आर्सेनिक यूरिन टेस्ट क्या है?

आर्सेनिक एक विषाक्त पदार्थ है जो कि प्राकृतिक रूप से मिट्टी और पानी में पाया जाता है। आर्सेनिक कुछ मात्रा में समुद्री भोजन में भी पाया जाता है। यह फूड चेन के जरिए हमारे शरीर में आ सकता है और विभिन्न अंगों को प्रभावित कर सकता है। इससे कैंसर, त्वचा के रोग, कार्डियोवैस्कुलर रोग और न्यूरोलॉजिकल स्थितियां पैदा हो सकती है।

आर्सेनिक कीटनाशकों, कीटाणुनाशक दवाओं, कुछ धातुओं के मिश्रण में और लकड़ी को घुन लगने से बचाने वाली दवाओं (Wood preservatives) में पाया जाता है। खदानों के क्षेत्रों में यह हवा में अधिक मात्रा में मौजूद होता है और फेफड़ों में आर्सेनिक की धूल के रूप में चला जाता है। आर्सेनिक के दो प्रकार होते हैं - जैविक आर्सेनिक और अजैविक आर्सेनिक। 

जैविक आर्सेनिक जहरीला नहीं होता और यूरिन में आसानी से निकल जाता है। अजैविक आर्सेनिक टॉक्सिक हो सकता है। हालांकि, यह शरीर में मिथाइल के रूप में आसानी से मेटाबॉलाइज हो जाता है, जो कि कम टॉक्सिक होता है। आर्सेनिक से लंबे समय तक संपर्क में रहने या आर्सेनिक पॉइजनिंग होने पर, ये मेटाबॉलाइट्स कुछ अपरिवर्तित अजैविक आर्सेनिक के साथ पेशाब के माध्यम से लगातार शरीर से निकलने लगते हैं।

आर्सेनिक यूरिन टेस्ट लंबे समय से हुई आर्सेनिक की विषाक्तता का पता लगाने के लिए किया जाता है। यह यूरिन में अजैविक, जैविक और मिथाइलेटेड आर्सेनिक के रूप में निकले आर्सेनिक का भी पता लगाता है।

  1. आर्सेनिक यूरिन टेस्ट क्यों किया जाता है - Arsenic Urine Test Kyu Kiya Jata Hai
  2. आर्सेनिक यूरिन टेस्ट से पहले - Arsenic Urine Test Se Pahle
  3. आर्सेनिक यूरिन टेस्ट के दौरान - Arsenic Urine Test Ke Dauran
  4. आर्सेनिक यूरिन टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब है - Arsenic Urine Test Ke Parinam Ka Kya Matlab Hai

आर्सेनिक यूरिन टेस्ट किसलिए किया जाता है?

इंजेक्शन द्वारा दिया गया आर्सेनिक रक्त में दो दिनों से अधिक समय तक नहीं रहता है। इसका अधिकतम भाग विभिन्न प्रकार के ऊतकों में बंट जाता है और अंत में यूरिन से निकल जाता है। इसीलिए लंबे समय से हुए आर्सेनिक के संपर्क की जांच करने के लिए यूरिन का सैंपल लेना सही माना जाता है। संपर्क में आने के छह दिनों के अंदर आर्सेनिक यूरिन में से निकल जाता है। 

यदि आर्सेनिक द्वारा संपर्क होने के निम्न लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो डॉक्टर आपको इस टेस्ट को करवाने के लिए कह सकते हैं:

  • पेट में दर्द 
  • दस्त 
  • गले में दर्द 
  • त्वचा संबंधी स्थितिया:
  • ​ हाइपरपिगमेंटेशन जिसमें त्वचा पर गहरे रंग के छोटे-छोटे धब्बे बन जाते हैं
  • हथेली या तलवों पर केराटोसिस बन जाना जो कि त्वचा में गांठ की तरह दिखाई देता है।
  • त्वचा के कैंसर जैसे बोवेन रोग और बसल सेल कार्सिनोमा
  • नाखूनों में सफ़ेद रंग की लाइन दिखाई देना, इन्हें मी लाइन्स कहते हैं 

​       जठरांत्र संबंधी लक्षण :

  • हेपटोमेगेली 
  •  बार-बार दस्त और उल्टी होना 

      कार्डियोवैस्कुलर लक्षण :

न्यूरोलॉजिकल लक्षण:

यदि डॉक्टर को लगता है कि मरीज को निम्न अंगों में कैंसर होने का खतरा है, तो भी कुछ मामलों में आर्सेनिक यूरिन टेस्ट करवाने के लिए कहा जा सकता है:

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  • फेफड़ों
  • गुर्दे
  • त्वचा
  • लिवर
  • मूत्राशय

आर्सेनिक यूरिन टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

टेस्ट से पहले समुद्री भोजन न खाएं इससे यूरिन में आर्सेनिक के स्तर बढ़ सकते हैं। यदि आपने कोई भी ऐसा टेस्ट करवाया है जिसमें गैडोलीनियम युक्त कंट्रास्ट था। ऐसे में इस टेस्ट को करवाने से पहले 48 घंटे का इंतजार करें क्योंकि गैडोलीनियम टेस्ट के परिणामों को प्रभावित कर सकता है।

आर्सेनिक यूरिन टेस्ट कैसे किया जाता है?

