सेरिब्रल स्पाइनल फ्लूइड टेस्ट(सीएसफ) क्या है?

सीएसफ मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड में पाया जाने वाला एक तरह का द्रव होता है। सीएसफ इसके आस-पास के नाजुक अंगों को शॉक और तेज झटकों से बचाने का कार्य करता है। यह मस्तिष्क तक आयन, ऑक्सीजन और ग्लूकोज ले जाता है व रक्त का पीएच सही तरह से बनाए रखने में मदद करता है। यह मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड से हार्मोन, आयन, प्रोटीन और एंजाइम का संचारण करने में भी सहायक है। 

यह टेस्ट सीएसफ में मौजूद केमिकल और कोशिकाओं की जांच करता है, जिससे विभिन्न बिमारियों के परीक्षण में मदद मिलती है। सीएसफ की जांच करने के लिए एक विशेष प्रक्रिया द्वारा मरीज के शरीर से द्रव लिया जाता है, इस प्रक्रिया को लंबर पंक्चर (lumbar puncture), एलपी या स्पाइनल पैरासेन्टेसिस कहा जाता है। एलपी कमर के निचले हिस्से में किया जाता है। कभी-कभी जरुरत पड़ने पर यह द्रव मस्तिष्क या स्पाइनल कॉर्ड के कुछ अन्य हिस्सों से भी लिया जा सकता है।

यह टेस्ट अब कई परीक्षणों का जरूरी भाग बन चुका है। यह कई बिमारियों के सही परीक्षण के लिए आगे कौन से टेस्ट करने हैं के बारे में डॉक्टर को स्पष्ट जानकारी देता है। इस टेस्ट को स्पाइनल टैप, सीएसफ कल्चर, वेंट्रिकुलर पंक्चर या सिस्टर्नल पंक्चर के नाम से भी जाना जाता है।

  1. सीएसफ टेस्ट क्यों किया जाता है - What is the purpose of CSF test in Hindi
  2. सीएसफ टेस्ट से पहले - Before CSF test in Hindi
  3. सीएसफ टेस्ट के दौरान - During CSF test in Hindi
  4. सीएसफ टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल वैल्यू - CSF test result and normal value in Hindi

सीएसफ टेस्ट किसलिए किया जाता है?

इस टेस्ट का प्राथमिक कारण व्यक्ति के शरीर में मौजूद किसी भी बैक्टीरियल संक्रमण की उपस्थिति या असामान्य कोशिकाओं की सूक्ष्मदर्शी द्वारा जांच करना होता है। यह शरीर में प्रोटीन और अन्य केमिकल की भी जांच करता है। पदार्थों में कोई भी बदलाव किसी विशेष स्थिति की ओर इशारा करता है।

इसीलिए डॉक्टर यह टेस्ट निम्न स्थितियों में भी करवाने को कह सकते हैं:

सैंपल लेते वक़्त मरीज की शारीरिक प्रतिक्रिया भी कुछ विकारों की ओर इशारा करती है। यह टेस्ट विशेष बैक्टीरिया, वायरस, मस्तिष्क में प्रोटीन और कैंसरसूजन के मार्कर की भी पहचान करता है। इसीलिए, डॉक्टर सीएसफ टेस्ट निम्न स्थितियों के परीक्षण के लिए भी कर सकते हैं:

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सीएसफ टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

इस टेस्ट के लिए किसी विशेष तैयारी की जरूरत नहीं होती। टेस्ट से पहले मरीज को पूरे दिन आराम करने के लिए कहा जाता है क्योंकि इस प्रक्रिया से पहले आराम करना जरूरी होता है। यह जरूरी है कि आप डॉक्टर को अपनी पिछली और वर्तमान स्वास्थ्य स्थितियों के बारे में बता दें और अगर आप कोई भी दवा या हर्बल सप्लीमेंट ले रहे हैं तो इसके बारे में भी डॉक्टर को बता दें।

सीएसफ टेस्ट कैसे किया जाता है?

टेस्ट सेंटर में डॉक्टर पहले मरीज को टेस्ट की पूरी प्रक्रिया समझाते हैं। टेस्ट के लिए निम्न चरणों का पालन किया जाता है:

  • व्यक्ति को बेड पर एक तरफ करवट ले कर लेटने को कहा जाता है। व्यक्ति को इस दौरान भ्रूण के जैसी अवस्था में लेटना पड़ता है, जिसमें उसके घुटने छाती के  पास होते हैं।
  • पंक्चर की जगह को पहले एंटीसेप्टिक दवा से साफ किया जाता है। ये कमर के निचले भाग से केशरूका की दो हड्डियों के बीच लगाया जाता है और उस जगह को सुन्न करने वाली क्रीम भी लगाई जाती है।
  • इसके बाद दोनों हड्डियों के बीच में सुई लगाकर द्रव ले लिया जाता है।
  • इस समय द्रव का प्रेशर देखने के लिए डॉक्टर एक मेमोमीटर का उपयोग करते हैं।
  • पर्याप्त द्रव निकाल लेने के बाद सुई को धीरे-धीरे निकाल दिया जाता है।
  • जिस जगह सुई लगाई गई है वहां एक रुई लगाकर बैंडेज लगा दी जाती है।
  • डॉक्टर व्यक्ति से कुछ देर तक भ्रूण की तरह ही लेते रहने को कहते हैं और कुछ घंटो तक आराम करने को भी कहा जाता है।

