एसिड फ़ास्ट स्टैनिंग (एएफबी) टेस्ट क्या है?
एसिड-फ़ास्ट स्टैनिंग एक सस्ती स्टैनिंग तकनीक है, जो कि अधिकतर माइकोबैक्टेरियम की जांच करने के लिए किया जाता है। माइकोबैक्टेरियम एक बैक्टीरिया है, जिससे इंसानों में कई सारी बीमारियां होती हैं। ट्यूबरकुलोसिस, लेप्रोसी और श्वसन पथ में संक्रमण आदि इनमें कुछ मुख्य संक्रमण हैं। यह बैक्टीरिया बलगम में देखा जा सकता है या फिर इसकी पहचान ऊतक के सैंपल में भी की जा सकती है।
चूंकि उनकी सेल वॉल (बैक्टीरियल कोशिका की बाहरी परत) बहुत मजबूत होती है, माइकोबैक्टीरिया सामान्य बैक्टीरिया की जांच करने वाले स्टेन में दिखाई नहीं देता है। वहीं दूसरी तरफ एसिड-फ़ास्ट स्टेन माइकोबैक्टेरियल दीवार के अंदर जा कर बैक्टीरियल कोशिकाओं पर जम जाता है और उन्हें माइक्रोस्कोप में आसानी से देखने में मदद करता है।
शुरुआत में एसिड-फ़ास्ट स्टेनिंग प्रक्रिया में जिस स्टेन का प्रयोग किया जाता है वह सभी कोशिकाओं को रंगता है - एसिड-फ़ास्ट और नॉन एसिड फ़ास्ट। एसिड फ़ास्ट बैक्टीरिया को अन्य बैक्टीरिया से अलग करने के लिए डॉक्टर एक रंग हटाने वाले एसिड-अल्कोहोल घोल का प्रयोग करेंगे, जो कि सामान्य स्टेन को नॉन एसिड फ़ास्ट बैक्टीरिया से अलग कर देगा। माइकोबैक्टेरिया रंग हटाने वाले ट्रीटमेंट के बाद भी रंग नहीं छोड़ता है इसीलिए इसका नाम एसिड-फ़ास्ट बेसिली है।
कुछ अन्य एसिड-फ़ास्ट बैक्टीरिया में रोडोकॉकस, नोकार्डिया, लेजिओनेला, साइक्लोस्पोरा और आइसोस्पोरा आते हैं। एक बार बैक्टीरिया की मौजूदगी पुष्ट हो जाने के बाद डॉक्टर माइकोबैक्टीरिया के प्रकार की जांच करने के लिए कुछ अन्य टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं। इसके परिणाम से डॉक्टर को व्यक्ति के लिए सटीक उपचार सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
एसिड फ़ास्ट बैक्टीरिया को जांचने के लिए मुख्य रूप से तीन स्टेन का प्रयोग किया जाता है। इनमें निम्न शामिल हैं -
- जीएल-नीलसन (जेडएन) स्टेन - इस तकनीक में प्राइमरी या शुरुआती स्टेन कार्बोल फुस्किन है। यह एक लाल रंग की डाई है जो कि गर्म होने पर बैक्टीरिया के अंदर जाती है। डीकॉलराइज़ (रंगहीन करने की प्रक्रिया) के बाद सैंपल को मेथाइलिन ब्लू में डाला जाता है। इसमें नीले रंग के नॉन-एसिड फ़ास्ट बैक्टीरिया में माइकोबैक्टीरिया लाल रंग के रोड की तरह दिखाई देते है। जीएल-नीलसन स्टेन में फेफड़ों के ऊतक या बलगम किसी को भी रंगने के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है। यह प्लूरा (फेफड़ों के बाहर की परत) और लसिका पर्वों को रंगने में भी मदद करता है।
- किनयौन स्टेन - यह जेडएन स्टेन का विकसित रूप है। इसे कोल्ड स्टेन भी कहा जाता है यह प्रक्रिया जेडएन स्टेन से अधिक गाढ़े स्टेन का प्रयोग करती है और इसमें सैंपल को गर्म नहीं करना पड़ता है।
- औरामाईन रोडामिन स्टेन - इस तकनीक में प्राइमरी स्टेन रोडामिन औरामाईन है। औरामाईन और रोडामिन दोनों ही फ्लोरोसेंट डाई हैं, जो कि विशेष रूप से एसिड फ़ास्ट बैक्टीरिया की सेल वॉल को बांधने में मदद करती है। इससे वे पराबैंगनी किरणों में चमकदार पीले या संतरी रंग के फ्लोरोसेंट रोड में दिखाई देते हैं। नॉन-एसिड फ़ास्ट बेसिली रंग हटाने की प्रक्रिया के बाद अपना रंग छोड़ देते हैं और नॉन-फ्लोरोसेंट पोटेशियम परमेंगनेट के साथ स्टेन किया जाता है। ये माइक्रोस्कोप में अंधेरे में दिखाई नहीं देते। जेडएन स्टेन की तरह इसमें सैंपल को गर्म करने की आवश्यकता नहीं होती है।
जेडएन स्टेन का प्रयोग करके स्टेन किया गया, माइकोबैक्टीरिया सबसे सही तरीके से (x800-1000) पावर के लेंस में देखा जा सकता है, वहीं औरामाईन रोडामिन स्टेन में रंजित बैक्टीरिया को कम पावर (x450-500) वाले माइक्रोस्कोप में भी देखा जा सकता है, क्योंकि वे फ्लोरोसेंट दिखाई देते हैं। इसके साथ ही औरामाईन रोडामिन स्टेन की संवेदनशीलता जेडएन स्टेन से ज्यादा होती है और कम मैग्निफिकेशन के कारण जल्दी से देखा और किया जा सकता है।
जेडएन स्टेन स्मीयर में अध्ययन का समय 20 मिनट है वहीं औरामाईन रोडामिन स्टेन स्मीयर को स्टडी करने में इससे आधा समय लगता है। जेडएन स्टेन की तुलना में फ्लोरोसेंट स्टेन कम सटीक होते हैं, इसीलिए औरामाईन रोडामिन स्टेन केवल थोड़े से ही एसिड फ़ास्ट बेसिली दिखाता है। ऐसे में परिणामों की पुष्टि करने के लिए जेडएन स्टेन का प्रयोग किया जा सकता है।