पहले इस टेस्ट के लोए चौबीस घंटे के यूरिन सैंपल लिए जाते थे लेकिन अब दिन के किसी भी समय का यूरिन सैंपल लिया जा सकता है। 

सैंपल लेने के लिए आपको एक कंटेनर दिया जाएगा। सैंपल लेते समय इस बात का ध्यान रहे कि यह रक्त या मल के किसी पदार्थ से संक्रमित न हो पाए। “क्लीन कैच मेथड” का पालन करते हुए आप यूरिन सैंपल लेते समय संक्रमण से बच सकते हैं। इस विधी के बारे में नीचे बताया गया है : 

  • सैंपल लेने से पहले अपने हाथ और जननांगों को ठीक तरह से साफ करें।
  • सैंपल लेने के दौरान पेशाब की कुछ शुरुआती और अंत की बूंदों को जमा न करें।
  • कंटेनर में जहां तक निशान लगा हुआ है वहां तक यूरिन का सैंपल ले लें।
  • पेशाब की अंत की बूंदें टॉयलेट में खत्म करें।

कंटेनर को बंद करें और लैब में टेस्ट के लिए ले जाएं या जब तक आप लैब नहीं जा रहे तब तक सैंपल को रेफ्रिजरेटर में रखें।

शिशु के लिए सैंपल लेना थोड़ा अलग होता है। आपको एक ऐसा बैग दिया जाएगा जिसके सिरे को चिपकाया जा सके और आपके शिशु के जननांग पर आसानी से लगाया जा सके। यह टेस्ट निम्न तरह से होगा :

  • शिशु के जननांगों को पानी व साबुन से साफ करें और फिर उन पर बैग लगाएं।
  • लड़कों के मामलों में पेनिस को पूरा बैग में डाल दें। लड़कियों में योनिद्वार के ऊपरी भाग पर बैग को लगाएं।
  • आप शिशु को बैग के ऊपर डायपर भी पहना सकते हैं।
  • बार-बार देखें कि शिशु ने पेशाब कर लिया है और यदि बैग भर गया है तो इसे हटा लें।
  • सैंपल को हटाएं और लैब में ले जाएं।

चौबीस घंटे के यूरिन सैंपल लेने के लिए दिन के सारे यूरिन को कंटेनर में लेना होगा।

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आर्सेनिक यूरिन टेस्ट के परिणाम क्या बताते हैं?

सामान्य परिणाम

यूरिन सैंपल में आर्सेनिक की 0-34.9 माइक्रोग्राम प्रतिलीटर (mcg/L) मात्रा को सामान्य माना जाता है। इस रेंज में अजैविक आर्सेनिक और इसके मिथाइलेटेड मेटाबॉलिट्स भी शामिल हैं। मनुष्य रोजाना 5-25 mcg आर्सेनिक शरीर में किसी न किसी रूप से लेते हैं। सी फूड खाने से इसके स्तर यूरिन में 300 mcg/L तक बढ़ सकते हैं। हालांकि ये स्तर एक दिन के बाद कम हो जाते हैं।

असामान्य परिणाम

आर्सेनिक की विषाक्तता की पुष्टि करने के लिए टेस्ट के रिजल्ट और मरीज में दिखाई दे रहे लक्षणों के बीच के संबंध की जांच की जाती है। विषाक्तता के मामले में यूरिन में आर्सेनिक की मात्रा 1000 mcg/L तक बढ़ सकती है। यदि पूरे आर्सेनिक को रेंज में देखा जाए तो यह 35-2000 mcg/L तक हो सकता है।

विषाक्तता की गंभीरता का पता लगाने के लिए इसे अजैविक आर्सेनिक, मिथाइलेटेड मेटाबॉलिट्स और जैविक आर्सेनिक में एक उचित अनुपात के साथ बांट दिया जाता है। आर्सेनिक की पूर्ण मात्रा अजैविक आर्सेनिक, मिथाइलेटेड मेटाबॉलिट्स और जैविक आर्सेनिक के जोड़ से अधिक हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि शरीर में कुछ ऐसे भी आर्सेनिक मौजूद हो सकते हैं, जिनकी अभी तक पहचान नहीं हो पाई है।

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