एलर्जी टेस्ट क्या होता है?
एलर्जी टेस्ट द्वारा उन चीजों में एलर्जिक पदार्थ ढूंढने में मदद मिलती है, जिन्हें आप खाते, पीते, छूते या सांस द्वारा अंदर लेते हैं। एलर्जी टेस्ट में आमतौर पर स्किन टेस्ट व ब्लड टेस्ट शामिल होते है। हालांकि, अकेला एलर्जी टेस्ट आमतौर पर काफी नहीं होता। एलर्जी का परीक्षण करने के लिए सबसे पहले डॉक्टर द्वारा शारीरिक परीक्षण करना और पिछली मेडिकल जानकारियां जानना आवश्यक होता है। अगर शारीरिक परीक्षण और पिछली मेडिकल जानकारियां एलर्जी का संकेत देती हैं, तो एलर्जिक टेस्ट से यह पता लगा लिया जाता है कि आपको किस चीज से या किस प्रकार की एलर्जी है।
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त्वचा की जांच (स्किन टेस्ट):
स्किन टेस्ट के दौरान संदेहयुक्त एलर्जिक पदार्थ को एक छोटी सी मात्रा में मरीज की त्वचा के संपर्क में लाया जाता है, यह देखने के लिए कि प्रतिक्रिया होती है या नहीं। स्किन टेस्ट तीन प्रकार के होते हैं:
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- स्किन प्रिक टेस्ट (Skin prick test):
इस टेस्ट में स्किन पर एक एलर्जिक पदार्थ युक्त घोल की बूंदे डाली जाती हैं, घोल को त्वचा के अंदर भेजने के लिए सुई आदि की मदद से त्वचा में छोटे छेद या स्क्रैच किए जा सकते हैं। अगर उस घोल के संपर्क में आने के बाद त्वचा में खुजली, लालिमा या सूजन आदि आती है तो इसका मतलब होता है कि मरीज इन पदार्थो से एलर्जी है। इसे पॉजिटिव रिएक्शन कहा जाता है। (और पढ़ें - खुजली के उपाय)
- इंट्राडर्मल टेस्ट (Intradermal test):
इस टेस्ट के दौरान एलर्जिक पदार्थ की एक छोटी सी मात्रा को इंजेक्शन से त्वचा के अंदर डाला जाता है। जब कोई पदार्थ स्किन प्रिक टेस्ट के दौरान प्रतिक्रिया ना कर पाए तो इंट्राडर्मल टेस्ट का उपयोग किया जाता है।
- स्किन पैच टेस्ट (Skin patch test):
इस टेस्ट में एलर्जिक पदार्थ को एक पैड पर लगाया जाता है और उस पैड को त्वचा पर 24 से 72 घंटों तक के लिए बांध दिया जाता है। इस टेस्ट का इस्तेमाल कॉन्टेक्ट डर्मेटाइटिस नाम एक स्किन एलर्जी का पता करने के लिए किया जाता है, कॉन्टेक्ट डर्मेटाइटिस एक सम्पर्क से होने वाला चर्मरोग होता है।
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ब्लड टेस्ट (Blood test):
एलर्जी ब्लड टेस्ट द्वारा खून में एंटीबॉडीज नामक पदार्थ की खोज की जाती है। ब्लड टेस्ट इतना संवेदनशील नहीं होता जितना स्किन टेस्ट होता है, लेकिन इसका इस्तेमाल उन लोगों के लिए किया जाता है, जो किसी कारण से स्किन टेस्ट नहीं करवा सकते। ब्लड टेस्ट खून में एक ऐसे एंटीबॉडीज के स्तर को मापता है, जो उन लोगों में अक्सर उच्च होता है, जिनको एलर्जी या अस्थमा आदि की समस्या होती है।
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