3डी अल्ट्रासाउंड स्कै‍न में उच्‍च आवृत्ति वाली ध्‍वनि तरंगों (साउंड वेव्‍स) के जरिए आंतरिक अंगों की इमेज ली जाती है, जिसमें शिशु और गर्भनाल भी शामिल हैं। आमतौर पर इस अल्‍ट्रासाउंड का इस्‍तेमाल गर्भावस्‍था के दौरान किया जाता है।

भ्रूण के विकास का पता लगाने और प्रसव की तारीख जानने के लिए 3डी अल्ट्रासाउंड स्कै‍न की सलाह दी जाती है। अल्‍ट्रासाउंड से माता-पिता को भ्रूण में पल रहे शिशु की तस्वीरें देखने को मिलती हैं और उसकी धड़कन भी सुनाई देती है। इससे शिशु और माता-पिता के बीच गहरा रिश्‍ता बनने की शुरुआत होती है।

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एक ही मूल प्रक्रिया पर आधारित कई विभिन्‍न प्रकार की अल्‍ट्रासाउंड प्रक्रियाएं मौजूद हैं। गर्भ में भ्रूण की 3डी इमेज के लिए 3डी अल्ट्रासाउंड स्कै‍न में विशेष सॉफ्टवेयर के साथ ट्रांसड्यूसर प्रोब का प्रयोग किया जाता है। ये सामान्‍य या 2डी अल्‍ट्रासाउंड इमेज से अलग होता है और इसमें आने वाली तस्‍वीरें ज्‍यादा चौड़ी, लंबी और गहरी होती हैं। इससे शिशु के चेहरे और शरीर के कुछ हिस्‍से जैसे कि ऊंगलियां और पैर अच्‍छी तरह से नजर आते हैं।

  1. प्रेगनेंसी में 3डी अल्ट्रासाउंड स्कै‍न क्यों किया जाता है? - What is the purpose of 3D Ultrasound during Pregnancy in Hindi?
  2. प्रेगनेंसी में 3डी अल्ट्रासाउंड स्कै‍न से पहले की तैयारी? - How to prepare for 3D Ultrasound during Pregnancy in Hindi?
  3. प्रेगनेंसी में 3डी अल्ट्रासाउंड स्कै‍न कैसे किया जाता है? - How the 3D Ultrasound during Pregnancy is done in Hindi?
  4. प्रेगनेंसी में 3डी अल्ट्रासाउंड स्कै‍न के परिणाम का क्या मतलब है? - What do the results of 3D Ultrasound during Pregnancy mean in Hindi?
  5. प्रेगनेंसी में 3डी अल्ट्रासाउंड स्कै‍न की क्‍या कीमत है? - How much 3D Ultrasound during Pregnancy costs in Hindi?

अगर भ्रूण को 2डी तस्‍वीर से ज्‍यादा साफ देखना हो तो 3डी अल्‍ट्रासाउंड की सलाह दी जाती है। ये भ्रूण में किसी असामान्‍य विकार और बीमारी की जांच में मदद करता है।

गर्भावस्‍था के दौरान विभिन्‍न कारणों से कई बार अल्ट्रासाउंड स्‍कैन करवाया जाता है।

  • पहली तिमाही में निम्‍न कारणों से प्रेगनेंसी में 3डी अल्ट्रासाउंड स्कै‍न करवाया जाता है
    • एक्टोपिक प्रेग्नेंसी में निषेचित अंडा गर्भाशय के अलावा कहीं और (अधिकतर फैलोपियन ट्यूब में) जुड़ जाता है। इस तरह की प्रेगनेंसी की जांच के लिए अल्‍ट्रासाउंड-प्रेगनेंसी 3डी स्‍कैन किया जाता है।
    • गर्भनाल की संचरना देखने के लिए
    • प्रेगनेंसी में महत्‍वपूर्ण तारीखों के बारे में जानने के लिए, जैसे कि टेस्‍ट के समय भ्रूण की उम्र।
    • पेल्विस में संरचना का पता लगाने के लिए
    • भ्रूण की संख्‍या की जांच के लिए
       
  • दूसरी तिमाही में क्‍यों दी जाती है टेस्‍ट की सलाह
    • भ्रूण के विकास को देखने के लिए
    • भ्रूण में किसी भी प्रकार की असामान्‍यता का पता लगाने के लिए
    • रक्‍त प्रवाह के पैटर्न देखने के लिए
    • गर्भ में एमनियोटिक फ्लूइड की मात्रा की जांच के लिए
    • गर्भनाल की जांच के लिए
    • गर्भाशय ग्रीवा की लंबाई जांचने के लिए
       