व्यक्ति को कमर पर सुन्न करने वाली क्रीम के कारण हल्की झुनझुनाहट हो सकती है। इस प्रक्रिया के बाद सिर दर्द भी हो सकता है जो कि कुछ घंटों तक रह सकता है। यदि सिर दर्द ज्यादा देर तक रहता है तो डॉक्टर  को इसके बारे में बता दें। इस के बाद व्यक्ति को चक्कर भी आ सकता है। ऐसे मामलों में डॉक्टर मरीज को इंट्रावेनस फ्लुइड लेने की सलाह देते हैं। बहुत ही कम मामलों में इस प्रक्रिया से कोई संक्रमण हो सकता है। डॉक्टर आपको स्थिति के अनुसार एंटीबायोटिक लेने को कहेंगे। 

यह जरूरी है कि इस प्रक्रिया के दौरान मरीज शांत रहे। भ्रूण की तरह लेटे रहने में थोड़ी तकलीफ हो सकती है लेकिन अगर मरीज ठीक तरह से बिना हिले डुले टेस्ट करवा ले तो यह टेस्ट होने में आमतौर पर सिर्फ आधे घंटे का समय ही लगता है।

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सीएसफ टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल वैल्यू

सामान्य परिणाम :
निम्न वैल्यू बताते हैं कि परिणाम सामान्य हैं :

दबाव 

8-20 सेंटीमीटर (cm) एच2ओ 

दिखावट 

पानी की तरह साफ दिखना

प्रोटीन 

15-60 मिलीग्राम (एमजी)/100 मिलीलीटर (मिली)

ग्लूकोज 

50-80 एमजी/100 मिली (या ब्लड शुगर के स्तर से ⅔ ज्यादा) 

ग्लुटामिन

6-15 एमजी/डेसीलिटर (डीएल)

लैक्टेट हाइड्रोजेनस 

2.0-7.2 यूनिट (U)/mL से कम 

सफेद रक्त कोशिकाएं 

0-4/ क्यूबिक मिलीमीटर  (mm3)

क्लोराइड 

110-125 मिलीइक्विवैलेन्ट/लीटर (mEq)/litre (L)

 

असामान्य परिणाम: सामान्य रेंज के बाहर वैल्यू किसी स्वास्थ्य समस्या की ओर इशारा करती है। निम्न सूची असामान्य रिजल्ट से जुड़ी स्वास्थ्य समस्या की विस्तृत जानकारी देती है।

 

प्रेशर 
 प्रेशर 

बढ़ा हुआ 

खोपड़ी में प्रेशर बढ़ना 

घटा हुआ 

स्पाइनल कॉर्ड में ट्यूमर, डायबिटिक कोमा 

दिखावट 

 धुंधला 

संक्रमण, सफेद रक्त कोशिकाओं या प्रोटीन की उपस्थिति 

खून की तरह दिखना

रक्त स्त्राव होना या स्पाइनल कॉर्ड में अवरोध 

भूरा, पीला, संतरी 

पहले कभी हुई ब्लीडिंग का संकेत देना

प्रोटीन 

बढ़ा हुआ 

ब्लड ब्रेन बैरियर का टूटना या बैक्टीरिया, फंगी और वायरस के कारण संक्रमण 

घटा हुआ 

सीएसफ अत्यधिक मात्रा में बनना

ग्लूकोज 

घटा हुआ 

बैक्टीरियल या फंगल संक्रमण जिसकी वजह से मैनिंजाइटिस या टीबी हो सकताहै

बढ़ा हुआ 

उच्च ब्लड शुगर 

सफेद रक्त कोशिका 

बढ़ी हुई 

बैक्टीरियल और फंगल इन्फेक्शन, ट्यूमर, मल्टीपल स्क्लेरोसिस, स्ट्रोक या फोड़े फुंसी   

 

संदर्भ

  1. Gerard J. Tortora, Bryan Derrickson. Cerebrospinal fluid 14th ed. U.S: Wiley Publication; 2014. Chapter 14, pp 477-478
  2. American Family Physician. [Internet] . American Academy of Family Physicians. U.S Cerebrospinal fluid
  3. Nicklaus Children Hospital. [Internet]. U.S Cerebral spinal fluid (CSF) collection
  4. Jurado R, Walker HK. Clinical Methods: The History, Physical, and Laboratory Examinations 3rd edition. Boston: Butterworths; 1990. Chapter 74
  5. William J. Marshall, S. K. Bangert. Clinical Biochemistry: Metabolic and Clinical Aspects 3rd Edition London : Elsevier Publishing 2014, Page no: 660-672
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  7. Provan D.Oxford Handbook of Clinical and Laboratory Investigation 4th ed. United Kingdom: Oxford University Press; 2018. Page no: 418.
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