बेंस जोंस प्रोटीन टेस्ट का इस्तेमाल डॉक्टर मरीज में कई प्रकार के मायलोमा की जांच के लिए करते हैं। मल्टीपल मायलोमा एक तरह का ब्लड कैंसर है। एक स्वस्थ व्यक्ति के यूरीन में बेंस जोन्स नहीं पाया जाता है। इसलिए अगर किसी के यूरीन में बेंस जोंस प्रोटीन पाया जाता है तो इसका मतलब है कि उसे कि उस किसी अच्छे डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है।

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इस टेस्ट को कई अन्य नामों से भी जानते हैं। इनमें यूरीन प्रोटीन इलेक्ट्रोफोरेसिस (यूपीईपी), यूरीन इम्यूनोफिक्सेशन इलेक्ट्रोफोरेसिस या इम्मूनोसे फॉर फ्री लाइट चेन नामों से भी जाना जाता है।

  1. बेंस जोंस प्रोटीन टेस्ट क्या होता है? - What is Bence Jones protein test in Hindi?
  2. बेंस जोंस प्रोटीन टेस्ट क्यों किया जाता है - What is the purpose of Bence Jones protein Test in Hindi?
  3. बेंस जोंस प्रोटीन टेस्ट के दौरान - During Bence Jones protein Test in Hindi
  4. बेंस जोंस प्रोटीन टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब होता है? - What do the results of Bence Jones protein test mean in Hindi?

बेंच जोन्स टेस्ट का इस्तेमाल डॉक्टर मरीज में कई प्रकार के मायलोमा की जांच के लिए करते हैं। मल्टीपल मायलोमा एक तरह का ब्लड कैंसर है। एक स्वस्थ व्यक्ति के यूरीन में बेंस जोन्स नहीं पाया जाता है। इसलिए अगर किसी के यूरीन में बेंस जोन्स पाया जाता है तो इसका मतलब है कि उसे कि उस किसी अच्छे डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है। 

इस टेस्ट को कई अन्य नामों से भी जानते हैं। इनमें यूरीन प्रोटीन इलेक्ट्रोफोरेसिस (यूपीईपी), यूरीन इम्यूनोफिक्सेशन इलेक्ट्रोफोरेसिस या इम्मूनोसे फॉर फ्री लाइट चेन नामों से भी जाना जाता है।

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इस टेस्ट का इस्तेमाल मल्टिपल मायलोमा के इलाज और देखभाल में किया जाता है। मल्टिपल मायलोमा तब होता है, जब संक्रमण से लड़ने वाली एंटीबॉडीज बनाने वाली प्लाज्मा सेल्स अनियंत्रित होकर बहुत तेजी से बनने लगती हैं और बेंस जोन्स प्रोटीन का निर्माण करने लगती हैं। यह प्रोटीन शरीर में किसी तरह का कोई काम नहीं करती है। मल्टिपल मायलोमा निम्न तरह की समस्याएं पैदा कर सकता है: 

  • अनीमिया:
    यह एक तरह का आरबीसी यानी रेड ब्लड सेल्स की कमी होती है। इससे कमजोरी और थकान होती है। (और पढ़ें -  रेड ब्लड सेल्स काउंट कैसे बढ़ाएं
     
  • थ्रोंबीसाइटोपेनिया: 
    थ्रोंबीसाइट्स या ब्लड प्लेटलेट्स का स्टोरेज खून के थक्के बनाता है। इससे बहुत अधिक खून बहने और घाव होने जैसी समस्या हो सकती है। (और पढ़ें - घाव ठीक करने के घरेलू उपाय
     
  • लूकोपेनिया:
    यह एक तरह का वॉइट ब्लड सेल्स का स्टोरेज होता है जो इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देता है। डॉक्टरों ने बेंस जोन्स प्रोटीन को लिम्फोसाइट के कैंसर से जोड़ा है। इनमें लिंफोमा और वाल्ड्रेन्स्ट्रॉन माक्रोग्लोबुलिनेमिया शामिल हैं। 
     
  • स्टेज 3 मल्टिपल मायलोमा:
    इसके लक्षण, विकास और लाइफ एक्सपेक्टेंसी के बारे में जानकारी के लिए दोनों ब्लड टेस्ट्स के रिजल्ट पर मायलोमा को 1,2 और 3 स्टेज में बांट दिया गया है। 

