ब्‍लीडिंग टाइम टेस्‍ट क्‍या है?

ब्‍लीडिंग टाइम टेस्‍ट को क्‍लॉटिंग टाइम टेस्‍ट भी कहा जाता है। इस टेस्‍ट में ये पता लगाया जाता है कि किसी भी तरह की ब्‍लीडिंग को खून के थक्‍के कितनी जल्‍दी रोक पा रहे हैं। इसे मेडिकल टेस्‍ट के तौर पर भी वर्णित किया जा सकता है जिसमें ये पता लगाया जाता है कि त्वचा में मौजूद छोटी रक्त वाहिकाएं कितनी तेजी से रक्त स्राव रोक रही हैं।

(और पढ़ें - ब्लीडिंग रोकने का तरीका)

  1. ब्लीडिंग टाइम टेस्ट क्यों किया जाता है? - Why is the Bleeding/Clotting Time test done in Hindi?
  2. ब्लीडिंग टाइम टेस्ट से पहले की तैयारी? - How to prepare for Bleeding/ Clotting Time test in Hindi?
  3. ब्लीडिंग टाइम टेस्ट कैसे किया जाता है? - How the Bleeding / Clotting Time test is done in Hindi?
  4. ब्लीडिंग टाइम टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज - Bleeding/Clotting Time test result and normal range in Hindi

इस टेस्‍ट को प्रमुख तौर पर ये देखने कि लिए किया जाता है कि खून के थक्‍के कितनी जल्‍दी बन रहे हैं। ब्‍लीडिंग टाइम टेस्‍ट से इस बात की जानकारी मिलती है कि ब्‍लड प्‍लेटलेट्स कितनी अच्‍छी तरह से काम कर रहे हैं। खून में मौजूद कोशिकाओं को प्‍लेटलेट्स कहा जाता है जो कि त्‍वचा पर चोट लगने के दौरान होने वाले अत्‍यधिक रक्‍तस्राव से बचाने में मुख्‍य भूमिका निभाते हैं।

ब्‍लीडिंग टाइम टेस्‍ट सिर्फ उन लोगों में करवाया जाता है जिन्‍हें ब्‍लीडिंग के आसानी से ना रूकने की शिकायत रहती है और घाव भरने में सामान्‍य से ज्‍यादा समय लगता है। ये टेस्‍ट किसी भी तरह के क्‍लॉटिंग (खून के थक्‍के जमने) विकार की जांच करने में मदद करता है। इस तरह के विकारों में बहुत ज्‍यादा रक्‍तस्राव होता है और ये स्थिति घातक भी साबित हो सकती है।

अगर ब्‍लीडिंग टाइम टेस्‍ट के रिजल्‍ट में कुछ असामान्‍यता (खराबी) दिखती है तो डॉक्‍टर इसके स्‍पष्‍ट कारण की पहचान के लिए और जांच करवाने की सलाह देते हैं।

(और पढ़ें - ब्लड टेस्ट क्यों किया जाता है)

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ब्‍लीडिंग टाइम टेस्‍ट के लिए किसी भी तरह की तैयारी की जरूरत नहीं होती है। हालांकि, अगर आप कोई दवा और विटामिन या मिनरल सप्‍लीमेंट का सेवन कर रहे हैं तो टेस्‍ट से पहले इसके बारे में डॉक्‍टर को जरूर बता दें। इससे टेस्‍ट के परिणाम पर असर पड़ सकता है।

अपनी मर्जी से कोई दवा लेना बंद ना करें। टेस्‍ट के लिए आधी बाजू के कपड़े पहनें ताकि हाथ से आसानी से ब्‍लड सैंपल लिया जा सके।

ब्‍लीडिंग टाइम टेस्‍ट निम्‍न तरीके से किया जाता है:

  • शरीर के जिस हिस्‍से से खून लिया जाना है, उसे अच्‍छी तरह से एंटीसेप्टिक दवा से साफ कर लें ताकि संक्रमण का खतरा ना रहे।
  • हाथ के ऊपरी हिस्‍से में प्रेशर कफ बांधा जाता है।
  • थोड़ा-सा खून निकालने के लिए हाथ के निचले हिस्‍से पर दो छोटे कट लगाए जाते हैं। ये कट ज्‍यादा गहरे नहीं होते हैं और इसमें दर्द भी बहुत कम होता है।
  • इसके बाद कफ को निकाल दिया जाता है।
  • स्‍टॉपवॉच या टाइमर की मदद से ब्‍लीडिंग रूकने का समय नोट किया जाता है। हालांकि, टेस्‍ट करने वाले टेक्‍नीशियन हर 30 सेकेंड में ब्‍लीडिंग को रोकने के लिए कट को बंद करने की कोशिश करता है।

त्‍वचा पर कट लगने की वजह से अत्‍यधिक ब्‍लीडिंग या संक्रमण होने की संभावना रहती है। हालांकि, बैंडेज और थोड़ी सावधानी बरत कर ब्‍लीडिंग को समय पर रोक दिया जाता है और इससे संक्रमण का खतरा भी कम हो जाता  है।

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हल्‍का कट लगाने पर 1 से 9 मिनट के अंदर ही ब्‍लीडिंग रूक जानी चाहिए। इसे नॉर्मल रिजल्‍ट माना जाता है। हर लैबोरेटरी में टेस्‍ट की प्रक्रिया में हल्‍का-सा फर्क होने की वजह से रिजल्‍ट की वैल्‍यू में थोड़ा-सा अंतर हो सकता है।

हालांकि, सामान्‍य से अधिक समय तक ब्‍लीडिंग होने को एब्नार्मल रिजल्‍ट कहा जाता है। इसके निम्‍न कारण हो सकते हैं:

  • रक्‍त वाहिकाओं में विकार के कारण पूरे शरीर में रक्‍त प्रवाह की क्षमता प्रभावित होती है।
  • प्‍लेटलेट के कार्य करने में कोई आनुवांशिक दोष होना। (और पढ़ें - प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए क्या खाएं)
  • थ्रोम्बोसाइथीमिया जिसमें बोन मैरो अत्‍यधिक प्‍लेटलेट्स का उत्‍पादन करने लगती है।
  • थ्रोम्बोसाइटोपेनिया जिसमें शरीर काफी कम मात्रा में प्‍लेटलेट्स बनाता है।
  • वॉन विलेब्रांड रोग जो कि एक आनुवांशिक विकार है जिसका असर शरीर में खून के थक्‍के जमने की प्रक्रिया पर पड़ता है।

नोट: टेस्‍ट के रिजल्‍ट और व्‍यक्‍ति के लक्षणों के आधार पर ही उचित निदान किया जाना चाहिए। उपरोक्त जानकारी पूरी तरह से शैक्षिक दृष्टिकोण से दी गई है और यह किसी भी तरह से डॉक्‍टर की चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है।

संदर्भ

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