  • तीसरी तिमाही में क्‍यों दी जाती है टेस्‍ट की सलाह
    • शिशु के विकास को मॉनिटर करने के लिए
    • गर्भ में शिशु की पेाजीशन जानने के लिए
    • गर्भनाल का पता लगाने के लिए
    • गर्भ में एमनियोटिक फ्लूइड की मात्रा की जांच
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3डी अल्ट्रासाउंड स्कै‍न के लिए किसी विशेष तैयारी की जरूरत नहीं होती है। हालांकि, मूत्राशय को भरने और शिशु की तस्‍वीर को साफ एवं स्‍पष्‍ट देखने के लिए कभी-कभी डॉक्‍टर 4 से 6 गिलास पानी पीने की सलाह दे सकते हैं। इसके अलावा 3डी अल्ट्रासाउंड स्कै‍न के लिए हॉस्‍पीटल गाउन पहनने के लिए भी कहा जा सकता है।

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3डी अल्ट्रासाउंड स्कै‍न दो तरह से किया जा सकता है, जैसे कि

  • ट्रांसवैजिनल अल्ट्रासाउंड
    इस टेस्‍ट में छोटे ट्रांसड्यूसर प्रोब (डिवाइस) को योनि में डालकर तस्‍वीरें ली जाती हैं। इससे ज्‍यादा साफ तस्‍वीरें आती हैं। आमतौर पर ये स्‍कैन गर्भावस्‍था के शुरुआती चरणों में किया जाता है।
     
  • पेट का अल्‍ट्रासाउंड 
    इस टेस्‍ट में पेट पर जैल लगाया जाता है और फिर भ्रूण की तस्‍वीरों के लिए पेट पर ट्रांसड्यूसर प्रोब लगाया जाता है। इस प्रक्रिया के लिए मूत्राशय पूरी तरह से भरा होना चाहिए, इससे तस्‍वीरें ज्‍यादा साफ आती हैं। इसलिए इस टेस्‍ट से पहले पानी पीना बहुत जरूरी है।

इस टेस्‍ट से शिशु या मां को कोई खतरा नहीं होता है। हालांकि, प्रोब से पेट या योनि पर दबाव पड़ने के कारण मां को थोड़ा-सा असहज महसूस हो सकता है।

हालांकि, इस टेस्‍ट का कोई दुष्‍प्रभाव नहीं होता है। वैसे इस अल्‍ट्रासाउंड के लंबे समय तक रहने वाले प्रभाव या बार-बार अल्‍ट्रासाउंड करवाने पर पड़ने वाले असर के बारे में जांच नहीं की गई है। डॉक्‍टर की सलाह पर ही इस टेस्‍ट को करवाना सुरक्षित रहता है।

  • नॉर्मल परिणाम
    • नॉर्मल रिजल्ट से पता चलता है कि शिशु स्‍वस्‍थ है और गर्भावधि के समय के अनुसार ही उसका विकास हो रहा है।
    • भ्रूण के आसपास की संरचना, गर्भनाल और एमनियोटिक फ्लूइड भी नॉर्मल दिखता है। इस स्थिति में डॉक्‍टर गर्भावस्‍था में होने वाली सामान्‍य देखभाल करने की सलाह देते हैं। (और पढ़ें - प्रेगनेंसी में कैसे रखें ख्याल)
    • इस बात का ध्‍यान जरूर रखें कि‍ कभी-कभी नॉर्मल रिजल्‍ट थोड़ा अलग हो सकता है, इसलिए परिणाम के बारे में सही एवं पूरी जानकारी के लिए डॉक्‍टर से सलाह करें।
       
  • एब्नार्मल रिजल्‍ट
    निम्‍न परिस्थितियों के कारण एब्नार्मल रिजल्‍ट आ सकता है
    • एक से ज्‍यादा प्रेगनेंसी (मल्‍टीपल प्रेगनेंसी)
    • गर्भपात
    • एमनियोटिक फ्लूइड की कमी या असामान्‍य से अधिक मात्रा
    • गर्भ में भ्रूण की गलत पोजीशन
    • शिशु का धीमा या कम विकास होना
    • एक्‍टोपिक प्रेगनेंसी
    • जन्‍मजात विकार
    • प्रेगनेंसी में ट्यूमर
    • गर्भाशय, अंडाशय या पेल्विस के किसी हिस्‍से में दिक्‍कत होना

(और पढ़ें - गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड कब कराएं)

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लैब और शहर के आधार पर इस टेस्‍ट की कीमत 1,000 रुपये से लेकर 3,000 रुपये तक हो सकती है।

नोट : टेस्‍ट के रिजल्‍ट और व्‍यक्‍ति के लक्षणों के आधार पर ही उचित निदान किया जाना चाहिए। उपरोक्त जानकारी पूरी तरह से शैक्षिक दृष्टिकोण से दी गई है और यह किसी भी तरह से डॉक्‍टर की चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है।

संदर्भ

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  2. American Pregnancy Association: Ultrasound: Sonogram
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