चिकनगुनिया की जांच क्या होती है?
चिकनगुनिया की जांच में चिकनगुनिया के संक्रमण का पता लगाया जाता है। चिकनगुनिया के संक्रमण की पुष्टी मरीज से लिए गए सैम्पल में वायरस, वायरल आरएनए (Viral RNA) या किसी विशेष एंटीबॉडी का पता लगाकर की जाती है। टेस्ट के प्रकार को विशेष रूप से समय और सैम्पल की मात्रा के अनुसार तय किया जाता है। अगर रोग के लक्षण घातक डेंगू बुखार से काफी मिलते-झुलते हैं, तो चिकनगुनिया की जांच करने के लिए ब्लड टेस्ट को सबसे विश्वसनीय तरीका माना जाता है। चिकनगुनिया की जांच के लिए सामान्य लेबोरेटरी टेस्टों में सेरोलोजिकल टेस्ट और वायरल कल्चर टेस्ट शामिल है।
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उपलब्ध लेबोरेटरी टेस्ट के प्रकार और उनमें इस्तेमाल किए जाने वाले सैम्पल:
लेबोरेटरी के मापदंडों में मरीज के खून में लिम्फोसाइट की कमी के साथ वायरस में वृद्धि शामिल होती है। हालांकि, एक निश्चित लेबोरेटरी परीक्षण को मुख्य तीन लेबोरेटरी टेस्टों के माध्यम से पूरा किया जा सकता है। ये मुख्य तीन टेस्ट निम्न हैं:
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- वायरस इसोलेशन (Virus isolation)
- सेरोलॉजिकल टेस्ट (Serological test)
- पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (PCR) की आणविक तकनीक
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सैम्पल के रूप में आमतौर पर खून या सीरम का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन न्यूरोलॉजिकल मामलों में मीनिंगो-एनसेफेलाइटिक मामलों में सेरिब्रोस्पाइनल द्रव (CSF) का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
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वायरस इसोलेशन –
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वायरस इसोलेशन सबसे निश्चित टेस्ट रिजल्ट प्रदान करता है, लेकिन इसको पूरा होने में 1 या 2 हफ्ते तक का समय लग सकता है।
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सेरोलॉजिकल टेस्ट –
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सेरोलॉजिकल परीक्षण में अन्य तरीकों के मुकाबले सैम्पल के लिए अधिक खून की आवश्यकता पड़ती है और ब्लड सीरम में चिकनगुनिया के विशिष्ट एंटीबॉडी के स्तर को मापने के लिए इसमें एलिसा एस्से (Enzyme-linked immunosorbent assay) का इस्तेमाल भी किया जाता है।
एलिसा द्वारा प्रदर्शित होने वाले आईजीएम एंटीबॉडी दो सप्ताह के भीतर दिखाई दे सकते हैं। पहले सप्ताह में एंटीबॉडी टेस्ट करना उचित नहीं माना जाता। कुछ व्यक्तियों में आईजीएम एंटीबॉडी पर्याप्त मात्रा में दिखने में एक से दो हफ्ते तक का समय लगा सकता है।
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आरटी-पीसीआर (Reverse Transcriptase, (RT) PCR technique) –
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आरटी-पीसीआर परीक्षण चिकनगुनिया के शुरुआती दिनों के लिए उचित टेस्ट होता है, क्योंकि चिकनगुनिया के शुरूआती चरणों में इसका पता लगाया जा सकता है। (लक्षण उभरने के 8 दिनों के भीतर)
आरटी-पीसीआर का इस्तेमाल खून में वायरल लोड को मापने के लिए भी किया जाता है। आरटी-पीसीआर परीक्षण के रिजल्ट आने में एक से दो दिन तक का समय लगता है।
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