बारे में आपसे चर्चा करेंगे।

(और पढ़ें - प्लेटलेट्स काउंट क्या है)

चिकनगुनिया टेस्ट के क्या जोखिम हो सकते हैं?

(और पढ़ें - बकरी के दूध के फायदे)

जहां पर सुई लगी थी उस जगह पर आपको सूजन व दर्द हो सकता है और उस जगह पर निशान भी पड़ सकती है। खासकर यह स्थिति तब होती है, जब सैम्पल को नस से निकाला जाता है। निशान एवं दर्द कुछ ही समय में ठीक हो जाती है।

(और पढ़ें - सूजन का घरेलू उपाय)

अगर टेस्ट का रिजल्ट नेगेटिव आया है, तो डेंगू का संदेह हो सकता है, जिसकी जांच के लिए जितना जल्दी हो सके डेंगू टेस्ट भी किया जाना चाहिए, ताकि गलत निदान से बचा जा सके।

(और पढ़ें - डेंगू में क्या खाना चाहिए)

चिकनगुनिया टेस्ट के रिजल्ट का क्या मतलब होता है?

(और पढ़ें - डेंगू टेस्ट)

चिकनगुनिया परीक्षण
चिकनगुनिया टेस्ट को मूल्यांकन तीन अलग-अलग हिस्सों में किया जाता है। एंटीजन और एंटीबॉडीज तथा आईजीएम और आईजीजी, इनकी उपस्थिति या अनुपस्थिति अलग अलग व्याख्याएं करती है।

सामान्य परिणाम
चिकनगुनिया एंटीजन और आईजीएम एंटीबॉडी की अनुपस्थिति यह इंगित करती है कि व्यक्ति को चिकनगुनिया नहीं है। वहीं आईजीजी एंटीबॉडी की अनुपस्थिति इस बात का संकेत है कि व्यक्ति में वायरस का कोई पिछला संक्रमण नहीं था।

(और पढ़ें - ईईजी टेस्ट)

असामान्य परिणाम

  • चिकनगुनिया एंटीजन की उपस्थिति इंगित करती है
    •  एक्यूट चिकनगुनिया संक्रमण
    • चिकनगुनिया वायरस के सक्रमण की 2-5 दिनों की उपस्थिति
    • चिकनगुनिया के निदान की पुष्टि

(और पढ़ें - हेपेटाइटिस बी टेस्ट)

  • चिकनगुनिया आईजीएम एंटीबॉडीज की उपस्थिति
    • एक्यूट चिकनगुनिया संक्रमण
    • चिकनगुनिया का हालिया संक्रमण
    • चिकनगुनिया के निदान की पुष्टि

(और पढ़ें - यूरिक एसिड टेस्ट)

  • चिकनगुनिया आईजीजी एंटीबॉडी की उपस्थिति
    • पिछले संक्रमण का संकेत
    • चिकनगुनिया के पोस्ट वायरल आर्थ्राल्जिया (आमतौर पर चिकनगुनिया से संबंधित क्रोनिक जोड़ो के दर्द से जुड़े मामलों) के निदान में सहायक है

आमतौर पर, चिकनगुनिया एंटीजन और आईजीएम एंटीबॉडी का संयोजन चिकनगुनिया बुखार की पुष्टि करता है। आईजीजी एंटीबॉडी की उपस्थिति आमतौर पर चिकनगुनिया के पिछले संक्रमण और जोड़ों के दर्द के कारण की पुष्टि करने में मदद करती है। चूंकि चिकनगुनिया की अब तक कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, इसलिए बीमारी को रोकने का एकमात्र उपाय पीड़ित का स्वयं को आइसोलेट यानी अलग-थलग कर लेना और रोगी में समय पर स्थिति का निदान हो जाना होता है।

Skin Infection Tablet
₹496  ₹799  37% छूट
खरीदें

चिकनगुनिया टेस्ट कब करवाना चाहिए?

अगर आपको चिकनगुनिया से जुड़ा कोई भी लक्षण या संकेत महसूस हो रहा है, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना ही समझदारी होगी। चिकनगुनिया का वायरस संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है। बीमारी के पहले सप्ताह के दौरान किसी व्यक्ति में मच्छरों के काटने के द्वारा या खून के माध्यम से रोग फैलने के जोखिम बहुत अधिक होते हैं।

(और पढ़ें - मच्छरों से छुटकारा पाने के तरीके)

संक्रमित मच्छर के काटने के 4 से 7 दिन बाद किसी व्यक्ति में चिकनगुनिया के लक्षण दिखाई देने लगते हैं, इसके लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:

(और पढ़ें - मानसून में होने वाली बीमारियां)

(और पढ़ें - थकान से बचने के उपाय)

संदर्भ

  1. World Health Organization Fact sheet. Chikungunya
  2. Lab Tests Online. Washington D.C.: American Association for Clinical Chemistry; Travelers' Diseases
  3. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services, Chikung Virus: Symptoms, Diagnosis, & Treatment
  4. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services, Chikungunya Virus: Diagnostic Testing
  5. Barbara W. Johnson, Brandy J. Russell, and Christin H. Goodman. Laboratory Diagnosis of Chikungunya Virus Infections and Commercial Sources for Diagnostic Assays. J Infect Dis. 2016 Dec 15; 214(Suppl 5): S471–S474. PMID: 27920176
  6. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Chikungunya virus
ऐप पर पढ़ें
cross
डॉक्टर से अपना सवाल पूछें और 10 मिनट में जवाब पाएँ