इस टेस्ट के लिए आपको एक विशेष तरह के पात्र में अपना 24 घंटे तक का पूरा यूरीन इकट्ठा करके उसे जांच के लिए लैब भेजा जाता है। इस तरह से हम कह सकते हैं कि बेंस जोंस प्रोटीन यूरीन टेस्ट 24 घंटों वाला टेस्ट है। इस टेस्ट को 24 घंटे के यूरीन सैंपल से इसलिए किया जाता है क्योंकि यूरीन के तत्व दिनभर बदलते रहते हैं।

अपने 24 घंटे के यूरीन को रखने के लिए आपको एक विशेष तरह का कंटेनर दिया जाएगा। इस सैंपल को आपको ठंडी जगहों पर, जैसे रेफ्रीजरेटर में रखना होगा। इस टेस्ट के लिए दिन में पहली बार किये गये पेशाब का सैंपल नहीं लेना होता है। इसके अलावा दिनभर के सभी यूरीन को उस कंटेनर में इकट्ठा किया जाता है।

डॉक्टर आपसे हर बार के सैंपल को इकट्ठा करने के समय को भी नोट करने को कह सकते हैं। इसके बाद लैब में आपके यूरीन के 24 घंटे के सैंपल में बेंस जोंस प्रोटीन की जांच की जाएगी। अगर आप किसी तरह की दवा का सेवन करते हैं तो टेस्ट से पहले अपने डॉक्टर को बता दें क्योंकि वो दवाइयां आपके जांच के रिजल्ट को प्रभावित कर सकती हैं। 

(और पढ़ें - पेशाब कम आने का इलाज)

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आमतौर पर सामान्य व्यक्ति के यूरीन में बेंस जोंस प्रोटीन नहीं होते हैं। हालांकि इसके परिणाम अलग-अलग उम्र, लिंग और व्यक्तियों के लिए अलग-अलग हो सकते हैें। इसलिए डॉक्टर द्वारा इलाज शुरू करने से पहले कई अन्य चीजों की जांच की जाती है। बेंस जोंस प्रोटीन अज्ञात एमजीयूएस की उपस्थिति की स्थिति में भी हो सकता है। डॉक्टर एमजीयूएस की जांच तब करवाते हैं, जब प्लाज्मा सेल सफेद रक्त कोशिकाओं में पाए जाने वाली किसी तरह की प्रोटीन को सामान्य की अपेक्षा बहुत अधिक मात्रा में तैयार करती है लेकिन ट्यूमर या अन्य तरह की कोई समस्या नहीं पैदा करती हैं। हालांकि अगर इस तरह की स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है तो यह ब्लड कैंसर जैसी बीमारियों की वजह बन सकती है।

बेंस जोंस प्रोटीन की अधिक मात्रा मल्टिपल मायलोमा जैसी बीमारी की ओर इशारा भी कर सकती हैं। इस प्रोटीन को लिंफोमा और वाल्डेन्स्ट्रॉम मैक्रोग्लोब्युलिनेमिआ जैसे दूसरे तरह के कैंसर से भी जोड़कर देखा जाता है। अगर डॉक्टरों को बेंस जोन्स प्रोटीन तो मिलता है लेकिन ब्लड टेस्ट में ब्लड काउंट, कैल्सियम का स्तर और किडनी की फंक्शनिंग में किसी तरह की कोई समस्या नहीं पाते हैं तो वो स्मॉल्डेरिंग मायलोमा को ठीक कर सकते हैं।

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संदर्भ

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  6. Marshal W.J, Lapsley M, Day A.P, Ayling R.M. Clinical biochemistry: Metabolic and clinical aspects. 3rd ed. Churchill Livingstone: Elsevier; 2014. Chapter 30, Immunology for clinical biochemists, p.588—590.
  7. Marshal W.J, Lapsley M, Day A.P, Ayling R.M. Clinical biochemistry: Metabolic and clinical aspects. 3rd ed. Churchill Livingstone: Elsevier; 2014. Chapter 36, Biochemical aspects of neurological disease, p.659—696.
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