बीटा-2 माइक्रोग्लोब्युलिन (बी2एम) टेस्ट क्या है?
बीटा-2 मइक्रोग्लोब्युलिन शरीर की अधिकतर कोशिकाओं पर पाया जाने वाला एक प्रोटीन है। यह रक्त में कुछ मात्रा में लगातार रिसता रहता है, हालांकि यह बीटा लिम्फोसाइट (सफ़ेद रक्त कोशिकाओं का एक प्रकार) के द्वारा सबसे अधिक मात्रा में रिसता है। इसीलिए जब प्रतिरक्षा प्रणाली सक्रिय होती है या फिर कोई ऐसा रोग हो जाता है, जिससे कोशिकाओं का उत्पादन व क्षति अधिक हो जाती है, तो बी2एम का स्तर ज्यादा बढ़ जाता है।
बी2एम के स्तर उन लोगों में भी अधिक देखे जाते हैं जो मल्टीपल मायलोमा और लिंफोमा जैसे कैंसर आदि से ग्रस्त हैं। इसके अलावा कुछ इंफ्लेमेटरी विकार व एचआईवी से ग्रस्त लोगों में भी बी2एम का स्तर अधिक देखा जा सकता है।
यह टेस्ट सीरम में बीटा 2 माइक्रोग्लोब्युलिन के स्तर का पता लगाता है। रक्त से लाल रक्त कोशिकाओं को अलग करने के बाद बचे शेष भाग को सीरम कहते हैं। इससे कैंसर या ट्यूमर के बारे में जानने में मदद मिलती है।
जब रक्त किडनी द्वारा फ़िल्टर किया जाता है तो अधिकतर बी2एम किडनी के फ़िल्टर ग्लोमेरुलर मेम्ब्रेन द्वारा निकल जाते हैं लेकिन रीनल ट्यूब्स (किडनी का वह भाग जो पानी और पोषक तत्वों को फिर से अवशोषित करता है) में बच जाते हैं। आमतौर पर बी2एम की थोड़ी सी मात्रा ही यूरिन में निकलती है। इसीलिए यह टेस्ट किडनी की कार्य प्रक्रिया के बारे में जानने में मदद करता है।