एल्युमिनियम यूरिन टेस्ट क्या है?
एल्युमिनियम यूरिन टेस्ट एक स्क्रीनिंग टेस्ट है जो कि शरीर में एल्युमिनियम टॉक्सिसिटी की जांच करने के लिए किया जाता है। एल्युमिनियम एक ऐसी धातु है जो वातावरण में अत्यधिक मात्रा में पाई जाती है। हर व्यक्ति हवा, पानी, भोजन, मिट्टी या किसी भी अन्य स्रोत से एल्युमिनियम के संपर्क में होता है। यह पेंट, बर्तनों, डिओडोरेंट और दवाएं जैसे सीने में जलन रोकने वाली (एंटासिड), दस्त रोकने वाली और छाले की दवाओं में भी होता है।
आमतौर पर अवशोषित एल्युमिनियम पूरी तरह से किडनी द्वारा निकाल दिया जाता है। हालांकि, जो लोग ऐसी जगहों में रहते हैं, जहां एल्युमिनियम अधिक मात्रा में पाया जाता है, तो ये अधिक मात्रा में इस धातु के संपर्क में होंगे। अत्यधिक एल्युमिनियम होने पर यह शरीर में जमने लगता है, जिससे एल्युमिनियम विषाक्तता हो सकती है। कुछ अन्य कारक भी हैं, जो एल्युमिनियम की विषाक्तता का खतरा बढ़ा देते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- ऐसे वातावरण में काम करना जहां एल्युमिनियम के स्तर अधिक हो
- लंबे समय से इंट्रावेनस न्यूट्रिशन (नसों द्वारा पोषण प्रदान करना) ले रहे हैं
- जिन लोगों को हीमोडायलिसिस दिया जा रहा है
- गुर्दे की कार्य क्षमता कम होना
इसके अलावा किडनी फेलियर से ग्रस्त मरीज शरीर से एल्युमिनियम निकालने में अक्षम होते हैं। ऐसे लोगों को एल्युमिनियम की विषाक्तता होने का खतरा निम्न स्थितियों में भी बढ़ सकता है:
- एल्युमिनियम युक्त डायलिसिस का द्रव (यदि वे डायलिसिस पर हैं)
- एल्युमिनियम युक्त एल्ब्यूमिन। आमतौर पर एल्ब्यूमिन डायलिसिस के मरीजों को दिया जाता है क्योंकि यह ऊतकों से अतिरिक्त द्रव्य रक्त में पहुंचाने में मदद करता है। यह द्रव इसके बाद डायलिसिस द्वारा हटा दिया जाता है।
- एल्युमिनियम आधारित फॉस्फेट बाइंडर (ऐसी दवाएं जो डाइट से फॉस्फेट का अवशोषण कम करती हैं)
एल्युमिनियम की विषाक्तता से निम्न समस्याएं भी हो सकती हैं:
- तांत्रिका तंत्र की समस्याएं जिनसे डिमेंशिया और हिलने-डुलने में कठिनाई जैसी स्थितियां हो सकती हैं।
- हड्डियों संबंधी रोग
- आयरन का अवशोषण कम होना और एनीमिया
- फेफड़ों संबंधी विकार