बैड ओब्स्टेट्रिक हिस्ट्री (बीओएच) पैनल को तीन बार लगातार गर्भ न रुक पाने की स्थिति से परिभाषित किया जाता है। एक महिला जिसे निम्न में से कोई भी दो या दो से अधिक समस्याएं हुई होती हैं तो ऐसा माना जाता है कि उसे बीओएच है -
- बच्चे का मृत पैदा होना (शिशु में जीवन के कोई संकेत न होना)
- जन्म के एक महिने में ही शिशु की मृत्यु
- शिशु में जन्म से मौजूद असामान्यताएं
- शिशु की गर्भ में मृत्यु
- लगातार बार-बार मिसकैरेज
- इंट्रायूटराइन ग्रोथ रेटार्डेशन
बैड ओब्स्टेट्रिक हिस्ट्री टेस्ट किसी महिला के शरीर में खराब प्रसूति का कारण जानने के लिए किया जाता है -
इस पैनल का प्रयोग करके निम्न घटकों की जांच की जाती है -
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एंटी फॉस्फोलिपिड एंटीबॉडीज (एपीएए) - ये एंटीबॉडीज रक्त में थक्के जमाने का काम करते हैं जिससे गर्भवती महिला के खून में अधिक थक्के जमने लगते हैं। गर्भनाल में थक्के जमने से शिशु तक रक्त का प्रवाह होने में कठिनाई आ सकती है, जिससे मिसकैरेज हो सकता है। लगभग 15 प्रतिशत महिलाएं जिन्हें बार-बार मिसकैरेज होता है, उनमें एपीए पाया जाता है और लगातार मिसकैरेज व एपीए के संबंध को एंटी फॉस्फोलिपिड सिंड्रोम कहा जाता है। एपीए निम्न तरह के होते हैं -
- ल्यूपस एंटीकोएग्युलेंट (एलए) - एलए ऑटोएंटीबॉडीज दो मुख्य प्रकार के होते हैं आईजीजी और आईजीएम। ये दोनों ही प्रबल ऑटोएंटीबॉडीज के प्रकार फॉस्फोलिपिड प्रोटीन की सतह को क्षति पहुंचाते हैं। एलए ब्लड क्लॉटिंग प्रक्रिया में जाता है और थक्के जमने के समय को बढ़ा देता है। यह मुख्य तौर पर स्ट्रोक, गर्भावस्था की क्षति और अक्वायर्ड थ्रोम्बोफिलिया (असामान्य रूप से रक्त के थक्के जमना) से जुड़ा होता है। एलए आमतौर पर 2 से 4 प्रतिशत जनसंख्या में पाया जाता है। हालांकि, सटीक मात्रा का पता अब भी नहीं चल पाया है। एलए के मामले उम्र के साथ बढ़ते हैं।
- एंटी-कार्डियोलिपिन एंटीबॉडीज (एसीए) - आईजीजी, आइजीए और आईजीएम एसीए एंटीबॉडीज का प्रकार हैं जो कि कार्डियोलिपिन की प्रतिक्रिया के रूप में बनाए जाते हैं। कार्डियोलिपिन रक्त में पाए जाने वाले वसा के पदार्थ होते हैं। इसके उच्च स्तर उन महिलाओं में देखे जाते हैं, जिनका बार-बार मिसकैरेज होता है। इसीलिए यह बीओएच पैनल में एक जरूरी पैरामीटर है।
- एंटी-β2 ग्लाइकोप्रोटीन I एंटीबॉडीज - यह टेस्ट आपके रक्त में β2 ग्लाइकोप्रोटीन आई के विरोध में बने एंटीबॉडीज की जांच करने के लिए किया जाता है। β2 ग्लाइकोप्रोटीन आई शरीर में पाया जाने वाला एक प्रोटीन है। यह शरीर की कोशिकाओं की सतह पर बंध जाता है और रक्त के थक्के जमने से बचाता है। गर्भवती महिलाओं में β2 ग्लाइकोप्रोटीन आई एंटीबॉडीज की उपस्थिति से असामान्य या समय से पहले जन्म और मिसकैरिज का खतरा बढ़ जाता है।
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एंटी-न्यूक्लियर एंटीबॉडीज (एएनए) - जैसा कि नाम से ही पता चलता है, एंटी-न्यूक्लियर एंटीबॉडीज किसी कोशिका के न्यूक्लियस को क्षति पहुंचाते हैं। ये एंटीबॉडीज आईजीजी, आइजीए, आईजीएम प्रकार के होते हैं और विशेष विकारों से ग्रस्त मरीजों के रक्त में पाए जाते हैं। हालांकि, मिसकैरेज में एएनए की भूमिका अब तक स्पष्ट नहीं है ये बार-बार होने वाले मिसकैरेज से जुड़े होते हैं।
- टोर्च इन्फेक्शन - बीओएच के सबसे बड़े कारणों में संक्रमण आते हैं जो कि टोक्सोप्लास्मा गोंडाई, रूबेला वायरस, साइटोमेगालोवायरस और हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस के कारण होते हैं। इन संक्रमणों के प्रभाव माता पर कम होते हैं। हालांकि, शिशु को इनसे गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इसके साथ ही ये संक्रमण शिशु के लिए अधिक हानिकारक तब होते हैं, जब इनसे माता पहली बार संक्रमित होती है यदि ये बार-बार हो रहे हैं तो इनसे शिशु उतना अधिक प्रभावित नहीं होता है। बीओएच पैनल का प्रयोग करके टोर्च टेस्ट के लिए आईजीजी और आईजीएम एंटीबॉडीज की जांच की जाती है। टोर्च पैनल टेस्ट में कई प्रकार के ब्लड टेस्ट होते हैं, जिनका उपयोग ऐसे संक्रमण की पहचान करने के लिए किया जाता है जो कि शिशु को नुकसान पहुंचा सकते हैं।