एमिनो एसिड यूरिन टेस्ट यूरिन द्वारा निकले एमिनो एसिड की जांच करने के लिए किया जाता है।

एमिनो एसिड प्रोटीन का निर्माण करने वाली मुख्य सामग्री है जो कि शरीर के कुछ मुख्य कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हमारे शरीर को विकास और वृद्धि के लिए केवल एमिनो एसिड की जरूरत होती है। ये विस्तृत रूप से एसेंशियल एमिनो एसिड (जरूरी) और नोन-एसेंशियल एमिनो एसिड (गैर-जरूरी) में विभाजित किए गए हैं। एसेंशियल एमिनो एसिड भोजन द्वारा प्राप्त किए जाते हैं, जबकि नॉन-एसेंशियल एमिनो एसिड को शरीर बनाता है।

एमिनो एसिड ऊर्जा के उत्पादन, हार्मोन के संश्लेषण में, न्यूरोट्रांसमीटर (एक तंत्रिका कोशिका से दूसरी तक संदेश ले जाने वाले केमिकल) और मेलेनिन (त्वचा के रंग) के लिए जरूरी होती है।

अतिरिक्त एमिनो एसिड लिवर द्वारा यूरिया में बदल दिया जाता है और यूरिन शरीर के द्वारा निकल जाता है। हालांकि, इनमें से किसी भी अंग में कोई विकार होने या मेटाबोलिज्म संबंधी समस्या होने पर यूरिन में एमिनो एसिड का स्तर बढ़ सकता है। एमिनो एसिड यूरिन टेस्ट का उपयोग मुख्य रूप से मेटाबॉलिज्म से संबंधित असमान्यता की जांच करने या उन एमिनो एसिड के स्राव से संबंधित असामान्यताओं की जांच करने के लिए किया जाता है, जो आमतौर पर हाई एमिनो एसिड के रूप में उत्पन्न होते हैं।

  1. एमिनो एसिड यूरिन टेस्ट क्यों किया जाता है - Amino acids Urine Test Kyu Kiya Jata Hai
  2. एमिनो एसिड यूरिन टेस्ट से पहले - Amino acids Urine Test ki taiyari kaise karein
  3. एमिनो एसिड यूरिन टेस्ट के दौरान - Amino acids Urine Test kaise kiya jata hai
  4. एमिनो एसिड यूरिन टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब है - Amino acids Urine Test Ke Parinam kya batate hain

यदि डॉक्टर को लगता है कि जन्म के साथ मेटाबोलिज्म में कोई असामान्यता है तो वे इस टेस्ट की सलाह देते हैं ऐसा आमतौर पर नवजात शिशुओं में या छोटे बच्चों में होता है।

मेटाबॉलिज्म संबंधी विकार के लक्षण और संकेत निम्न हैं :

  • शारीरिक विकास न हो पाना
  • पाचन संबंधी समस्या
  • धीरे-धीरे विकसित होना
  • न्यूरोलॉजिकल लक्षण जैसे - दौरे पड़ना
  • लिवर का ठीक तरह से कार्य न कर पाना
  • यूरिन में मेपल सिरप की बदबू आना

यदि बचपन में इसका इलाज नहीं होता है तो इससे मानसिक मंदता, ठीक से शारीरिक विकास न हो पाना, धीमा शारीरिक विकास और यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है।

यह टेस्ट कुछ अन्य स्थितियों जैसे लिवर रोग, रीनल फेलियर, जलना, पोषण में कमी, मस्तिष्क संबंधी विकार और मांसपेशियों के रोगों की जांच करने के लिए किया जाता है।

इस टेस्ट के लिए किसी विशेष तैयारी की जरूरत नहीं होती। यदि आप डॉक्टर की सलाह से या उसके बिना कोई भी दवा ले रहे हैं तो इसके बारे में डॉक्टर को बता दें। डॉक्टर आपको एम्फेटामिन, नोरएपिनेफ्रीन, लेवोडोपा, कुछ विशेष एंटीबायोटिक लेने से मना कर सकते हैं। कुछ कारक जैसे मरीज की उम्र, भोजन, सोने का तरीका और गर्भावस्था आदि भी टेस्ट के परिणामों को प्रभावित कर सकती हैं, तो इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आप डॉक्टर को अपने बारे में संपूर्ण जानकारी दें।

यह टेस्ट चौबीस घंटे के यूरिन सैंपल पर किया जाता है। टेस्ट से पहले डॉक्टर आपको सैंपल लेने का तरीका समझा देंगे। आपको सैंपल लेने के लिए एक विशेष कंटेनर दिया जाएगा। निम्न तरीके से आप चौबीस घंटे के यूरिन सैंपल ठीक तरह से ले सकते हैं

  • सैंपल लेने से पहले किसी अच्छे किटाणुाशक पदार्थ से अपने हाथ अच्छी तरह से धो लें।
  • चौबीस घंटे की सैंपल एकत्र करने की प्रक्रिया शुरू करने से पहले एक बार ब्लैडर पूरी तरह खाली कर लें (पेशाब कर आएं) और सैंपल के लिए दिन का पहला यूरिन न भरें। सैंपल लेने का समय नोट कर लें।
  • इसे बाद 24 घंटे में जितनी भी बार पेशाब जाएं, उन सबके यूरिन का सैंपल इकट्ठा कर लें। 
  • इस बात का ध्यान रहे कि चौबीस घंटे के दौरान सैंपल लेकर कंटेनर को हर वक्त फ्रीज में रखें।
  • सैंपल पर लेबल लगाकर इसे लैब में टेस्ट के लिए भेज दें।

यदि यूरिन टेस्ट किसी बच्चे का किया जा रहा है तो लैब से एक कलेक्शन बैग ले लें और निम्न चरणों का पालन करते हुए सैंपल लें -

  • बच्चे के जननांग को टिशू से अच्छी तरह साफ करें।
  • लड़के के लिए, पेनिस को कलेक्शन बैग में डालें और त्वचा पर टेप लगाकर इसे फिक्स कर दें। लड़की का कलेक्शन लेने के लिए बैग लेबिया पर लगाएं।
  • बैग को अपनी जगह पर लगा रहने देने के लिए बैग पर एक डायपर लगाएं।
  • यूरिन को एक कंटेनर में खाली कर के चौबीस घंटे के सैंपल इकट्ठा कर लें।

सामान्य परिणाम

हर एमिनो एसिड की कुछ मात्रा यूरिन में मौजूद होती है। 

विभिन्न एमिनो एसिड की यूरिन में मौजूद संदर्भ वैल्यू निम्न सारणी में दी गई है। ये वैल्यू हर लैब में अलग हो सकती हैं। अपने परिणामों की सही जानकारी के लिए डॉक्टर से बातचीत करें। 

एमिनो एसिड

यूरिन में जमाव प्रति माइक्रोमॉल्स/डेसीलिटर  (µmol/L (µmol/dL)

बच्चे 

व्यस्क

ऐलानिन 

65-190

160-690

आर्जिनिन 

10-25

13-64

एस्परजिन 

15-40

34-100

एस्पार्टिक एसिड 

10-26

14-89

सिस्टीन 

11-53

28-115

ग्लूमेटिक एसिड 

13-22

27-105

ग्लूटामाइन 

150-400 

300-1040

ग्लाइसिन 

195-855

750-2400

हिस्टिडीन

46-725

500-1500

आइसोल्यूसिन

3-15

4-23

ल्युसिन 

9-23

20-77

लाइसिन 

19-140

32-290

मिथियोनीन

7-20

5-30

फेनीलालनीन

20-61

36-90

प्रोलीन 

जांच नहीं की गई

जांच नहीं की गई

सेरिन 

93-210

200-695

थेरोनोनिन 

25-100

80-320

टाइरोसीन 

30-83

38-145

वैलीन 

17-37

19-74

असामान्य परिणाम

एमिनो एसिड के बढे हुए स्तर निम्न स्थितियों में देखे जा सकते हैं

  • एल्केप्टोनूरिया (एक चयापचयी विकार जिसमें काले रंग का यूरिन आता है, पेशाब करते हुए दर्द और जोड़ों में सूज होती है)
  • कैनावन रोग
  • फ्रक्टोज़ (फलों से बनी चीनी) को सहन न कर पाना 
  • गैलेक्टोसेमिया (एक विकार जिसमें शरीर ग्लैक्टोस शुगर को पचा नहीं पाता) 
  • हार्टनप डिजीज (कुछ विशेष एमिनो एसिड के गलत तरह से स्त्रावित होने के कारण) 
  • हाइपरपैराथायरायडिज्म
  • मेपल सिरप यूरिन डिजीज
  • मल्टीपल मायलोमा  (एक प्रकार का कैंसर)
  • ऑर्निथिन ट्रांसकार्बामायलेज डेफिशियेंसी
  • आस्टोमलेशिया और रिकेट्स (ठीक तरह न बनी हड्डियों और कमजोर हड्डी का विकार)
  • टायरोसिनेमिया टाइप I और II (एक आनुवंशिक विकार, जिसमें एमिनो एसिड टाइरोसीन का स्तर बढ़ जाता है) 
  • वायरल हेपेटाइटिस  (वायरल संक्रमण के कारण)
  • विल्सन रोग  (कॉपर के ठीक तरह से न पच पाने के कारण लिवर का क्षतिग्रस्त होना)
  • लिवर रोग या नेक्रोसिस (ऊतकों का मृत हो जाना)
  • रीनल डिजीज और रीनल फेलियर
  • सिस्टिनोसिस
  • प्रोग्रेसिव मस्कुलर डिस्ट्रॉफी
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